बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के सेंटर पॉइंट पर इस बार आरजेडी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव हैं. दरअसल 2020 के विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को सबसे अधिक सीट दिलाकर वो मुख्यमंत्री बनने के सबसे करीब थे. जाहिर है कि इस बार सभी पार्टियां तेजस्वी यादव से मुकाबला कर रही हैं. बीजेपी , जेडीयू और जनसुराज सभी के निशाने पर आरजेडी और तेजस्वी ही हैं.वोटर अधिकार यात्रा के चलते उनकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई है. लेकिन उनकी कुछ रणनीतिक और व्यक्तिगत गलतियों ने उनकी तेजी को प्रभावित किया है.
1. राहुल गांधी के साथ वोटर अधिकार यात्रा में शामिल होना संभवतया सबसे बड़ी भूल
17 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक राज्य में चली वोटर अधिकार यात्रा में तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी के साथ मिलकर पूरे राज्य में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं के खिलाफ अभियान चलाया. इस यात्रा में राहुल गांधी डॉमिनेंट नजर आए. खुली जीप में ड्राइविंग सीट पर उनकी उपस्थिति ने RJD कार्यकर्ताओं और बिहार के मतदाताओं में यह धारणा पैदा की कि तेजस्वी राहुल के पिछलग्गू बन गए हैं. आम लोग राहुल गांधी से मिलने और हाथ मिलाने को आतुर दिखाई दे रहे थे.तेजस्वी राहुल के साथ निस्तेज नजर आते थे.
इसके साथ ही मुजफ्फरपुर में एक RJD विधायक को राहुल द्वारा मिलने से इनकार और सुरक्षा कर्मियों द्वारा धकेले जाने की घटना ने इस धारणा को और मजबूत किया कि यह यात्रा कांग्रेस की है न कि महागठबंधन की.
RJD का पारंपरिक वोट बैंक यादव, मुस्लिम और कुछ पिछड़े वर्ग तेजस्वी को एक मजबूत क्षेत्रीय नेता के रूप में देखते हैं. राहुल के साथ अपने नेता को सहायक की भूमिका में देखने से कार्यकर्ताओं में असंतोष पैदा हुआ.तेजस्वी के सीएम उम्मीदवारी के विषय में राहुल की चुप्पी ने RJD समर्थकों में निराशा को और बढाया. चिराग पासवान ने टिप्पणी की कि तेजस्वी राहुल के सारथी बनकर अपनी पहचान खो रहे हैं.
2. अचानक नीतीश कुमार को भ्रष्ट बताना
यात्रा के समापन के बाद, तेजस्वी ने नीतीश कुमार को नैतिक भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह करार दिया.यह कुछ ऐसा ही है जैसे अति उत्साह में कोई गलती करना. तेजस्वी ने चाहे जो भी सोचकर नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप तो लगा दिया पर वो विधानसभा चुनावों में उनके लिए उल्टा भी पड़ सकता है. उन्होंने दावा किया कि नीतीश सरकार के संरक्षण में भ्रष्टाचार चरम पर है. तीन इंजीनियरों के पास 500 करोड़, 300 करोड़ और 100 करोड़ की संपत्ति पाई गई. तेजस्वी ने यह भी कहा कि जो मंत्री इस भ्रष्टाचार इन्वॉल्व है नीतीश कुमार हर दिन उसके घर क्या करने जाते हैं? यह हमला नीतीश की इमानदार छवि को सीधे चुनौती देता है. बिहार में नीतीश कुमार के विरोधी जैसे लालू प्रसाद यादव खुद यह बयान दे चुके हैं कि नीतीश कुमार की ईमानदारी पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता है.
बिहार के ग्रामीण और EBC मतदाता, जो नीतीश के सुशासन से प्रभावित हैं, इस आरोप से तेजस्वी से नाराज हो सकते हैं. दरअसल बिना ठोस सबूतों के तेजस्वी ने जो आरोप नीतीश पर लगाएं वो उनकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है. यह रणनीति RJD के कोर वोट बैंक को उत्साहित कर सकती है, लेकिन गैर-यादव OBC और सवर्ण मतदाताओं को नाराज करने का इसमें जोखिम है.
3. तेजप्रताप को पार्टी से अलग करना
एक राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि लालू यादव का व्यक्तित्व उनके दोनों बेटों में बंट गया. ह्यूमर वाल उनका गुण तेजप्रताप को मिला तो उनकी राजनीतिक चतुराई तेजस्वी को मिली.जाहिर है कि तेजप्रताप यादव की भी पार्टी और परिवार में एक अलग भूमिका रही है. ऐन चुनावों के पहले पार्टी से उनको बाहर का रास्ता दिखाना तेजस्वी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. दरअसल तेजप्रताप समर्थकों का कहना है कि इन सबके पीछे तेजस्वी हैं. तेजप्रताप अपनी अनोखी शैली और विवादास्पद बयानों के बावजूद यादव समुदाय के बीच एक लोकप्रिय चेहरा रहे हैं. उनकी अनदेखी ने RJD के भीतर असंतोष को बढ़ाया है. तेजप्रताप का करिश्माई व्यक्तित्व और धार्मिक छवि यादव समुदाय, विशेष रूप से युवाओं को आकर्षित करती है.
4. मरीन ड्राइव पर रील बनाना
तेजस्वी यादव का मुंबई के मरीन ड्राइव पर एक रील बनाना, जिसमें वह अपने व्यक्तित्व से अलग अंदाज में दिखे. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही यह रील संभवतः तेजस्वी को युवा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए बनाई गई है. पर देखा जाए तो बिहार चुनावों के संदर्भ में यह गलत समय पर आई. उनका मुकाबला यहां गंभीर नेताओं से है. जो गंभीर मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं.
तेजस्वी की छवि एक गंभीर और जमीनी नेता के रूप में बन रही थी, लेकिन उनकी डांस वाली रील ने उस छवि को नुकसान पहुंचाया है. बिहार जैसे राज्य में, जहां मतदाता गंभीर नेतृत्व को प्राथमिकता देते हैं, यह उनकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है.
BJP और JDU ने इस रील को तेजस्वी की गैरजिम्मेदार हरकत के सबूत के रूप में प्रचारित किया. BJP ने सोशल मीडिया पर इसे बिहार की समस्याओं से पलायन बताया.
तेजस्वी का मरीन ड्राइव पर रील बनाने से बीजेपी को यह भी कहने का मौका मिला कि ये नीतीश सरकार की उपलब्धियों का प्रचार है. बीजेपी समर्थकों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि क्या कभी बिहार में इस तरह की सड़कें थीं. क्या आधी रात को सड़कों पर इस तरह की रोशनी रहती थी.यह नीतीश सरकार की कानून व्यवस्था का ही हाल है कि लोग रात में तफरी करने और रील बनाने के लिए सड़कों पर निकल सकते हैं.
---- समाप्त ----