तेल में लथपथ परंपरा, ताकत और टैक्निक का टकराव... मुकाबले से पहले अपने शरीर पर जैतून का तेल लगाते हुए यह पहलवान न सिर्फ ताकत का प्रदर्शन कर रहा है बल्कि सदियों पुरानी परंपरा को भी निभा रहा है. ये दृश्य है तुर्की की पारंपरिक 'ऑयल रेसलिंग' का, जो अब यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल हो चुका है. इस खेल में पहलवानों को सिर से पांव तक जैतून के तेल से नहला दिया जाता है, जिससे पकड़ बनाना मुश्किल हो जाए और असली दम-खम और तकनीक की परीक्षा हो. (AP)
किर्कपिनार तेल कुश्ती के 664वें आयोजन में कुश्ती के रोमांच और उत्साह से भरा एक नौजवान पहलवान अपने मुकाबले से पहले खुद को तेल से लथपथ करता हुआ नजर आ रहा है. धूप, मिट्टी और पसीने के बीच जब ये योद्धा अखाड़े में उतरते हैं, तो यह सिर्फ कुश्ती नहीं होती. ये इतिहास, संस्कृति और मानवीय सहनशक्ति का प्रदर्शन होता है. (Reuters)
तेल से सने योद्धा परंपरा के अखाड़े में उतर चुके हैं. वार्षिक किर्कपिनार तेल कुश्ती महोत्सव के दौरान मुकाबला करते ये पहलवान सिर्फ जीत के लिए नहीं बल्कि सदियों पुरानी विरासत को जिंदा रखने के लिए भी लड़ रहे हैं. जैतून के तेल से सने शरीर और फिसलती पकड़ के बीच ताकत और कौशल की असली परीक्षा होती है. इस खेल की नींव ओटोमन सुल्तान ओरहान ने रखी थी ताकि उनके सैनिक शारीरिक रूप से मजबूत रहें और हर समय युद्ध के लिए तैयार. (Reuters)
तेल से लथपथ ये दोनों पहलवान कुश्ती के मैदान में एक-दूसरे से दो-दो हाथ करते नजर आ रहे हैं. यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल इस पारंपरिक खेल में भाग लेने वाले पहलवानों को जैतून के तेल से लगभग नहला दिया जाता है ताकि मुकाबला और भी चुनौतीपूर्ण हो जाए. फिसलन भरे शरीर, दमदार पकड़ और सदियों पुराने गौरव इस अखाड़े में सिर्फ जीत नहीं, एक पूरी विरासत दांव पर होती है. (AP)
प्रतियोगिता के दौरान दोनों पहलवान एक-दूसरे को पछाड़ने की कोशिश में पूरी ताकत झोंकते नजर आ रहे हैं. ये महज खेल नहीं, तुर्की की सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रतीक है जहां ताकत, सम्मान और अनुशासन को सबसे ऊंचा दर्जा दिया जाता है. सदियों पुरानी इस परंपरा में हर दांव सिर्फ जीत का नहीं, गौरव और इतिहास का हिस्सा बनता है. (AP)
किर्कपिनार कुश्ती महोत्सव हर साल हजारों लोगों को आकर्षित करता है जो अलग-अलग आयु समूहों, संस्कृतियों और क्षेत्रों से आते हैं. इस ऐतिहासिक आयोजन में सबका लक्ष्य सम्मान और जीत का खिताब होता है. तस्वीर में एक युवा पहलवान अपने प्रतिद्वंदी को हराने की पूरी कोशिश करता नजर आ रहा है, जहां सिर्फ ताकत नहीं, हिम्मत और धैर्य की भी असली परीक्षा होती है. (Reuters)
किर्कपिनार ऑयल कुश्ती चैंपियनशिप के दौरान अपनी जीत का जश्न मनाता यह पहलवान सिर्फ एक मुकाबला नहीं, सदियों पुरानी परंपरा की विरासत भी जीतता है. ये आयोजन दुनिया के सबसे पुराने और लगातार चलते आ रहे खेल आयोजनों में से एक है. जो हर साल इतिहास, संस्कृति और जज़्बे को एक साथ जीवंत करता है. (AP)
664वीं वार्षिक ऐतिहासिक किर्कपिनार ऑयल कुश्ती चैंपियनशिप के दौरान रेफरी एक पहलवान की जीत की घोषणा करता हुआ. ये सिर्फ एक फैसला नहीं, सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा बनने का सम्मान है. हर विजेता इस आयोजन की गौरवशाली विरासत में अपना नाम जोड़ता है. (AP)
तस्वीर में परंपरा के अखाड़े में उतरने से पहले की तैयारी साफ नजर आ रही है. ऐतिहासिक किर्कपिनार ऑयल कुश्ती चैंपियनशिप के दौरान पहलवान अपनी बारी का इंतजार करते हुए नजर आ रहे हैं. इस पारंपरिक कुश्ती में वे चमड़े से बनी खास पतलून जिसे किसपेट कहा जाता है, वो पहनते हैं. ये सिर्फ एक पोशाक नहीं बल्कि सदियों पुरानी परंपरा और पहचान का हिस्सा है. (AP)
पसीने की जंग के बाद ठंडक की राहत का मजा ही अलग है. तुर्की के एडिरने में आयोजित 664वें वार्षिक किर्कपिनार ऑयल कुश्ती महोत्सव के दौरान मुकाबले के बाद पहलवान पानी के नलके के नीचे खुद को ठंडक पहुंचाते नजर आते हैं. घंटों की मेहनत, गर्मी और तेल से लथपथ शरीर को आराम देने का ये पल भी इस ऐतिहासिक परंपरा का हिस्सा है. ये महोत्सव दुनिया के सबसे पुराने और लगातार चलने वाले खेल आयोजनों में से एक माना जाता है. (AP) (Reuters)