नीतीश कुमार के CM फेस पर राजनाथ की मुहर के बाद किसी और की मंजूरी जरूरी है क्या?

5 days ago 1

बारह साल बाद राजनाथ सिंह के बयान का नीतीश कुमार पर क्या असर हुआ है, जानना और समझना बेहद महत्वपूर्ण है. वैसे ये मालूम भी तभी हो पाएगा जब कोई प्रतिक्रिया सामने आये. नीतीश कुमार की तरफ से, या किसी जेडीयू प्रवक्ता के माध्यम से. 

2013 में राजनाथ सिंह ने ही नरेंद्र मोदी को बीजेपी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने की घोषणा की थी, और इस बार नीतीश कुमार को आने वाले बिहार चुनाव में एनडीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया है. 

राजनाथ सिंह के बयान के बाद ही नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ने का फैसला कर लिया, और 2014 का चुनाव बीजेपी से अलग होकर लड़े. 2015 के बिहार चुनाव में तो कट्टर राजनीतिक विरोधी लालू यादव से भी हाथ मिला लिया था. 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के ताजा और पुराने बयान में एक बुनियादी फर्क है. मोदी के नाम की घोषणा राजनाथ सिंह ने बीजेपी के संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद की थी, लेकिन नीतीश कुमार के मामले में अभी बीजेपी संसदीय बोर्ड की मंजूरी का पेच फंसा हुआ है - और मुश्किल ये है कि ये पेच भी किसी और ने नहीं, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का फंसाया हुआ है.  

पक्का मान लें, या कुछ बाकी भी है?

सितंबर, 2013 के बीजेपी की प्रेस कांफ्रेंस में राजनाथ सिंह ने कहा था, भारतीय जनता पार्टी हमेशा अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करती रही है… संसदीय बोर्ड फैसला किया है… नरेंद्र मोदी को 2014 के चुनाव के लिए भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाए.

और इस ऐलान के बाद मोदी ने तमाम कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा था, भारतीय जनता पार्टी में, अनेक वर्ष तक… भिन्न दायित्व निभाते हुए, और परमात्मा से प्रदत्त शक्ति के अनुसार मैं सेवा करता रहा हूं… भाजपा ने मुझ जैसे छोटे से कस्बे से आये कार्यकर्ता को बहुत बड़ा अवसर दिया है.

अभी तक नीतीश कुमार की तरफ से मोदी जैसी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. एक फर्क ये भी है कि राजनाथ सिंह ने जो बयान दिया है, वो पटना के ज्ञान भवन में हुई बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक की बात है. और, नीतीश कुमार जेडीयू के नेता हैं. अगर एनडीए की मीटिंग में राजनाथ सिंह ये सब कहा होता तो निश्चित तौर पर नीतीश कुमार या उनके प्रतिनिधि की प्रतिक्रिया आई होती. 

राजनाथ सिंह को ऑपरेशन सिंदूर के वक्त से ही लगातार मोर्चे पर सबसे आगे देखा जा रहा है. सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता भी वही कर रहे हैं, जबकि विपक्ष की तरफ से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी की मांग होती रही है. 

बिहार में बीजेपी के सीनियर नेताओं के साथ बैठक में राजनाथ सिंह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा, बिहार दिन-प्रतिदिन प्रगति कर रहा है… और यही नेतृत्व 2025 के चुनाव में एनडीए का चेहरा होगा. बोले, नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का विकास होगा... एनडीए ही बिहार का विकास कर सकता है... उनके हाथों में बिहार का भविष्य सुरक्षित है. 

सीनियर बीजेपी नेता राजनाथ सिंह ने सोशल साइट एक्स पर लिखा है, बिहार में फिर से NDA पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रहा है… पंद्रह साल बाद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि पर कोई दाग नहीं है… पूरे बिहार को नीतीशजी पर भरोसा है.

अव्वल तो शक-शुबहे की गुंजाइश नहीं बनती, लेकिन ये आशंका तब तक बनी रहेगी, जब तक अमित शाह का बयान नहीं आ जाता - क्योंकि महाराष्ट्र का हाल सबके सामने है. 

महाराष्ट्र फॉर्मूला की आशंका बची है क्या?

दिसंबर, 2024 में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा था, बिहार में एनडीए के नेता का फैसला बीजेपी का संसदीय बोर्ड लेगा. उसके बाद काफी बवाल मचा था. नीतीश कुमार के साथी हद से ज्यादा सक्रिय हो गये थे.

बवाल मचने पर भी अमित शाह की तरफ से तो कुछ नहीं कहा गया, लेकिन बिहार बीजेपी के नेता बयान देने लगे कि बिहार चुनाव में नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे. बिहार बीजेपी नेताओं का सकारात्मक रुख देखते ही जेडीयू ने फटाफट नीतीश कुमार की तस्वीर के साथ पोस्टर जारी कर दिया, '2025... फिर से नीतीश.'

देखा जाये तो पोस्टर तो एक बार फिर जारी हुआ है. जेडीयू और बीजेपी दोनों और से. दफ्तरों के बाहर लगाये भी गये हैं, जिस पर लिखा है - सोच दमदार, काम असरदार… फिर एक बार एनडीए सरकार.

बाद के दिनों में ये भी देखा गया कि बीजेपी की तरफ से नीतीश कुमार को भारत रत्न देने की भी मांग की जाने लगी. हालांकि, ये कटाक्ष जैसा ही लगा, क्योंकि ये मांग भी नीतीश कुमार के कट्टर विरोधी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की तरफ से हुई है. 

अमित शाह के संसदीय बोर्ड वाली बात बोल देने के बाद नीतीश कुमार को लेकर आशंका होने की खास वजह भी रही, महाराष्ट्र में उनके राजनीतिक बयान का असर भी देखा जा चुका है. महाराष्ट्र चुनाव के दौरान एक सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा था, ‘अभी तो एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री हैं.’ और, चुनाव बाद एकनाथ शिंदे की हर संभव कोशिश को खारिज करते हुए बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को ही मुख्यमंत्री बनाया.  

नीतीश कुमार के मन में एक सवाल तो अब भी चल रहा होगा कि राजनाथ सिंह की बातों को बीजेपी का अंतिम फैसला मानें या नहीं. ऐसा तो नहीं कि अमित शाह का अप्रूवल अब भी बाकी है, क्योंकि संसदीय बोर्ड की शर्त लागू करने वाले भी वही हैं. 

बड़ा सवाल ये है कि अगर नीतीश कुमार में बीजेपी बिहार चुनाव लड़ने को तैयार है भी, तो चुनाव नतीजे आने के बाद स्टैंड बदलेगा तो नहीं?

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