म्याऊं-म्याऊं करने वाली ननों से लेकर सड़कों पर निकलकर डांस करने और सामूहिक रूप से हंसने की कुछ ऐसी घटनाएं हैं, जिसे विचित्र महामारी माना गया है. बड़ी संख्या में अचानक से लोगों का ऐसा असामान्य व्यवहार करने की घटनाओं की वजह अब तक अस्पष्ट है और इसका रहस्य बरकार है.
हीथ्रो हवाई अड्डे के टर्मिनल 4 पर पिछले दिनों एक घटना हुई थी. इसमें काफी लोग एक जगह अचानक जमा होने लगे और उन्हें जलन जैसा महसूस हो रहा था. बाद में एक शख्स को सीएस गैस के कनस्तर के साथ गिरफ्तार किया गया और एयरपोर्ट पर सामूहिक उन्माद के लिए इसे ही जिम्मेदार ठहराया गया.
लोगों के असामान्य व्यवहार से जुड़ी महामारियां
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना के बाद लोगों के सामूहिक असामान्य व्यवहार से जुड़ी वैसी घटनाओं पर चर्चा हो रही है, जो पहले भी सामने आ चुकी हैं. इन घटनाओं को महामारी की संज्ञा दी गई है और इनका रहस्य अब तक अनसुलझा है. ऐसे में इतिहास की कुछ ऐसी ही अजीबोगरीब महामारियों पर नजर डालते हैं.
बूगी मैन - जुलाई 1518 में, फ्राउ ट्रोफिया नाम की एक महिला ने फ्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर की सड़क पर कुछ आकृतियां बनाने लगी और नाचना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में दूसरे लोग भी उसके साथ हो गए और उन्मत्त होकर नाचने लगे. लगभग 400 लोगों ने इसी तरह घरों से बाहर निकलकर उसके साथ नाचना शुरू कर दिया.
हफ्तों तक ऐसे ही नाचते रहे. इनमें से कुछ तो थकान के कारण मर भी गए.फिर, अचानक, सब कुछ रुक गया. इस घटना के पीछे के सिद्धांतों में अकाल के बाद बड़े पैमाने पर तनाव को जिम्मेदार ठहराया गया. इस महामारी का नाम बूगीमैन दिया गया.
म्याऊं-म्याऊं बीमारी - मध्य युग में, ननों के समूहों के बीच सामूहिक उन्माद की घटनाओं की एक श्रृंखला घटित हुई.जर्मनी में एक नन ने अपनी साथी ननों को काटना शुरू कर दिया. फिर अन्य ननें भी उसमें शामिल हो गईं और ऐसी ही हरकत करने लगीं.
फ्रांस में एक नन ने म्याऊं-म्याऊं करना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में कॉन्वेंट की सभी ननें, आश्चर्यजनक रूप से, बिल्लियों की नकल करने लगीं. ऐसे असामान्य व्यवहार की वजह क्या थी, इसका अब तक पता नहीं चल पाया है.
नो जोक महामारी - 30 जनवरी 1962 को तंजानिया के काशाशा गांव के एक स्कूल में तीन लड़कियां बेकाबू होकर हंसने लगीं. हंसी की यह महामारी पूरे भवन में फैल गई और सभी छात्राएं जोर-जोर से हंसने लगी. इसके बाद बच्चियों के माता-पिता भी इसमें शामिल हो गए और फिर अन्य गांवों में भी यह हंसने वाली महामारी फैल गई.
लोग कई दिनों हंसते रह गए थे. अगले कुछ महीनों में औसतन 1,000 लोग इससे प्रभावित हुए और हर कोई एक हफ़्ते तक पागलों की तरह हंसते रहे थे. इसका कोई कारण कभी पता नहीं चला कि आखिर लोगों लगातार हंसने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा.
बेहोशी का उन्माद - अक्टूबर 1965 में, लंकाशायर के ब्लैकबर्न स्थित एक गर्ल्स स्कूल में छात्राएं कई दिनों तक अकारण बेहोश होने लगीं. इससे 150 छात्राएं प्रभावित हुईं. एक एम्बुलेंस चालक ने बताया कि जितनी तेजी से हम उन्हें अस्तपाल ले जा रहे थे, उतनी ही तेजी से स्कूल के अन्य कक्षाओं से नए मामले सामने आने लगे.
कुछ लोगों ने इसके लिए हाल ही में फैली पोलियो महामारी को जिम्मेदार ठहराया, तो कुछ ने भोजन विषाक्तता या गैस रिसाव को. बाद में एक रिपोर्ट में कहा गया कि अधिक सांस लेने की वजह से लड़कियां बेहोश होने लगी थी.
ऐसी विचित्र घटनाओं की स्पष्ट वजह सामने नहीं आ पाती
अचानक से लोगों में सामूहिक असामान्य व्यवहार की प्रवृति के कई मामले अलग-अलग जगहों पर देखे गए हैं. लोग ऐसा क्यों करने लगते हैं, इसका स्पष्ट जवाब आजतक नहीं मिल पाया है.
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