कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी से जुड़े नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस की सुनवाई 21-22 मई को होनी है. दो मई को यंग इंडियन समेत आरोपियों को नोटिस जारी किए गए थे. स्पेशल जज विशाल गोगने पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट पर संज्ञान लेने की दलीलों को परखेंगे. इसके बाद अदालत मूल शिकायतकर्ता और बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी के चार्जशीट की कॉपी के अनुरोध पर विचार करेगी. अदालत ने पहले की सुनवाई में कहा कि यह नजरिया आरोपी के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को कायम रखता है.
कैसे शुरू हुआ पूरा मामला
नेशनल हेराल्ड मामला पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ वित्तीय गड़बड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और संबंधित अपराधों के आरोपों से जुड़ी एक चल रही जांच है. यह पूरा मामला 2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दिल्ली की एक अदालत में दायर निजी शिकायत के बाद खुला था.
स्वामी ने सोनिया और राहुल गांधी पर यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) की ओर से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के अधिग्रहण में धोखाधड़ी, आपराधिक गबन और विश्वासघात का आरोप लगाया था. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नवंबर 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच तेज कर दी और एजेएल और वाईआईएल से जुड़ी 751.9 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली.
नेशनल हेराल्ड क्या है?
नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में जवाहरलाल नेहरू और अन्य लोगों ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को समर्थन देने के लिए की थी. यह अखबार एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा प्रकाशित किया जाता था, जो 1937 में गठित एक गैर-लाभकारी कंपनी थी, जो कौमी आवाज़ (उर्दू) और नवजीवन (हिंदी) भी प्रकाशित करती थी. साल 2008 में AJL ने भारी कर्ज समेत वित्तीय मुश्किलों की वजह से नेशनल हेराल्ड और उसके सहयोगी पब्लिकेशंस का प्रकाशन बंद कर दिया था.
सोनिया और राहुल गांधी का रोल क्या है?
नवंबर 2010 में यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) नाम की एक गैर-लाभकारी कंपनी की स्थापना की गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी मेजॉरिटी शेयरहोल्डर्स थे, जिनमें से हर एक के पास 38 फीसदी शेयर (कुल 76%) थे. YIL की पेड-अप केपिटल 5 लाख रुपये थी. एजेएल को अपना परिचालन जारी रखने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) से ब्याज मुक्त कर्ज के रूप में 90.25 करोड़ रुपये लेने थे.
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साल 2010 में AICC ने YIL को 50 लाख रुपये में यह कर्ज दिया. AJL ने YIL को 9.02 करोड़ इक्विटी शेयर (प्रत्येक का अंकित मूल्य 10 रुपये) जारी किए, जिससे YIL, एजेएल का 99 फीसदी स्वामित्व के साथ मेजॉरिटी शेयरहोल्डर बन गया, जबकि AJL कानूनी रूप से एक स्वतंत्र इकाई बनी रही, YIL ने प्रभावी रूप से इसे कंट्रोल कर लिया.
कांग्रेस कमेटी ने 50 लाख का लोन ट्रांसफर क्यों किया?
एआईसीसी ने कहा कि एजेएल 90.25 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने में असमर्थ है. एआईसीसी ने वाईआईएल से 50 लाख रुपये लेने के बाद कर्ज माफ करने पर सहमति जताई और इसे एजेएल की वित्तीय तंगी के कारण समझौता मान लिया.
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कॉर्पोरेट पुनर्गठन में कर्ज आवंटन या इक्विटी में कन्वर्जन एक आम बात है. हालांकि ऐसे लेन-देन आम तौर पर रेगुलेटर की निगरानी के तहत होते हैं, जैसे कि भारत में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ऐसे मामलों की निगरानी करता है. AICC की ओर से YIL को लोन ट्रांसफर करने की निगरानी किसी भी रेगुलेटर बॉडी ने नहीं की थी.
क्या इस सौदे में कांग्रेस को घाटा हुआ?
कांग्रेस का दावा है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को कोई वित्तीय घाटा नहीं हुआ, क्योंकि एजेएल को दिया गया लोन ब्याज मुक्त था और इसका मकसद लाभ कमाना नहीं था, बल्कि नेशनल हेराल्ड के वैचारिक लक्ष्यों से जुड़े एक गैर-लाभकारी वेंचर को सपोर्ट करना था.
क्या यंग इंडियन ने 50 लाख रुपये का भुगतान किया?
एजेएल दिवालिया नहीं था, लेकिन उस पर काफी कर्ज था और 2008 में अखबार का प्रकाशन बंद हो गया. एजेएल के पास दिल्ली, मुंबई, लखनऊ और अन्य शहरों में कीमती रियल एस्टेट संपत्तियां थीं. एजेएल के 99% शेयर हासिल करके, वाईआईएल ने इन संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया, जिससे लीजिंग या अन्य तरीकों से रेवन्यू हासिल किया जा सकता है. सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि एजेएल की संपत्ति की कीमत 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है.
क्या एसेट का मूल्यांकन सटीक है?
नवंबर 2023 में, ईडी ने एजेएल की 751.9 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियां कुर्क कीं, जिनमें शामिल हैं: अचल संपत्तियां (661.69 करोड़ रुपये):
- हेराल्ड हाउस, दिल्ली: बहादुर शाह जफर मार्ग पर एक बहुमंजिला इमारत
- बांद्रा प्रॉपर्टी, मुंबई: दो बेसमेंट वाली नौ मंजिला इमारत, लगभग 15,000 वर्ग मीटर
- लखनऊ बिल्डिंग: बिशेश्वर नाथ रोड पर एक संपत्ति
- पंचकूला प्लॉट, हरियाणा: 3,360 वर्ग मीटर का प्लॉट 1982 में आवंटित किया गया और 2005 में पुनः आवंटित किया गया
- इक्विटी शेयर: 90.2 करोड़ रुपये
पटना और इंदौर जैसे शहरों में अतिरिक्त संपत्तियां मौजूद हैं. कांग्रेस ने ईडी के मूल्यांकन पर विवाद करते हुए दावा किया है कि संपत्ति की कीमत लगभग 350 करोड़ रुपये है.
गांधी परिवार पर क्या आरोप हैं?
ईडी ने अपने 2023 के कुर्की आदेश और अप्रैल 2025 की चार्जशीट में आरोप लगाया है कि लोन ट्रांसफर और इक्विटी कन्वर्जव एक मनी लॉन्ड्रिंग प्लानिंग का हिस्सा है. एजेंसी का दावा है कि एआईसीसी के फंड (सार्वजनिक दान सहित) का इस्तेमाल धोखाधड़ी से एजेएल की परिसंपत्तियों का कंट्रोल वाईआईएल को ट्रांसफर करने के लिए किया गया, जिसका स्वामित्व सोनिया और राहुल गांधी के पास है.
ईडी ने आगे आरोप लगाया कि एजेएल, वाईआईएल और एआईसीसी ने वाईआईएल को संपत्ति ट्रांसफर करके एजेएल के मूल शेयरहोल्डर्स और कांग्रेस के दानदाताओं के साथ धोखाधड़ी की है.
क्या गांधी परिवार इन परिसंपत्तियों का मालिक है?
कांग्रेस का कहना है कि AJL के पास अपनी संपत्तियों का स्वामित्व है और YIL, एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में, नेशनल हेराल्ड को पुनर्जीवित करने के लिए बनाई गई थी, न कि वित्तीय लाभ के लिए संपत्ति हासिल करने के लिए. YIL डिविडेंड का पेमेंट नहीं कर सकती है और गांधी परिवार को कोई सीधा वित्तीय लाभ नहीं मिलता है.
अगर आरोप साबित हुए तो क्या होगा?
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दोषी पाए जाने पर आरोपी को सात साल तक जेल की सजा हो सकती है.
क्या गांधी परिवार संकट में है?
वाईआईएल की ओर से एजेएल के शेयरों का 50 लाख रुपये में अधिग्रहण, रेगुलेटरी निगरानी की कमी सहित लेनदेन के औचित्य पर सवाल उठाता है. कांग्रेस को यह स्पष्ट करना होगा कि एजेएल का स्वामित्व उस कंपनी को क्यों दिया गया जिसमें गांधी परिवार की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कई अन्य सवाल भी हैं, जैसे ऋण खरीद के लिए यंग इंडिया लिमिटेड को चुनने की प्रक्रिया क्या थी? एजेएल के मूल शेयरहोल्डर्स की मंजूरी क्यों नहीं ली गई?
क्या ये मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता है?
ईडी का मामला परिस्थितिजन्य सबूतों पर आधारित है, जैसे शेयरहोल्डिंग पैटर्न और लोन ट्रांसफर, न कि गांधी परिवार की ओर से धन की हेराफेरी के सीधे सबूतों पर. अदालतों को अक्सर कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में इरादे और व्यक्तिगत लाभ के ठोस सबूतों की जरूरत होती है. गांधी परिवार का यह बचाव कि उन्हें कोई वित्तीय लाभ नहीं मिला, अभियोजन पक्ष के मामले को परख सकता है.