दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हाल ही में एक ऐसे अपराधी को गिरफ्तार किया है जिसकी कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं लगती. ये है डॉ. देवेंद्र शर्मा, जिसे लोग अब 'डॉक्टर डेथ' के नाम से जानते हैं. एक समय का आयुर्वेदिक डॉक्टर, फिर मानव अंगों की तस्करी का मास्टरमाइंड और आखिर में एक खतरनाक सीरियल किलर. इसने 21 टैक्सी चालकों की बेरहमी से हत्या की, 125 से ज्यादा अवैध किडनी ट्रांसप्लांट में शामिल रहा और जब जेल से पैरोल पर निकला तो पुजारी बनकर छुप गया.
कैसे डॉक्टर बना 'डॉक्टर डेथ'
देवेंद्र शर्मा की कहानी की शुरुआत एक आम आयुर्वेदिक डॉक्टर के रूप में हुई थी. उसने जयपुर से आयुर्वेद में डिग्री ली थी और शुरू में एक गैस एजेंसी के डीलर बनने की कोशिश की. लेकिन भारी घाटा होने के बाद उसका रुझान अपराध की ओर हो गया. 1994 में गैस एजेंसी फेल होने के बाद उसने एक फर्जी गैस एजेंसी चलाई और यहीं से उसका काला कारोबार शुरू हुआ. इसके बाद देवेंद्र ने किडनी ट्रांसप्लांट का अवैध धंधा शुरू किया. उसने कबूला कि 1998 से 2004 के बीच उसने करीब 125 अवैध किडनी ट्रांसप्लांट कराए. इस रैकेट में देशभर के कई डॉक्टर और बिचौलिए शामिल थे. हर एक किडनी के लिए वह 5 से 7 लाख रुपये वसूलता था.
कत्लों का सिलसिला और मगरमच्छों वाली नहर
किडनी रैकेट के साथ-साथ देवेंद्र ने टैक्सी ड्राइवरों को अपना निशाना बनाना शुरू किया. 2002 से 2004 के बीच उसने 21 टैक्सी चालकों की हत्या की बात कबूल की है. उसका तरीका बेहद खौफनाक था — वह ड्राइवरों को लूटने के बाद उनकी हत्या कर देता और फिर शवों को उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में स्थित हजारा नहर में फेंक देता, जहां बड़ी संख्या में मगरमच्छ मौजूद थे. शवों के खत्म होने से उसके खिलाफ कोई सबूत भी नहीं बचता.
अपराध की लंबी फेहरिस्त
डॉ. देवेंद्र शर्मा के खिलाफ दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में 27 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. वह कई बार गिरफ्तार हुआ और अदालतों से उसे अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई. साल 2004 में जयपुर में एक टैक्सी चालक की हत्या के केस में उसे उम्रकैद मिली. 2007 में फरीदाबाद में एक और हत्या के मामले में सजा हुई और 2008 में गुड़गांव की अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई. हालांकि बाद में यह सजा उम्रकैद में तब्दील हो गई.
पैरोल पर बाहर आया और बन गया पुजारी
जेल में सजा काट रहे देवेंद्र को जून 2023 में दो महीने की पैरोल दी गई थी, लेकिन पैरोल खत्म होने के बाद वह वापस जेल नहीं लौटा. इसके बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसकी तलाश शुरू की.
करीब 9 महीने की कड़ी मेहनत और तकनीकी निगरानी के बाद पता चला कि देवेंद्र शर्मा राजस्थान के दौसा जिले में एक आश्रम में पुजारी बनकर रह रहा है. वह वहां भगवा वस्त्र पहनकर पूजा-पाठ करता था और लोगों को प्रवचन देता था.
कैसे हुआ गिरफ्तार
क्राइम ब्रांच ने विशेष रणनीति बनाकर दौसा स्थित उस आश्रम में टीम भेजी. कुछ अधिकारी श्रद्धालुओं के वेश में पहुंचे और आश्रम की गतिविधियों पर नजर रखी. जब पुष्टि हो गई कि वही व्यक्ति डॉक्टर देवेंद्र शर्मा है, तो उसे दबोच लिया गया. गिरफ्तारी के वक्त वह पूरी तरह से साधु के रूप में रह रहा था. उसका हुलिया पूरी तरह बदल चुका था, लेकिन पुलिस को चकमा नहीं दे पाया.
फिर से सलाखों के पीछे
गिरफ्तारी के बाद देवेंद्र को दिल्ली लाया गया और वापस जेल भेजा गया. दिल्ली पुलिस ने उसे दोबारा पैरोल जंप करने, अदालत की अवमानना और भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया भी शुरू की है.