संयुक्त राष्ट्र की एक नई मानवाधिकार रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर कोरिया में विदेशी टीवी शो, खासकर दक्षिण कोरियाई ड्रामा देखने या बांटने पर मृत्युदंड दिया जाता है. 2014 के बाद से देश में निगरानी और दमन में तेज़ी आई है, जिससे हालात और खराब हुए हैं. कोविड-19 के बाद राजनीतिक अपराधों के लिए फांसी की संख्या बढ़ी है.
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UN रिपोर्ट में उत्तर कोरिया की कड़ी निगरानी और विदेशी टीवी पर प्रतिबंध को लेकर कई गुप्त जानकारियां हुईं उजागर (Photo: AP)
North Korea people execution UN report: नॉर्थ कोरिया पूर्व एशिया में स्थित ऐसा देश है, जहां की ज्यादातर खबरें पूरी दुनिया तक नहीं पहुंच पाती हैं. तानाशाह किम जोंग उन अपने नागरिकों पर जो जुल्म करते हैं, उस पर संयुक्त राष्ट्र (UN) की रिपोर्ट से पर्दा उठ गया है. संयुक्त राष्ट्र के एक मानवाधिकार रिपोर्ट के अनुसार, नॉर्थ कोरिया में विदेशी टीवी शो, ख़ासकर साऊथ कोरिया ड्राम को देखने या उसे शेयर पर लोगों को मृत्युदंड दिया है.
रिपोर्ट में बताया गया कि 2014 के बाद जब से टेक्नोलॉजी में ज्यादा एडवांसमेंट (प्रगति) हुई है, तब से निगरानी को और व्यापक स्तर पर तेज कर दी गई है. साथ ही दंड भी कठोर कर दिया गया है. अब तो विदेशी टीवी शो देखने या उसे साझा करने पर मृत्युदंड तक प्रावधान है.
नॉर्थ कोरिया के नियम और क़ानून दुनिया में सबसे कठोर हैं. इसलिए यह देश के सबसे सख्त देशों में से एक है. UN की 14 पेज रिपोर्ट 300 से ज्यादा गवाहों और शरणार्थियों के इंटरव्यू पर आधारित है.
संयुक्त राष्ट्र के उत्तर कोरिया मानवाधिकार कार्यालय के प्रमुख जेम्स हीनन ने जेनेवा में बताया कि कोरोना काल के समय के प्रतिबंधों के बाद सामान्य और राजनीतिक अपराधों के लिए मृत्युदंड की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है.
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जेम्स हीनन ने बताया कि विदेशी टीवी शो, ख़ासकर साउथ कोरिया के शो को देखने और उसे शेयर करने पर कई लोगों को अब तक मृत्युदंड दिया जा चुका है. यहां तक की इसमें कुछ बच्चे भी शामिल हैं.
UN की रिपोर्ट से निष्कर्ष निकाला गया कि 2015 के लागू कानूनों के तहत लोगों पर और सख्ती बढ़ा दी गई है और नागरिकों के जीवन के हर हिस्से में निगरानी की जा रही है.
UN की ये रिपोर्ट क़रीब 10 सालों बाद आई है. 2014 में आई रिपोर्ट में UN ने बताया था कि नॉर्थ कोरिया ने मानवता के ख़िलाफ़ अपराध किए हैं. ये जो नई रिपोर्ट आई है, वह 2014 के बाद की घटनाओं पर आधारित है.
रिपोर्ट में कुछ सुधारों के बारे में भी बताया गया है. जैसे - जेलों में गार्डों की हिंसा पहले से थोड़ी कम हुई है और अब न्यायपूर्ण परीक्षा की गारंटी देने वाले कानून बने हैं.
इनपुट: रॉयटर्स
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