नोएडा: महिला वकील को कई दिनों तक रखा डिजिटल अरेस्ट, ठग लिए 3 करोड़ 29 लाख रुपये

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उत्तर प्रदेश में नोएडा के गौतम बुद्ध नगर में 72 साल की एक वकील काफी बड़ी साइबर ठगी का शिकार हो गई. साइबर ठगों ने उन्हें कई दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखकर उनसे 3.29 करोड़ रुपये लूट लिए. पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी है.

'आपके अकाउंट से हो रही गैंबलिंग और...'

साइबर अपराध पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी के अनुसार, पीड़िता हेमंतिका वाही ने मंगलवार को दर्ज अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि 10 जून को उन्हें एक फोन आया था, इसमें कॉलर ने बताया कि उनके आधार कार्ड का उपयोग करके चार बैंक खाते खोले गए हैं. इस संबंध में मामला दर्ज किया गया है. कॉल करने वाले ने उन्हें बताया कि इन खातों में मिले पैसों का इस्तेमाल जुआ, ब्लैकमेलिंग, हथियारों की अवैध खरीद आदि के लिए किया गया है. आगे उन्हें एक फोन नंबर भी दिया. 

'पुलिस स्टेशन' से आने लगी कॉल

वकील ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने उस नंबर पर संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि वह एक गंभीर अपराध में शामिल हैं. अधिकारी ने कहा कि महिला के अनुसार, इसके बाद उन्हें एक फर्जी पुलिस स्टेशन से कॉल आने लगे और उनसे बैंकों में जमा राशि का विवरण मांगा गया और कई दिनों तक उन्हें 'डिजिटल अरेस्ट' में रखकर  उनसे 3.29 करोड़ रुपये की ठगी कर ली गई. 

75 साल के बुजुर्ग से हुआ था 49.5 लाख का फ्रॉड

गौरतलब है कि डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन फ्रॉड के मामले इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि आए दिन करोड़ों की ठगी सामने आ रही है. पुलिस उपायुक्त (साइबर अपराध) प्रीति यादव ने बताया कि इस मामले के अलावा नोएडा के एक अन्य मामले में साइबर अपराधियों ने 75 वर्षीय एक व्यक्ति को 12 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखकर उससे 49.5 लाख रुपये ठग लिए. 

उन्होंने बताया कि सेक्टर 29 निवासी राजीव कुमार ने मंगलवार रात थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि 18 जून को उनके लैंडलाइन पर एक कॉल आई. कॉल करने वाले ने कहा कि उनके फोन नंबर और आधार कार्ड का इस्तेमाल कर चार बैंक खाते खोले गए हैं, जिनका इस्तेमाल मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है और उनका फोन नंबर दो घंटे में बंद हो जाएगा.

यादव ने बताया कि उनके अनुसार, जब बुजुर्ग व्यक्ति ने जालसाजों से मामले से बाहर निकालने का अनुरोध किया, तो आरोपियों ने गोपनीय समझौते की बात कही और कहा कि वह किसी से कोई जानकारी साझा न करें, अपनी पत्नी को अपने पास रखें और अपने बच्चों को भी इस बारे में कुछ न बताएं. पीड़ित ने पुलिस को बताया कि उसे 18 जून से 30 जून तक उनको 'डिजिटल गिरफ्तारी' में रखा गया और इस दौरान मदद करने के बहाने आरोपियों ने तीन किस्तों में उनके विभिन्न खातों में 49.50 लाख रुपये जमा करा लिए.

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