परमाणु समझौैते के लिए अमेरिका ने रखी ऐसी शर्त, भड़के खामेनेई बोले, 'यह अपमानजनक'

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अमेरिका और ईरान के बीच चल रही परमाणु वार्ता से कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है. यूरेनियम संवर्धन को लेकर दोनों देशों में तनातनी मची है और इसी बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई अमेरिका पर भड़क गए हैं. खामेनेई का कहना है कि अमेरिका ईरान को यूरेनियम संवर्धन से रोक रहा है जो उसके लिए अपमानजनक है. उनका कहना है कि परमाणु समझौते के लिए अमेरिका ईरान के सामने बहुत ज्यादा शर्तें रख रहा है.

ईरान की सरकारी मीडिया ने इसकी जानकारी दी है जिसके मुताबिक, खामेनेई इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि अमेरिका-ईरान के बीच परमाणु समझौता वार्ता किसी नतीजे पर पहुंचेगी.

खामेनेई ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता का कोई नतीजा निकलेगा. मुझे नहीं पता कि क्या होगा.' खामेनेई ने कहा कि अमेरिका को वार्ता में परमाणु समझौते के लिए ईरान से अधिक मांग करने से बचना चाहिए.

अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर चार दौर की वार्ता हो चुकी है. पांचवें दौर की वार्ता रोम में सप्ताहांत में हो सकती है. लेकिन बावजूद इसके, समझौते को लेकर अभी तक कुछ अहम नहीं हो पाया है. अमेरिका और ईरान, दोनों ही परमाणु संवर्धन के मुद्दे पर आपस में भिड़ गए हैं.

ईरान के मंत्री को भी वार्ता से नहीं कोई उम्मीद

ईरान के राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री माजिद तख्त-रवांची ने सोमवार को साफ कह दिया था कि अगर अमेरिका इस बात पर जोर देता है कि उनका देश घरेलू स्तर पर यूरेनियम संवर्धन से दूर रहे, तो वार्ता विफल हो जाएगी. अमेरिका का कहना है कि यूरेनियम संवर्धन करने के बाद ईरान परमाणु बम बना सकता है और इसलिए उसने ईरान के यूरेनियम संवर्धन को नियंत्रित करने की कोशिश की है. वहीं, ईरान का कहना है कि उसका न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है.

मंगलवार को ईरान के कानून और अंतररष्ट्रीय मामलें के उप विदेश मंत्री काजम गरीबाबादी ने कहा था कि ईरान को अमेरिका से एक प्रस्ताव मिला है और वह उस पर विचार कर रहा है. पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि ईरान को 'जल्दी से कदम उठाने की जरूरत है, नहीं तो कुछ बुरा होने वाला है.'

अमेरिकी राष्ट्रपति ने बार-बार ईरान को चेतावनी दी है कि अगर वो अपने विवादित न्यूक्लियर प्रोग्राम को सुलझाने के लिए समझौता नहीं करता है तो उस पर बमबारी की जाएगी और उसे कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा.

ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल (2017-2021) के दौरान ईरान के साथ 2015 में परमाणु समझौता किया था. इस समझौते के तहत ईरान पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटा दिया गया और इसके बदले में यूरेनियम संवर्धित करने की उसकी गतिविधियों पर सख्त पाबंदी लगा दी गई.

ट्रंप ने 2018 में ईरान के साथ परमाणु समझौते के एकतरफा तरीके से रद्द कर दिया था और एक बार फिर से ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए गए थे. प्रतिबंधों के जवाब में ईरान ने अपने परमाणु संवर्धन क्षमता को बढ़ा दिया था.

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