बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) की सियासी तपिश बढ़ने के साथ ही विकासशील इंसान पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी की सियासत किस करवट बैठेगी, इस पर सस्पेंस गहराता जा रहा है. मुकेश सहनी ने पहले 60 सीटों की डिमांड रखी और अब महागठबंधन की बैठक से दूरी बना ली है. तेजस्वी यादव के घर पर महागठबंधन की चल रही बैठक में कांग्रेस से लेकर लेफ्ट तक पहुंचे, लेकिन मुकेश सहनी शिरकत नहीं किए. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या सहनी फिर सियासी पाला बदलने की तैयारी में है, क्योंकि एनडीए की तरफ से उन्हें खुला ऑफर दिया जा रहा है.
मुकेश सहनी के तेवर और सियासी अंदाज धीरे-धीरे बगावती होते जा रहे हैं. महागठबंधन में उनकी अपेक्षाएं पूरी करना तेजस्वी यादव के लिए आसान भी नहीं है. सहनी ने डिप्टी सीएम पद के साथ-साथ 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की डिमांड रखी है. महागठबंधन में भले अभी तक सीटों को लेकर बंटवारा ना हुआ हो, लेकिन मुकेश सहनी ने साफ कर दिया है कि 60 सीटों से कम सीट पर चुनाव नहीं लडे़ंगे. उन्होंने इसे अपना पहला एजेंडा बताया. अब बुधवार को जब पटना में महागठबंधन की बैठक हो रही है, तो सहनी दिल्ली में है.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में होने वाली महागठबंधन की बैठक में कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम से लेकर आरजेडी और वाममोर्चा के नेता भी शामिल हैं, लेकिन कोई नहीं पहुंचा तो वो मुकेश सहनी है. हालांकि, मुकेश सहनी ने अपनी जगह पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को जरूर भेजा है.
महागठबंधन की बैठक से मुकेश सहनी की दूरी
बिहार चुनाव को लेकर बुधवार को हुई महागठबंधन की बैठक में मुकेश सहनी के शिरकत नहीं करने के चलते उन्हें लेकर सियासी सस्पेंस गहराता जा रहा है. तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में होने वाली यह बैठक काफी अहम है, क्योंकि इसमें एसआईआर के साथ-साथ महागठबंधन के घटक दलों के बीच में सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा होनी है. ऐसे में मुकेश सहनी के बैठक में शामिल नहीं होने से कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
पटना के बजाय दिल्ली में मुकेश सहनी की मौजूदगी को लेकर क्या एनडीए के साथ कोई बार्गेनिंग कर रहे हैं. हम पार्टी के अध्यक्ष और नीतीश सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन ने मुकेश सहनी को एनडीए में आने का खुला ऑफर दिया है. इसके साथ ही कहा है कि उनके निषाद समुदाय का एनडीए ही भला कर सकती है. महागठबंधन छोड़कर आते हैं तो एनडीए में उनका स्वागत है.
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मुकेश सहनी की मुराद कैसे होगी पूरी?
मुकेश सहनी महागठबंधन में एक के बाद एक मांग करते जा रहे हैं. महागठबंधन में सीट बंटवारे से पहले 60 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इसके अलावा मुकेश सहनी अपने लिए डिप्टी सीएम का पद भी मांग रहे हैं. सहनी लगातार कह रहे हैं कि अगर वो डिप्टी सीएम नहीं बने तो तेजस्वी यादव भी सीएम नहीं बन पाएंगे. इस तरह खुली चुनौती दे रहे हैं, जो महागठबंधन के लिए चिंता का सबब बन रही है.
महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) जैसे पुराने सहयोगी भी हैं. पिछली बार इन दलों ने जितनी सीटों पर चुनाव लड़ा, उसमें कोई भी कमी करने को तैयार नहीं दिख रहा. ऐसे में तेजस्वी के सामने पुराने सहयोगी दलों को साधे रखते हुए नए साथी बने मुकेश सहनी की वीआईपी और पशुपति पारस की एलजेपी है. ऐसे में उनके लिए सीटों का बंदोबस्त सीटों में कटौती किए बगैर संभव ही नहीं.
तेजस्वी यादव के लिए मुकेश सहनी को 60 सीट छोड़िए 10-15 सीटें देने का बंदोबस्त करना भी मुश्किल हो रहा है. मुकेश सहनी का डिप्टी सीएम बनने की ख्वाहिश कैसे पूरी होगी, जब तेजस्वी यादव को महागठबंधन में सीएम का चेहरा बनने के लिए अभी तक कांग्रेस और लेफ्ट रजामंद नहीं है. सहनी के तेवर और अंदाज बगावती होते जा रहे हैं. इसके अलावा उनकी अपेक्षाएं पूरी करना महागठबंधन के लिए आसान भी नहीं. ऐसे में एनडीए की तरफ से जिस तरह खुला ऑफर दिया जा रहा है, उसके चलते भी सहनी पर सस्पेंस गहरा गया है.
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एनडीए से सहनी को मिला खुला ऑफर...
मुकेश सहनी को महागठबंधन छोड़कर एनडीए में आने का खुला ऑफर दिया जा रहा है. जीतनराम मांझी के सियासी वारिस और नीतीश सरकार के मंत्री संतोष सुमन ने कहा कि मुकेश सहनी महागठबंधन से ऊब चुके हैं, जहां उन्हें अपेक्षित सम्मान और मौका नहीं मिल रहा. ऐसे में अगर वो एनडीए में आना चाहते हैं, तो उनका खुले दिल से स्वागत होगा.
संतोष सुमन ने साथ ही कहा कि मुकेश सहनी जिस समाज से आते हैं, वो निषाद समाज एनडीए के साथ मजबूती से खड़ा है. ऐसे में मुकेश सहनी को अपनी राजनीतिक पारी को आगे बढ़ाना है तो उन्हें महागठबंधन के बजाय एनडीए के साथ जुड़ना चाहिए. इसके अलावा बीजेपी और जेडीयू की तरफ से भी इशारों-इशारों में मुकेश सहनी को साथ आने का ऑफर दिया जा रहा है.
क्या फिर बदलेंगे पाला मुकेश सहनी?
मुकेश सहनी ने 2020 में भी महागठबंधन में 25 सीटें और डिप्टी सीएम का पद मांगा था. जब उन्हें पता चला कि उनकी ये इच्छा पूरी नहीं होगी तो प्रेस कॉफ्रेंस बीच में छोड़कर महागठबंधन से नाता तोड़ लिया था. इसके बाद वो एनडीए का हिस्सा बने थे और बीजेपी ने उन्हें अपने कोटे से 11 विधानसभा सीटें दी थी. 2020 में 11 सीटों पर लड़ कर वीआईपी ने 2020 में 4 सीटें जीती थीं और मकेश सहनी एमएलसी बने थे. दो साल तक नीतीश सरकार में मंत्री रहने के बाद उनके चारो विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे.
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मुकेश सहनी पांच साल बाद फिर उसी नक्श-ए-कदम पर हैं. इस बार सहनी की डिमांड पिछले चुनाव से भी ज्यादा है, जिसे पूरा करना महागठबंधन के लिए आसान नहीं है. ऐसे में अगर उनकी मन की मुराद पूरी नहीं हुई तो क्या फिर महागठबंधन से नाता तोड़ेंगे, क्योंकि एनडीए की तरफ से उन्हें खुला ऑफर दिया जा रहा है. मुकेश सहनी विधानसभा चुनावों से पहले अपनी राजनीतिक दिशा को लेकर मंथन में लगे हुए हैं.
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