भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों का इतिहास लंबा रहा है.तनावग्रस्त रिश्तों के बीच स्वस्थ संबंधों की बात काल्पनिक ही नहीं बल्कि मूर्खतापूर्ण भी होती है. हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों को लेकर इस तरह की रणनीति के के 2 पहलू हैं. पहला विचार यह है कि अगर पाकिस्तान हमारे यहां आतंकी कार्रवाई में शामिल है और निर्दोष भारतीयों का खून बहाने में उसे मजा आ रहा है तो किस तरह हम उसके साथ सांस्कृतिक और खेल संबंधी रिश्ते बहाल कर सकते हैं. एक तरफ पाकिस्तान खिलाड़ी और फिल्म कलाकार भारत के खिलाफ जहर उगलते रहें तो किस आधार पर हम उनके साथ सामान्य संबंध बनाने की कोशिश करें?
दूसरा पहलू यह है कि सामाजिक, सांस्कृतिक और खेलों के जरिए ही शुष्क रिश्तों को मधुर बनाया जा सकता है. हम अपना पड़ोसी तो नहीं बदल सकते हैं इसलिए हमें यह कोशिश हमेशा करनी होगी कि किसी तरह रिश्ते मधुर बन सकें.
पाकिस्तानी कलाकारों के इंस्टाग्राम अकाउंट्स पर भारत में लगाए गए प्रतिबंध को पहले हटाया गया और फिर तुरंत बाद पुनः उन प्रतिबंधों को लागू कर दिया गया. इसके साथ ही, पाकिस्तानी हॉकी टीम को भारत में होने वाले किसी आयोजन के लिए मंजूरी देने की खबरें भी सामने आई हैं. जाहिर है कि इस तरह की बातों से देश की बहुसंख्य जनता इमोशनली हर्ट हुई है. या तो खुलकर सरकार को सामने आना चाहिए और यह कहना चाहिए कि पाकिस्तान से रिश्ते हम सुधारने के लिए हमें कुछ कदम उठाना है. क्योंकि जब बातें इधर उधर से जनता के सामने आती हैं तो बातों का गलत मतलब निकालने से कोई रोक नहीं पाता है.
हो सकता है कि भारत सरकार अतंरराष्ट्रीय स्तर पर किसी रणनीति के तहत के ऐसा कर रही हो पर जाहिर है कि इस तरह की घटनाओं से यह भी सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार की नीतियां वर्तमान दौर के लिए असंगत हैं?
भारत-पाकिस्तान संबंध और बैन की शुरुआत
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण सीमा पार आतंकवाद रहा है. 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए ने दोनों देशों के बीच तनाव को इतना बढ़ा दिया कि युद्ध की नौबत आ गई. इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की सहयोगी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी. भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने के अलावा इंडस वॉटर ट्रीटी को स्थगित कर दिया. भारत सरकार ने निर्देश जारी करके पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया. इतना ही नहीं भारत सरकार ने पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर प्रतिबंध भी लगा दिया था. यह इसलिए भी जरूरी हो गया था क्योंकि पाकिस्तानी कलाकार अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स से लगातार भारत के खिलाफ जहर उगल रहे थे.
पर घोर आश्चर्य तब हुआ जब बिना किसी सरकारी फैसले के 2 जुलाई 2025 को देखा गया कि कुछ पाकिस्तानी कलाकारों जैसे मावरा होकेन, युमना जैदी, और दानिश तैमूर के इंस्टाग्राम अकाउंट्स और कुछ यूट्यूब चैनल जैसे हम टीवी और ARY डिजिटल भारत में फिर से दिखाई देने लगे. जाहिर है कि इस अप्रत्याशित बदलाव ने सोशल मीडिया पर चर्चा छिड़ गई. कई भारतीयों ने इसे सरकार की नीति में नरमी के रूप में देखा. ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन (AICWA) ने इस कदम की कड़ी आलोचना की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इसे शहीद सैनिकों का अपमान करार दिया.
मात्र 24 घंटे बाद, 3 जुलाई 2025 को, इन अकाउंट्स पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया. सरकार ने इसे तकनीकी गड़बड़ी करार दिया पर किसी तरह का कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया. जाहिर है कि इस घटना की आलोचना होनी ही थी. कुछ लोगों ने इसे दबाव पड़ने पर सरकार का यू टर्न माना. यह भी सवाल सवाल उठा कि कि क्या यह वास्तव में तकनीकी गलती थी, या सरकार की नीतियों में असंगति का परिणाम?
पाकिस्तानी हॉकी टीम को मंजूरी
इसी बीच, कोढ़ में खाज वाली स्थिति तब हो गई जब यह खबर सामने आई कि पाकिस्तानी हॉकी टीम को भारत में किसी आयोजन के लिए मंजूरी दी गई है. हालांकि, इस मंजूरी के विवरण स्पष्ट नहीं हैं, और यह निर्णय भारत-पाकिस्तान के बीच खेल आयोजनों को लेकर चल रही तनातनी के बीच लिया गया है. अभी कुछ दिन पहले पाकिस्तानी कलाकारों के काम करने के चलते पंजाबी पॉप सिंगर दिलजीत दोसांझ की फिल्म सरदार जी 3 को भारत में रिलीज नहीं किया गया. विरोध के चलते फिल्म को पाकिस्तान और कई देशों में तो रिलीज किया गया पर भारत में नहीं. अभी यह मुद्दा चल ही रहा था कि यह खबर आ गई कि पाकिस्तानी हॉकी टीम भारत आ रही है. भारत ने पहले ही 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले का पालन किया था, जिसमें पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध को हटाने की बात कही गई थी, लेकिन पहलगाम हमले के बाद फिर से सख्ती बरती गई. हॉकी टीम को मंजूरी देना इस सख्ती के विपरीत प्रतीत होता है, जिससे सरकार की नीतियों पर असंगति का आरोप लग रहा है.
क्या सरकार कन्फ्यूज है?
भारत सरकार ने हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा को तरजीह दी है. पहलगाम हमले के बाद, पाकिस्तानी कलाकारों और यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध को राष्ट्रीय सुरक्षा और जनभावनाओं की रक्षा के लिए उठाया गया कदम माना गया. हालांकि, खेल और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को अक्सर तनाव कम करने का माध्यम माना जाता है. कुछ लोगों का कहना है कि हॉकी टीम को मंजूरी देना इस दिशा में एक कदम हो सकता है, लेकिन यह जनता के एक वर्ग में भ्रम पैदा करता है.
सरकार ने सोशल मीडिया अकाउंट्स के फिर से दिखने को तकनीकी गड़बड़ी बताया, पर ऐसा लगता नहीं है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह सरकार की आंतरिक नीतिगत असमंजस का परिणाम हो सकता है. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों जैसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय, गृह मंत्रालय आदि के शाश्वत समन्वय की कमी रही है. इसलिए यह संभव है कि यह गलती सरकार की ओर से ही हुई हो. दूसरे, यह भी संभव है कि सरकार ने जनता की प्रतिक्रिया को भांपने और पाकिस्तान के प्रति देशवासियों की नाराजगी का आकलन करने के लिए प्रतिबंध को अस्थायी रूप से हटाया हो.
पहलगाम हमले के बाद, भारतीय जनता में पाकिस्तान के प्रति गुस्सा स्पष्ट था. AICWA जैसे संगठनों ने इस भावना को भुनाते हुए सरकार पर दबाव बनाया. सोशल मीडिया पर भी कई यूजर्स ने प्रतिबंध हटाने की आलोचना की, जिसके बाद सरकार ने तुरंत एक्शन ले लिया. इसलिए यह दर्शाता है कि सरकार जनभावनाओं के प्रति संवेदनशील है, लेकिन इसके चलते सरकार की किरकिरी तो हुई ही है.
क्या सरकार की कूटनीतिक रणनीति है?
खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों को लेकर सरकार का रुख अलग-अलग रहा है. ऐसा कई बार हुआ है कि भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट टीम के मैच पर बैन रहा है जबकि सांस्कृतिक रूप से दोनों देश जुड़े हुए थे. पहलगाम अटैक के पहले काफी कुछ ऐसा ही था. हां, कलाकारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक करने का कदम पहली बार उठाया गया, जो एक प्रतीकात्मक कदम था. इसके साथ ही इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि हॉकी टीम को मंजूरी देना अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों और कूटनीति का हिस्सा हो सकता है.
बहुत से लोग मान रहे हैं कि सरकार की नीतियां असंगत नहीं, बल्कि रणनीतिक हैं. प्रतिबंध हटाना और फिर लगाना एक संदेश हो सकता है कि भारत अपनी शर्तों पर कूटनीति के लिए तैयार है. हॉकी टीम को मंजूरी देना भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह दिखाने का प्रयास हो सकता है कि भारत खेल जैसे क्षेत्रों में खुलेपन का समर्थन करता है, बशर्ते यह राष्ट्रीय हितों के खिलाफ न हो.
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