पुणे में आयकर निदेशालय ने बड़ा खुलासा करते हुए 500 करोड़ रुपये के टैक्स रिफंड घोटाले का पर्दाफाश किया है. यह घोटाला पेशेवरों के एक गिरोह ने मिलकर किया, जो खुद को रिफंड विशेषज्ञ बताकर लोगों को झांसा देते थे.
जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने पांच साल से अधिक समय तक काम किया और 10,000 से ज्यादा आयकर रिटर्न दाखिल किए. इनके निशाने पर ज्यादातर प्राइवेट और मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले सैलरीड कर्मचारी थे.
टैक्स रिफंड घोटाले का पर्दाफाश
गिरोह अपने क्लाइंट्स को असामान्य रूप से ज्यादा टैक्स रिफंड दिलाने का लालच देता था. रिटर्न की जांच में एक जैसा पैटर्न सामने आया. ज्यादातर मामलों में हाउसिंग लोन का ब्याज और मूलधन चुकौती, मेडिकल खर्च, इंश्योरेंस प्रीमियम, शिक्षा ऋण और एचआरए जैसे दावों को बढ़ा-चढ़ाकर या पूरी तरह फर्जी दिखाया गया. इन दावों के लिए कोई दस्तावेज नहीं दिए गए थे.
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह कोई इक्का-दुक्का मामला नहीं बल्कि एक संगठित रैकेट था, जिसने पुराने फाइलिंग सिस्टम की खामियों का फायदा उठाया. अब इन खामियों को मौजूदा व्यवस्था में दूर किया जा चुका है.
मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले थे निशाने पर
आयकर विभाग ने पेशेवरों पर कार्रवाई शुरू कर दी है और अब उन टैक्सपेयर्स की पहचान की जा रही है जिन्होंने इस धोखाधड़ी से फायदा उठाया. विभाग ने साफ किया है कि करदाता जिम्मेदारी से नहीं बच सकते और उन पर जुर्माना व मुकदमा चलाया जाएगा.
अधिकारियों के अनुसार, यह हाल के वर्षों में पकड़े गए सबसे बड़े रिफंड घोटालों में से एक है. पहले भी पैन, टीडीएस क्रेडिट और फर्जी ट्रस्ट से जुड़ी गड़बड़ियां सामने आई थीं, लेकिन पुणे का यह मामला पैमाने और संगठन के लिहाज से अलग है.
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