भारत के खिलाफ पाकिस्तान हर बार सीधी जंग में मुंह की खाता आया है. लेकिन उसके नापाक मंसूबे लगातार जारी हैं, जिसके तहत वह आतंकियों की मदद कर उन्हें भारत के खिलाफ खड़ा करता है और प्रॉक्सी वॉर का सहारा लेता है. इसी तरह जासूसों को तैयार कर भारत की सीक्रेट जानकारी को निकालना उसकी स्टेट पॉलिसी का हिस्सा है. इसका जिम्मा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI को सौंपा गया है.
पैसों का लालच देकर फंसाया
भारत में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के बाद लगातार ऐसे लोगों की गिरफ्तारी हो रही है, जिनपर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप हैं. यह बात भी सामने आई है कि इन जासूसों को 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद एक्टिव किया गया था और ये पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के संपर्क में थे. इनमें से कुछ को पैसों का लालच देकर फंसाया गया तो कुछ नाम और शोहरत पाने के लिए देश से गद्दारी करने के लिए तैयार हो गए.
ज्योति के जासूसी कांड के बाद हरियाणा के नूंह से गिरफ्तार एक आरोपी ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. उसने बताया कि वह दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारी आसिफ बलोच को देश की सैन्य गतिविधियां और खुफिया सूचनाएं भेजता था. उसने बताया कि बदले में आसिफ समय-समय पर उसे पैसे देता था. दिल्ली दूतावास से आसिफ का तबादला होने के बाद दूसरे कर्मचारी जाफर से उसकी मुलाकात हुई थी और फिर वह उसे सीक्रेट इन्फो भेजने लगा.
जासूसी के लिए हनीट्रैप का सहारा
इसी तरह साल 2023 में महाराष्ट्र एटीएस ने DRDO के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर को पुणे से गिरफ्तार किया था. कुरुलकर डीआरडोओ में बतौर वैज्ञानिक तैनात थे. उनपर आरोप था कि उन्होंने हनीट्रैप में फंसकर पाकिस्तान को खुफिया जानकारी मुहैया कराई. इस मामले की चार्जशीट में कहा गया था कि प्रदीप कुरुलकर पाकिस्तानी महिला एजेंट के झांसे में आ गए, जिसने अपना नाम 'जारा दासगुप्ता' बताया था. चार्जशीट के मुताबिक पाकिस्तानी एजेंट ने साइंटिस्ट प्रदीप कुरुलकर से डिफेंस प्रोजेक्ट के अलावा भारतीय मिसाइल सिस्टम के बारे में जानकारी जुटाई थी.
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इसके अलावा साल 2022 में एक क्लर्क रवि चौरसिया को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उनपर पाकिस्तानी महिला ISI एजेंट के हनीट्रैप में आकर भारत के सरकारी गोपनीय दस्तावेज भेजने के आरोप थे. आरोपी ने पुलिस को बताया कि जब वह रक्षा मंत्रालय से जुड़े एक कारखाने में बतौर क्लर्क काम कर रहा था, तब उसकी मुलाकात फेसबुक पर एक महिला से हुई. उसने अपना नाम शांदी शर्मा बताया था. उससे बातें होने लगीं और धीरे-धीरे प्यार हो गया. क्लर्क ने मोबाइल से रक्षा उपकरणों की फोटो उस महिला को भेजी थीं और इसके बदले उसे पैसे भी मिले थे.
ब्लैकमेलिंग के जरिए बनाया मोहरा
इन मामलों से साफ है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI पैसे का लालच देकर और हनीट्रैप के जरिए जासूसी के लिए भारत में अपने मोहरे तैयार करती है. पाकिस्तानी एजेंट अपनी पहचान छिपाकर सोशल मीडिया के जरिए ऐसे लोगों से संपर्क करते हैं, जिनसे सीक्रेट जानकारी हासिल की जा सकती हो. इनमें वैज्ञानिक, सैन्य कर्मचारी से लेकर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शामिल होते हैं. कई बार ऐसे लोगों की मजबूरी का फायदा भी उठाया जाता है, मसलन किसी को पाकिस्तान वीजा देने के लालच में या फिर उसके प्राइवेट फोटो-वीडियो हासिल कर जासूसी के लिए तैयार किया जाता है.
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इसी तरह आतंकी नेटवर्क का सहारा लेकर भी पाकिस्तानी जासूसों की स्लीपर सेल तैयार की जाती है. इसके लिए पहले उन लोगों का ब्रेनवॉश किया जाता है. मिशन से पहले उन्हें ट्रेंड किया जाता है और फिर अलग-अलग शहरों में प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों या फिर वीवीआईपी इलाकों की रेकी के लिए भेजा जाता है. इसके पुराने उदाहरण हमारे सामने हैं, संसद हमले से लेकर देश में हुए कई हमलों से पहले उन इलाके की रेकी की गई थी, ताकि वारदात को अंजाम देते वक्त ज्यादा नुकसान किया जा सके.
पाकिस्तान के मौजूदा हालात जासूसी जैसे पैतरों को आगे बढ़ाने के लिए अनुकूल भी हैं. एक तरफ उसे हाल ही में भारत के हाथों करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है और दूसरी तरफ पूरी दुनिया के सामने उसकी आतंकपरस्ती की पोल खुल चुकी है. सबसे अहम बात मौजूदा पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर पहले खुफिया एजेंसी ISI का चीफ हुआ करता था. भारत विरोधी एजेंडा को आगे बढ़ाने में मुनीर सबसे अव्वल हैं और मुमकिन है कि उन्हीं के इशारों पर ISI भारत में अपना जासूसी नेटवर्क मजबूत करने मे जुटी है.