प्रधानमंत्री ही सस्पेंड, पड़ोसी देश से बढ़ी दुश्मनी... क्यों चर्चा में है भारतीयों का हनीमून ड्रीम डेस्टिनेशन थाइलैंड?

5 days ago 1

थाईलैंड... भारतीयों का पसंदीदा हनीमून डेस्टिनेशन और छुट्टियां गुजारने के लिए परफेक्ट जगह. एक तो भारत से ज्यादा दूर नहीं, विमान का किराया कम, दूजा खूबसूरत समुद्री तट, हजारों साल पुराने मंदिर और जीवंत संस्कृति. थाइलैंड हर मिडिल क्लास भारतीय का ड्रीम डेस्टिनेशन है. लेकिन हाल ही में यह देश राजनीतिक उथल-पुथल और क्षेत्रीय तनाव के कारण सुर्खियों में है. 

अगस्त 2024 में थाईलैंड की सबसे युवा प्रधानमंत्री बनीं 38 वर्ष की पेटोंगटार्न शिनावात्रा को मंगलवार को एक लीक फोन कॉल विवाद के चलते न्यायालय ने निलंबित कर दिया. किसी न्यायालय द्वारा एक प्रधानमंत्री को ही सस्पेंड कर देना लोकतंत्र में अदालती दखल का अभूतपूर्व उदाहरण है. 

इसके बाद आज थाईलैंड को नया प्रधानमंत्री मिलने जा रहा है. थाईलैंड के कार्यवाहक (केयरटेकर) प्रधानमंत्री के रूप में फुमथम वेचायचाई (Phumtham Wechayachai) आज शपथ ले रहे हैं.

सरकार के प्रवक्ता जीरायु होंगसुब ने बुधवार को कहा कि उन्हें महामहिम राजा के समक्ष शपथ दिलाई जाएगी. आइए अब उस विवाद को समझते हैं जिस वजह से शिनावात्रा का निलंबन हुआ है.

शिनावात्रा का जो फोन कॉल लीक हुआ है उसमें उन्होंने अपने ही देश के सेना की आलोचना की थी. इस कॉल में शिनावात्रा कंबोडियाई सीनेट के अध्यक्ष हुन सेन से बात कर रही थीं. ये कॉल 15 जून को किया गया था. इसके बाद इस कॉल को लीक किया गया. 

कंबोडिया के सीनेट प्रेसिडेंट से क्या बात कर रही थीं शिनावात्रा?

न्यूज एजेंसी एपी के अनुसार हुन सेन ने अपने फेसबुक पोस्ट किया और कहा कि उन्होंने बातचीत रिकॉर्ड की है और इसे कम से कम 80 लोगों के साथ शेयर किया है.

इस कॉल में पेटोंगटार्न और हुन सेन एक ट्रांसलेटर के जरिये थाईलैंड-कंबोडिया बॉर्डर टेंशन पर बात कर रहे थे. ये दोनों नेता ये कह रहे थे कि क्या उन्हें घातक झड़प के बाद लगाए गए प्रतिबंधों को हटाना चाहिए?

थाईलैंड में छुट्टी मनाते भारतीय (फोटो-एएफपी)

इस कॉल में निलंबित पीएम पेटोंगटार्न हुन सेन को अंकल कहती हुई सुनी जा सकती हैं. गौरतलब है कि हुन सेन को  पेटोंगटार्न के पिता थाकसिन शिनावात्रा का पुराना मित्र कहा जाता है. 

इस कॉल में पेटोंगटार्न ने हुन सेन से कहा कि वे थाईलैंड के क्षेत्रीय सेना की कमांडर की बात न सुनें. इस कमांडर ने थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद के बारे में सार्वजनिक रूप से कंबोडिया की आलोचना की थी और उन्हें "विरोधी" कहा था. उन्होंने हुन सेन से यह भी कहा कि वे उन्हें बताएं कि वे क्या चाहते हैं और वे उसे मैनेज करने की कोशिश करेंगी. 

गौरतलब है कि इस वक्त हुन सेन के बेटे हुन मानेत (Hun Manet) कंबोडिया के पीएम हैं, वे 22 अगस्त 2023 से इस पद पर हैं. इस तरह से पेटोंगटार्न शिनावात्रा और हुन मानेत न सिर्फ अपनी राजनीति कर रहे हैं बल्कि अपने पिताओं के राजनीतिक विरासत को भी ढो रहे हैं.

थाईलैंड-कंबोडिया का बॉर्डर विवाद

बौद्ध धर्म, रहन सहन और खान पान जैसे कई पहलु थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सांस्कृतिक समानता की लकीर खींचते हैं. लेकिन सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच तनातनी रही है.

नया विवाद कैसे पैदा हुआ?

मई के महीने में एशिया के इन दो पड़ोसियों के बीच तब विवाद पैदा हो गया जब एक थाई सैनिक की फायरिंग में कंबोडिया का जवान मारा गया. 

इस विवाद पर कंबोडिया की सेना ने कहा था कि उनके जवान बॉर्डर पर रुटीन पेट्रोलिंग कर रहे थे तभी थाईलैंड के सैनिकों ने फायरिंग की. इस घटना में एक जवान की जान चली गई. 

10 मिनट तक चले इस झड़प के बारे में  थाई सेना का कहना है कि कंबोडिया के सैनिक विवादित क्षेत्र में घुस गए थे. थाईलैंड के जवान बातचीत से इस विवाद को सुलझाना चाह रहे थे. तभी कंबोडियाई सैनिकों ने फायरिंग शुरू कर दी, इसके जवाब में थाईलैंड आर्मी ने गोली चलाई. 

मई में हुआ ये विवाद दोनों देशों के बीच हालिया तनाव का कारण बना. इस घटना के बाद थाईलैंड ने कंबोडिया के साथ अपनी सीमा पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिसके तहत छात्रों, रोगियों और अन्य आवश्यक जरूरतों वाले लोगों को छोड़कर थाईलैंड में आने-जाने वाले लगभग सभी लोगों पर रोक लगा दी गई है.

इधर कंबोडिया ने थाई फिल्मों और टीवी शो पर प्रतिबंध लगा दिया है, थाई फलों और सब्जियों के आयात को रोक दिया है और अपने पड़ोसी के कुछ अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट लिंक और बिजली आपूर्ति का बहिष्कार किया है. कंबोडिया ने थाईलैंड से ईंधन का आयात भी बंद कर दिया है.

क्या है बॉर्डर की लड़ाई

थाईलैंड और कंबोडिया 800 किलोमीटर से ज्यादा लंबी जमीनी सीमा साझा करते हैं. दोनों देशों बीच सीमा विवाद मुख्य रूप से हिन्दू प्रीह विहार मंदिर और आसपास के क्षेत्र को लेकर है, जो डांग्रेक पर्वतों में स्थित है.

यूरोप के औपनिवेशिक देश अपनी लचर नीतियों की वजह से एशियाई देशों के लिए ऐतिहासिक सीमा विवाद छोड़कर गए हैं. जैसे अंग्रेजों की अस्पष्ट नीतियों की वजह से भारत-पाकिस्तान, भारत-चीन का सीमा विवाद है. 

इसी तरह से फ्रांस कंबोडिया और थाईलैंड के बीच सीमा विवाद छोड़कर गया है. इस विवाद की जड़ में है 1907 में बना एक नक्शा. तब कंबोडिया फ्रांस का उपनिवेश था. 

कंबोडिया इस मानचित्र का उपयोग अपने क्षेत्र पर दावा करने के लिए कर रहा है, जबकि थाईलैंड का तर्क है कि यह मानचित्र गलत है. 

1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना, लेकिन आसपास की 4.6 वर्ग किमी भूमि का मालिकाना हक स्पष्ट नहीं हुआ, जिसे थाईलैंड अपना मानता है. 

2008 में कंबोडिया द्वारा प्रीह विहार को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध करने की कोशिश ने तनाव को और बढ़ाया. इसके बाद 2008-2011 में सैन्य झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 28 लोग मारे गए. 

मई 2025 का विवाद एमराल्ड ट्रायंगल क्षेत्र में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद गरमाया.

कंबोडिया 2011 में एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय गया, एक बार फिर से फैसला कंबोडिया के पक्ष में आया, इससे दोनों देशों के रिश्तों में फिर कड़वाहट आई. 

कंबोडिया प्रीह विहार की तरह दूसरे विवादित क्षेत्रों का भी हल अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से चाहता है. लेकिन थाईलैंड ऐसे मसलों का निदान द्विपक्षीय बातचीत से चाहता है.

इधर कंबोडिया कह चुका है कि उसने इन मामलों का ICJ से हल ले लिया है. इसका कहना है कि वह अब इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करेगा. इस वजह से दोनों देशों के बीच तनाव है.

भारतीयों को थाइलैंड पसंद है

इस विवाद के बीच बता दें कि थाईलैंड भारतीयों का पसंदीदा हनीमून डेस्टिनेशन और घुमने की जगह है. थाईलैंड की वेबसाइट द पटायान्यूज के अनुसार 2024 में 21 लाख भारतीय थाईलैंड घुमने गए. ये 2023 के मुकाबले 23 फीसदी ज्यादा था. थाईलैंड की किफायती यात्रा, आसान वीजा नीति,और भारत से निकटता इसे भारतीयों के लिए पसंदीदा हनीमून बनाती है. 2025 में यहां भारतीय पर्यटकों की संख्या के 25 लाख तक पहुंचने की संभावना है.

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