प्रशांत किशोर को जेडीयू से जुड़ी भविष्यवाणी के कारण कहीं राजनीति छोड़नी तो नहीं पड़ेगी?

4 days ago 1

हर चुनाव में नतीजे आने तक तमाम तरह के दावे किये जाते रहे हैं. नतीजे आने के बाद उनकी चर्चा की भी जरूरत कम ही पड़ती है. ज्यादातर दावे फुस्स हो चुके होते हैं.

बिहार चुनाव को लेकर भी प्रशांत किशोर ने एक बार फिर वैसा ही दावा किया है, जैसा 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर किया था - और ये भी कहा है कि अगर उनकी भविष्यवाणी सही साबित नहीं हुई तो वो राजनीति छोड़ देंगे. 

ऐसे दावे अरविंद केजरीवाल भी करते रहे हैं. अरविंद केजरीवाल तो लाइव टीवी पर इंटरव्यू के दौरान लिखकर भी दे देते हैं, और बाकायदा नीचे दस्तखत भी करते हैं. बिहार में प्रशांत किशोर की राजनीति को भी अरविंद केजरीवाल से मिलती जुलती लाइन पर ही देखा जा रहा है. हालांकि, दोनों में काफी फर्क भी है.  

प्रशांत किशोर ने बिहार में जेडीयू को मिलने वाली संभावित सीटों को लेकर दावा किया है. एक दावा अरविंद केजरीवाल ने गुजरात के विसावदर उपचुनाव के दौरान भी किया था. वैसे जिस तरह का दावा अरविंद केजरीवाल ने किया था, उसकी मियाद अभी पूरी नहीं हुई है. 

अरविंद केजरीवाल का दावा है कि अगर बीजेपी ने बाकियों की तरह आम आदमी पार्टी विधायक गोपाल इटालिया को भी अपने पाले में ले लिया, तो वो राजनीति छोड़ देंगे. प्रशांत किशोर के दावे की समय सीमा बिहार चुनाव के नतीजे आने तक ही है. 

क्या है प्रशांत किशोर का नया चुनावी दावा

जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर का दावा है कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी 25 सीटों पर सिमटने वाली है. 

पहले तो प्रशांत किशोर का दावा रहा है कि बिहार चुनाव के बाद जेडीयू का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा. प्रशांत किशोर ये भी कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार सिर्फ बीजेपी के साथ गठबंधन में ही नहीं रहेंगे, बल्कि जेडीयू का बीजेपी में विलय हो जाएगा.

एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा है, बिहार चुनाव के नतीजे के आने के बाद… यानी नवंबर के बाद नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नहीं होंगे… नवंबर में बिहार को नया मुख्यमंत्री मिलेगा… और इसे आप लिखकर ले लीजिए. 

प्रशांत किशोर ने यहां तक बोल दिया है कि अगर उनकी भविष्यवाणी गलत हुई तो वो राजनीति से संन्यास ले लेंगे. 

पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर ने ऐसा ही दावा बीजेपी की सीटों को लेकर किया था, और उनका दावा सही साबित हुआ था. 

बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर का बंगाल जैसा दावा

पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान बीजेपी को लेकर प्रशांत किशोर का दावा तो बिल्कुल सही निकला, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान वो अपना प्रदर्शन दोहरा नहीं सके थे.

प्रशांत किशोर की कुछ बातें सही भी निकलीं, लेकिन सीटों को लेकर वो फेल हो गये. प्रशांत किशोर ने ये तो कहा था कि न तो बीजेपी को 370 लोकसभा सीटें मिलेंगी, न ही एनडीए का आंकड़ा 400 पार कर पाएगा. प्रशांत किशोर का कहना था, ‘अबकी बार 400 पार’ जैसे स्लोगन कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए होते हैं. 

लोकसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने कहा था, बीजेपी के लिए 370 सीटें हासिल करना असंभव है, लेकिन ये भी निश्चित है कि पार्टी 270 के आंकड़े से नीचे नहीं जा रही है. बोले, मुझे लगता है… बीजेपी पिछले लोकसभा चुनाव में मिली संख्या के बराबर ही सीटें हासिल करने में सफल रहेगी... 303 सीटें या शायद उससे थोड़ा ज्यादा.

प्रशांत किशोर की दलील थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई व्यापक गुस्सा नहीं है. मतलब, प्रशांत किशोर को केंद्र में बीजेपी सरकार के खिलाफ किसी तरह की सत्ता विरोधी लहर की संभावना नहीं दिखी थी - ध्यान रहे, बीजेपी को 240 सीटें ही मिल पाई थी. हालांकि, तब प्रशांत किशोर ने राजनीति छोड़ने जैसा कोई दावा नहीं किया था. 

2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी शत-प्रतिशत सही हुई थी. और, उसी बात का हवाला देते हुए प्रशांत किशोर लोकसभा चुनाव के दौरान कह रहे थे कि पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान भी उनकी बातों पर किसी को भरोसा नहीं हो रहा था. 

प्रशांत किशोर का कहना था, 'मैंने पहले बंगाल के बारे में कहा था... बीजेपी 100 से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी... उस समय मेरी भविष्यवाणी पर किसी को भरोसा नहीं था... फिर भी, जब नतीजे घोषित हुए तो सभी हैरान रह गए... बीजेपी को 77 लोकसभा सीटें ही मिल पाई थीं.

पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर तृणमूल कांग्रेस के लिए कैंपेन कर रहे थे. ममता बनर्जी को बीजेपी ने हर तरफ से घेर लिया था. यहां तक कि नंदीग्राम से वो अपना चुनाव भी हार गईं, लेकिन प्रशांत किशोर की मदद से सत्ता में वापसी हो गई थी. 

तब प्रशांत किशोर ने कहा था कि अगर उनका आकलन गलत साबित हुआ तो वो चुनाव कैंपेन का काम छोड़ देंगे. ये बात अलग है कि दावा सही साबित होने का बाद भी प्रशांत किशोर ने चुनाव कैंपेन का काम छोड़ दिया, और बिहार में जन सुराज अभियान के जरिये राजनीति करने लगे. 

बेशक नीतीश कुमार की सियासी स्थिति काफी नाजुक हो चली है, लेकिन वो पहले से ही सतर्क हैं. 2020 के चुनाव में नीतीश कुमार को केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी ने काफी डैमेज किया था, और नुकसान तो उनको भी हुआ था. चिराग पासवान ने इस बार नया पैंतरा शुरू किया है, कह रहे हैं वो किसी सामान्य सीट से विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे. 

देखना है अगर नीतीश कुमार 25 या उससे ज्यादा सीटें ला दिये तो क्या होता है. प्रशांत किशोर राजनीति छोड़ देते हैं, या अरविंद केजरीवाल की तरह नये मिशन में जुट जाते हैं.

---- समाप्त ----

Read Entire Article