अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति कारोबारी एलॉन मस्क के बीच 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' को लेकर आरपार की लड़ाई चल रही है. रिपब्लिकन पार्टी ने बुधवार को अमेरिकी सीनेट में टैक्स और खर्च से जुड़े इस अहम बिल को पारित कर दिया. इस बिल पर कई घंटे तक बहस चली और आखिर में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के टाई ब्रेकिंग वोट से बिल को मंजूरी मिली. अब यह बिल हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में जाएगा और वहां इसे विरोध का सामना करना पड़ सकता है.
मस्क का अफ्रीका कनेक्शन
सीनेट में पारित होने से पहले ही यह बिल ट्रंप और मस्क के बीच तकरार की सबसे बड़ी वजह बन गया. बीते दिन राष्ट्रपति ने बिल का विरोध करने वाले एलॉन मस्क पर जबरदस्त निशाना साधा और कहा कि मस्क को मानव इतिहास में शायद किसी भी शख्स की तुलना में कहीं ज्यादा सब्सिडी मिली है लेकिन बिना सब्सिडी के उन्हें अपनी दुकान बंद कर वापस साउथ अफ्रीका लौटना पड़ेगा. ट्रंप ने आगे कहा कि इसके बाद रॉकेट, सैटेलाइट लॉन्च या इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन नहीं होगा और हम बहुत सारा पैसा बचा लेंगे. उन्होंने कहा कि DOGE को मस्क को मिलने वाली सरकारी सब्सिडी और कॉन्ट्रैक्ट पर गौर करना चाहिए.
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राष्ट्रपति ट्रंप जो कि एक वक्त में एलॉन मस्क से सबसे अच्छे दोस्त थे, अब उन्हें अफ्रीका लौटने की धमकी क्यों दे रहे हैं. आखिर मस्क का यह अफ्रीका कनेक्शन क्या है? मस्क का जन्म दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया में हुआ था और इसी बुनियाद पर ट्रंप ने उन्हें वापस अपनी जन्मभूमि लौटने की चेतावनी दी है. मस्क के पिता एरॉल मस्क इंजीनियर और प्रॉपर्टी डीलर थे, जबकि उनकी मां मेय मस्क का जन्म तो कनाडा में हुआ, लेकिन उनकी पढ़ाई-लिखाई दक्षिण अफ्रीका में हुई थी.
अफ्रीका में अपार्टहेड के दौर में जन्मे एलॉन मस्क एक अमीर परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके बचपन ऐसे दक्षिण अफ्रीका में बीता जहां नस्लवादी व्यवस्था कायम थी, जिसमें श्वेत लोगों को विशेष अधिकार हासिल थे और उनका खुद का परिवार अपार्टहेड व्यवस्था का कट्टर समर्थक था. मस्क ने प्रिटोरिया में अपनी शुरुअती पढ़ाई पूरी की. लेकिन मस्क ने एक बार कहा था कि स्कूल टाइम में उन्हें बुलिंग का सामना करना पड़ा था.
कनाडा और अमेरिका का सफर
साल 1990 के आसपास 17 साल की उम्र में मस्क ने अपार्डहेड सिस्टम के तहत चली आ रही दक्षिण अफ्रीका की अनिवार्य सैन्य सेवा से बचने के लिए अपनी ननिहाल यानी कनाडा जाने का फैसला किया. उनकी मां एक कनाडाई नागरिक थीं, ऐसे में यह उनके लिए काफी आसान भी रहा. इसके करीब दो साल बाद वह अमेरिका आ गए और यहां उन्होंने पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की. साल 2002 में उन्हें अमेरिका की नागरिकता मिल गई. मौजूदा वक्त में उनके पास अमेरिका, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका तीनों देशों की नागरिकता है.
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दक्षिण अफ्रीका में जन्म के बावूजद मस्क वहां की नीतियों के आलोचक रहे हैं. वह दक्षिण अफ्रीकी में श्वेत नागरिकों के उत्पीड़न का आरोप लगा चुके हैं, यहां तक कि श्वेत किसानों के नरसंहार का दावा भी कर चुके हैं. उन्होंने अपनी कंपनी स्टारलिंक को अफ्रीका में शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन विदेशी कंपनियों में अश्वेत लोगों को हिस्सेदारी देने से जुड़ी पॉलिसी की वजह से उन्हें लाइसेंस नहीं मिल पाया था. इसके बाद मस्क ने अफ्रीका की इक्विटी पॉलिसी को नस्लवादी करार दिया था.
मस्क को डिपोर्ट करेंगे ट्रंप?
डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि वह टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ मस्क को अमेरिका से डिपोर्ट करने की संभावना पर विचार करेंगे. पत्रकारों ने जब मस्क को देश से बाहर निकालने के बारे में पूछा, तो ट्रंप ने जवाब दिया, 'मुझे नहीं पता, हमें इस पर विचार करना होगा.' अरबपति मस्क को ट्रंप की धमकी अलग बात है, लेकिन उन्हें अमेरिका से डिपोर्ट करना आसान नहीं होगा.
अगर ट्रंप इस बारे में कदम उठाते भी हैं तो यह पूरी तरह से राजनीतिक फैसला माना जाएगा. हालांकि कानूनी पहलू से ऐसा करना बहुत मुश्किल है क्योंकि अमेरिकी सरकार को यह साबित करना होगा कि मस्क ने अवैध दस्तावेजों या झूठी जानकारी के सहारे नागरिकता हासिल की है. अमेरिका में बिजनेस टाइकून ने पहले भी एक कंपनी को लेकर हुए विवाद पर साफ किया था कि उनके पास सभी लीगल डॉक्यूमेंट मौजूद हैं.
ट्रंप की मौजूदा धमकी के बाद भी मस्क का रुख शांत है और उन्होंने कहा कि वह इस विवाद को बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं रखते हैं. हालांकि उनका ट्रंप विरोधी रुख अब भी कायम है, जिसमें बिल के अलावा राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन और नई पार्टी बनाने की चेतावनी शामिल है.