दक्षिण भारत में हुई एक ताजा रिसर्च ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. इसके मुताबिक फैटी लिवर अब सिरोसिस के बिना भी लीवर को कैंसर का शिकार बना रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति चिंता बढ़ाने वाली है क्योंकि देश में हर तीसरा व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहा है. आइए जानते हैं कि फैटी लिवर क्या है, इसके पीछे की वजहें क्या हैं और इसका इलाज कैसे संभव है.
क्या है फैटी लिवर और कैसे बनता है खतरा?
रिसर्च के अनुसार हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा नामक लीवर कैंसर अब सिर्फ सिरोसिस से पीड़ित लोगों में ही नहीं बल्कि फैटी लिवर के मरीजों में भी देखा जा रहा है.स्टडी में पाया गया कि करीब एक तिहाई मरीजों में सिरोसिस के बिना ही कैंसर की शुरुआत हुई, जबकि बाकी दो तिहाई में सिरोसिस के बाद यह समस्या उभरी.
पहले यह कैंसर मुख्य रूप से हेपेटाइटिस बी या सी से होने वाले सिरोसिस से जुड़ा माना जाता था लेकिन अब फैटी लिवर एक नई चिंता बनकर उभरा है. एम्स के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. शालीमार बताते हैं, 'फैटी लिवर के शुरुआती चरण में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते, जिससे लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं. ज्यादातर मरीज तब डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, जब सिरोसिस की शिकायत शुरू हो जाती है.' उनका कहना है कि यह स्थिति देश में लीवर कैंसर के मामलों को तेजी से बढ़ा सकती है.
फैटी लिवर क्या है और कैसे होता है?
सर गंगाराम हॉस्पिटल के गैस्ट्रो डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ अनिल अरोड़ा कहते हैं कि फैटी लिवर तब होता है जब लीवर में जरूरत से ज्यादा वसा जमा हो जाती है. लीवर शरीर का वो अहम हिस्सा है जो भोजन को पचाने और अपशिष्ट को बाहर निकालने में मदद करता है. स्वस्थ लीवर में वसा की मात्रा न के बराबर होती है. लेकिन जब कोई व्यक्ति अत्यधिक शराब पीता है या जरूरत से ज्यादा खाता है तो शरीर अतिरिक्त कैलोरी को वसा में बदल देता है. ये वसा लीवर की कोशिकाओं में जमा हो जाती है. अगर लीवर के कुल वजन का 5% से ज्यादा हिस्सा वसा बन जाए, तो इसे फैटी लिवर कहते हैं.
क्या घट रहे हैं हेपेटाइटिस के मामले?
डॉ. शालीमार के अनुसार हेपेटाइटिस बी और सी से होने वाले कैंसर के मामले अब कम हो रहे हैं. इसके पीछे नई दवाएं और इलाज की तकनीकें जिम्मेदार हैं. हालांकि, ये वायरल संक्रमण लंबे समय तक लीवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन समय के साथ इनका इलाज बेहतर हुआ है. दूसरी ओर, फैटी लिवर अब एक नई चुनौती बनकर सामने आया है.
फैटी लिवर के बढ़ते कारण
मोटापा
असंतुलित खानपान
शारीरिक निष्क्रियता और व्यायाम की कमी
डायबिटीज
शराब का अधिक सेवन
हाई कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स
तेजी से वजन घटना
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
इलाज और सावधानियां
डॉक्टरों की सलाह है कि फैटी लिवर को शुरुआती स्टेज में ही कंट्रोल करना जरूरी है. इसके लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और शराब से दूरी बनाना बेहद जरूरी है. अगर स्थिति गंभीर हो जाए तो डॉक्टर दवाओं और जीवनशैली में बदलाव की सलाह दे सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता और समय पर इलाज से इस खतरे को कम किया जा सकता है.
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