सपने में भी आपने कभी सोचा होगा कि एक दिन आप अपने शरीर को एक जगह से दूसरी जगह, दुनिया के किसी भी कोने में, सिर्फ एक बटन दबाकर पहुंचा सकेंगे? नहीं ना? लेकिन 2024 में वैज्ञानिकों ने ऐसा कुछ कर दिखाया, जो इस सपने को हकीकत के करीब ला रहा है.
अभी आप टेलीपोर्ट करके अपने ऑफिस या दादी के घर नहीं पहुंच सकते, लेकिन वैज्ञानिकों ने एक बहुत बड़ा कदम उठाया है, जिसे क्वांटम टेलीपोर्टेशन कहते हैं. और सबसे मजेदार बात? ये सब इंटरनेट की उन तारों में हुआ, जिनसे आप रोज व्हाट्सएप मैसेज भेजते हैं. यूट्यूब पर बिल्लियों के वीडियो देखते हैं.
आइए, इसे आसान और मजेदार तरीके से समझते हैं कि ये क्वांटम टेलीपोर्टेशन है क्या, कैसे काम करता है, और क्यों ये इतना बड़ा कमाल है.
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क्वांटम टेलीपोर्टेशन क्या है?
सबसे पहले, ये समझ लें कि क्वांटम टेलीपोर्टेशन का मतलब आपके शरीर को एक जगह से दूसरी जगह जादू की तरह भेजना नहीं है (कम से कम अभी तो नहीं!). ये एक ऐसी तकनीक है, जिसमें वैज्ञानिक क्वांटम स्टेट (यानी किसी कण की खास जानकारी) को एक जगह से दूसरी जगह भेजते हैं, बिना उसे फिजिकली ले जाए.
आप इसे ऐसे समझिए: मान लीजिए आपके पास एक खास डायरी है, जिसमें आपने कुछ सीक्रेट कोड लिखे हैं. अब आप इस डायरी को अपने दोस्त को देना चाहते हैं, जो 30 किलोमीटर दूर रहता है. लेकिन आप नहीं चाहते कि कोई और इसे देखे.
क्वांटम टेलीपोर्टेशन में, आप उस डायरी की जानकारी को जादुई तरीके से अपने दोस्त की डायरी में ट्रांसफर कर देते हैं, बिना डायरी को कहीं ले जाए. और पुरानी डायरी? वो अपने आप गायब हो जाती है.
2024 में क्या हुआ?
2024 में, अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक प्रेम कुमार और उनकी टीम ने एक बड़ा कारनामा कर दिखाया. उन्होंने पहली बार क्वांटम स्टेट को 30 किलोमीटर लंबी फाइबर ऑप्टिक केबल (जो इंटरनेट चलाने के लिए इस्तेमाल होती है) के जरिए टेलीपोर्ट किया.
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और वो भी तब, जब उसी केबल में 400 गीगाबिट प्रति सेकंड की रफ्तार से इंटरनेट डेटा (जैसे बैंक ट्रांजैक्शन, यूट्यूब वीडियो और टेक्स्ट मैसेज) दौड़ रहा था.
ये ऐसा था जैसे आप एक सुपर नाजुक, चीनी की बनी मिठाई को गंगा नदी के तेज बहाव में डाल दें और वो दूसरी तरफ बिल्कुल सही-सलामत पहुंच जाए. वैज्ञानिकों ने ऐसा करने के लिए कई स्मार्ट ट्रिक्स का इस्तेमाल किया, ताकि वो नाजुक क्वांटम जानकारी खराब न हो.
क्वांटम स्टेट इतना नाजुक क्यों है?
क्वांटम दुनिया बहुत अजीब होती है. हमारे रोजमर्रा के सामान (जैसे गेंद, किताब या आपका फोन) की दुनिया में चीजें साफ होती हैं या तो वो हैं या नहीं हैं. लेकिन क्वांटम की दुनिया में, एक कण (जैसे फोटॉन, जो प्रकाश का छोटा सा हिस्सा होता है) एक साथ कई संभावनाओं में रह सकता है. इसे क्वांटम स्टेट कहते हैं.
लेकिन ये क्वांटम स्टेट बहुत नाजुक होता है. थोड़ी सी गर्मी, बिजली या दूसरी तरंगों का टकराव इसे बर्बाद कर सकता है. इसे डिकोहिरेन्स कहते हैं, यानी क्वांटम स्टेट की वो खासियत खत्म हो जाती है.
इसीलिए, इसे एक जगह से दूसरी जगह भेजना इतना मुश्किल है. और जब बात इंटरनेट की केबल की हो, जिसमें ढेर सारा डेटा दौड़ रहा हो, तो ये काम और भी मुश्किल हो जाता है.
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वैज्ञानिकों ने इसे कैसे किया?
प्रेम कुमार की टीम ने कई स्मार्ट तरीकों का इस्तेमाल किया...
- सही वेवलेंथ चुनना: उन्होंने अपने फोटॉन (प्रकाश के कण) को ऐसी वेवलेंथ पर भेजा, जहां इंटरनेट का डेटा उसका रास्ता न बिगाड़े. इसे ऐसे समझिए कि आपने अपनी नाजुक मिठाई को एक खास रास्ते से भेजा, जहां बाकी चीजें उसे टक्कर न मारें.
- क्वांटम चैनल को अलग करना: उन्होंने फोटॉन के लिए एक खास चैनल बनाया, ताकि वो इंटरनेट डेटा की भीड़ में खो न जाए.
- स्कैटरिंग को कम करना: प्रकाश की किरणें जब दूसरी किरणों से टकराती हैं, तो वो बिखर जाती हैं. वैज्ञानिकों ने ऐसी तरकीबें अपनाईं कि उनका फोटॉन बिखरे नहीं और सही-सलामत पहुंच जाए.
इन सबकी वजह से, वो पहली बार असली इंटरनेट ट्रैफिक के बीच क्वांटम स्टेट को टेलीपोर्ट करने में कामयाब रहे.
क्यों है ये इतना बड़ा कमाल?
आप सोच रहे होंगे कि ये सब तो वैज्ञानिकों का काम है, हमारा इससे क्या लेना-देना? लेकिन जरा सोचिए, इस खोज के क्या-क्या फायदे हो सकते हैं...
- सुपर सिक्योर इंटरनेट: क्वांटम टेलीपोर्टेशन से डेटा भेजने का तरीका इतना सुरक्षित है कि कोई हैकर इसे तोड़ नहीं सकता.अगर कोई कोशिश भी करे, तो क्वांटम स्टेट तुरंत बर्बाद हो जाएगा. हैकिंग का पता चल जाएगा. यानी आपका बैंक पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड डिटेल या पर्सनल चैट्स पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित हो सकते हैं.
- क्वांटम इंटरनेट: ये तकनीक भविष्य में एक क्वांटम इंटरनेट बना सकती है, जो आज के इंटरनेट से लाखों गुना तेज और शक्तिशाली होगा. इससे कंप्यूटिंग, डेटा प्रोसेसिंग और सेंसर टेक्नोलॉजी में क्रांति आ सकती है.
- नई टेक्नोलॉजी: क्वांटम टेलीपोर्टेशन से वैज्ञानिक नए तरह के सेंसर, मेडिकल डिवाइस और सुपरफास्ट कंप्यूटर बना सकते हैं, जो आज की टेक्नोलॉजी से कोसों आगे होंगे.
- पुरानी केबल, नया काम: सबसे बड़ी बात, इसके लिए नई इंटरनेट केबल बिछाने की जरूरत नहीं. वही फाइबर ऑप्टिक केबल, जो आज इंटरनेट चलाती हैं, क्वांटम कम्युनिकेशन के लिए भी काम करेंगी.
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क्या हम सचमुच टेलीपोर्ट कर पाएंगे?
अब वो सवाल, जो आपके दिमाग में बार-बार आ रहा होगा कि क्या मैं सचमुच एक जगह से दूसरी जगह टेलीपोर्ट कर पाऊंगा, जैसे स्टार ट्रेक में होता है? इसका जवाब है अभी नहीं, लेकिन भविष्य में शायद हां.
अभी के लिए, वैज्ञानिक सिर्फ छोटे-छोटे कणों (जैसे फोटॉन) की क्वांटम जानकारी को टेलीपोर्ट कर पा रहे हैं. लेकिन जैसे-जैसे ये तकनीक बढ़ेगी, वैज्ञानिक बड़ी चीजों जैसे अणुओं, फिर शायद जटिल मॉलिक्यूल्स, और एक दिन शायद इंसानों की जानकारी को भी टेलीपोर्ट करने की कोशिश करेंगे.
लेकिन इसके लिए अभी बहुत सारी चुनौतियां पार करनी होंगी, जैसे क्वांटम स्टेट को और बड़े पैमाने पर सुरक्षित रखना और इसे इंसानों के लिए लागू करना.
आगे क्या?
2024 की इस खोज ने दिखा दिया कि क्वांटम टेलीपोर्टेशन सिर्फ किताबों और लैब की बात नहीं रही. ये अब असल दुनिया में काम कर रहा है. वैज्ञानिक अब इस तकनीक को और बेहतर करने की कोशिश करेंगे, ताकि ये और लंबी दूरी तक और ज्यादा डेटा के साथ काम कर सके.
प्रेम कुमार का कहना है कि हमारा काम दिखाता है कि क्वांटम और क्लासिकल नेटवर्क एक ही फाइबर ऑप्टिक सिस्टम में साथ-साथ काम कर सकते हैं. ये क्वांटम कम्युनिकेशन को अगले लेवल तक ले जाने का रास्ता खोलता है.
तो, क्या ये भविष्य है?
बिल्कुल! ये खोज हमें उस दुनिया के करीब ले जा रही है, जहां इंटरनेट न सिर्फ तेज होगा, बल्कि सुपर सुरक्षित और सुपर स्मार्ट भी होगा. हो सकता है कि कुछ दशकों बाद, आप अपने दोस्त को टेलीपोर्ट करके बता सकें कि यार, मैं तो बस अभी-अभी न्यूयॉर्क से टोक्यो पहुंचा.
तब तक, इस कमाल की खोज का मजा लीजिए. अगली बार जब आप इंटरनेट पर कुछ देखें, तो याद रखिए उसी केबल में शायद कोई क्वांटम फोटॉन भी टहल रहा हो.
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