प्रधानमंत्री के गांव में फिर से खुशी का माहौल है. यहां भारत के प्रधानमंत्री की नहीं. बल्कि, त्रिनिदाद और टोबैगो के प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर की हो रही है. आज (शुक्रवार) को प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री कमला की मुलाक़ात हुई. इस मुलाक़ात को लेकर प्रधानमंत्री कमला के घरवालों ने कहा, "जल्द आइए प्रधानमंत्री बेटी, हम कर रहे हैं आपका इंतजार."
टूटी सड़कें, कच्चे घर, लेकिन खुशी सौगुना
कच्ची-पक्की सड़क, टूटा-फूटा घर, लेकिन गांव वालों की खुशी सौगुना ज्यादा है. दरअसल, भारत से सैकड़ों किलोमीटर दूर बक्सर की बेटी ने कमाल कर दिया है. अफ्रीका के इस देश त्रिनिदाद और टोबैगो की राजनीति के सफर में आज वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कई राजनीतिक चर्चाएं कर रही हैं. ऐसे में भेलूपुर में बेहद खुशी झलक रही है. साथ ही लोगों के अंदर पुनः विकसित होने की ललक जाग चुकी है.
भेलूपुर से विश्व राजनीति तक का सफर
कमला प्रसाद-बिसेसर का पैतृक गांव भेलूपुर, बक्सर जिले के इटाढ़ी प्रखंड में स्थित है. 1127 की आबादी वाला यह छोटा सा गांव अब अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर उभर आया है. कमला का जन्म त्रिनिदाद में हुआ था, लेकिन उनके पूर्वज, विशेष रूप से परदादा पंडित राम लखन मिश्रा, 1880-90 के बीच कलकत्ता पोर्ट से वोल्गा जहाज द्वारा गिरमिटिया मजदूर के रूप में त्रिनिदाद पहुंचे थे. ऐसे में गांव में अब उनके परिवार से कहा चाचा और उनका परिवार रहता है.
भावुक लम्हे और पारिवारिक जुड़ाव
गांव के उनके रिश्तेदार जगदीश मिश्रा बताते हैं, "जब पहली बार वह गांव आई थीं तो मुझसे मिली थीं और मुझे अंकल कहकर पुकारा था." 2012 में अपने पहले प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान कमला अपने पैतृक गांव आईं और यहां उन्होंने भावुक होकर कहा था, “जो कुछ भी मैं आज हूं, वह मेरे पूर्वजों के आशीर्वाद और इस भूमि के लोगों की वजह से है.”
नेतृत्व, शिक्षा और प्रेरणा की प्रतीक
कमला प्रसाद-बिसेसर ने शिक्षा और कानून के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की. वे त्रिनिदाद और टोबैगो की शिक्षा मंत्री भी रही हैं. 2010 में वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. उनका राजनीतिक सफर इस बात का प्रमाण है कि कैसे भारतीय मूल की महिलाएं भी वैश्विक राजनीति में अपनी जगह बना सकती हैं.
विकास से अब भी कोसों दूर है प्रधानमंत्री का गांव
जहां एक ओर कमला प्रसाद-बिसेसर की सफलता ने भेलूपुर गांव को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाई है, वहीं दूसरी ओर यह गांव अब भी बुनियादी विकास की राह देख रहा है. यहां स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा की स्थिति आज भी चिंताजनक बनी हुई है. ग्रामीणों को उम्मीद है कि अब इस ऐतिहासिक जुड़ाव से गांव का भविष्य भी उज्ज्वल होगा.
एक प्रेरणादायक विरासत
कमला प्रसाद-बिसेसर भारतीय मूल की उन चुनिंदा हस्तियों में हैं जिन्होंने वैश्विक राजनीति में अपनी विशेष पहचान बनाई है. उनकी कहानी बताती है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहकर भी विश्व पटल पर उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है. यह हर प्रवासी भारतीय के लिए प्रेरणा और गौरव का विषय है.
इनपुट: पुष्पेन्द्र कुमार पाण्डेय
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