कर्नाटक में कैनरा बैंक की एक ब्रांच से 53 करोड़ का सोना चोरी हो गया. तीन चोरों ने मिलकर इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया. बैंक के जिस लॉकर रूम से चोरों ने सोना चोरी किया था, जाते-जाते वो वहां एक गुड़िया छोड़ गए. वो एक खास किस्म की गुड़िया थी, जिसे वो एक खास मकसद से छोड़कर गए थे. इस वारदात को अंजाम देने से पहले उन तीन चोरों ने कई फिल्में और वेब सीरीज देखी थीं. सोने की ये एक ऐसी चोरी है, जो देश में हुई अबतक की सबसे बड़ी चोरियों में से एक है. चलिए आपको बताते हैं इस चोरी की पूरी कहानी.
एक बैंक जिसके लॉकर से करीब 53 करोड़ रुपए कीमत का गोल्ड चुरा लिया गया हो, उस बैंक के अंदर कोई चोर एक गुड़िया क्यों छोड़ कर जाएगा? चोर सिर्फ गुड़िया को रखकर नहीं गए, बल्कि रखने से पहले बाकायदा उसे सजा कर गए थे. सिंदूर, हल्दी और पता नहीं किन किन चीजों से उस गुड़िया का श्रंगार किया गया था. इस गुड़िया और 53 करोड़ के सोने की चोरी का आपसी रिश्ता आपको बताएं, उससे पहले चोरी की कहानी आपको बताते हैं, पर इस चोरी से कहीं ज्यादा इस चोरी की साजिश अनोखी है. जो आपको हैरान कर देगी.
कर्नाटक के विजयपुर जिले के मानागुली शहर में मौजूद है कैनरा बैंक की एक शाखा. इसी बैंक में 25 मई को एक चोरी होती है. लेकिन जब चोरी का सच बाहर आता है तो बैंक के साथ साथ इलाके की पुलिस भी चौंक उठती है. क्योंकि बैंक में ये चोरी कोई छोटी मोटी चोरी नहीं थी बल्कि बैंक के एक लॉकर से करीब 53 करोड़ रुपये का सोना चोरी हुआ था. हैरत की बात ये थी कि इसी बैंक के कई और लॉकर में भी काफी सोना रखा था लेकिन जिस लॉकर को चोरों ने तोड़ा, उस एक अकेले लॉकर में सबसे ज्यादा सोना रखा हुआ था.
चोरी हुए सोने की कीमत जब पुलिस को पता चली तो चोरों को पकड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. 8-8 अलग-अलग स्पेशल टीमें बनाई गई. हर टीम के हिस्से अलग अलग काम बांटे गए. एक टीम को सीसीटीवी कैमरा खंगालने की जिम्मेदारी दी गई. दूसरी टीम बैंक स्टाफ की लिस्ट खंगालने में जुट गई. तीसरी टीम हाल के वक्त में बैंक में हुई चोरों की कुंडली खंगालने में जुट गई. चौथी टीम खास उन गाड़ियों की तलाश में जुट गई, जिनमें सोना लूट कर ले जाया गया. एक टीम को बैंक के आसपास के मोबाइल टावर के जरिए एक्टिव संदिग्ध फोन को खंगालने में झोंक दिया गया.
पुलिस को पहला धक्का तब लगा जब पता चला कि चोरों ने सीसीटीवी कैमरे के तार को ही काट डाला था. बैंक के इर्द गिर्द की बत्ती गुल कर दी थी. साथ ही वो अपने साथ नेटवर्क वीडियो रिकॉर्डर यानि एनवीआर भी ले गए थे. जाहिर है बैंक के सीसीटीवी कैमरे में तो कुछ रिकॉर्ड हुआ नहीं क्योंकि तार ही काटे जा चुके थे. लिहाजा, अब पुलिस बैंक के बाहर और आसपास के सीसीटीवी कैमरों पर नजर दौड़ाती है. काफी कोशिश के बाद पुलिस को पहली लीड एक कार की शक्ल में मिलती है. हालांकि इस कार का कैनरा बैंक से कोई लेना देना नहीं था. लेकिन बैंक में हुई चोरी से कुछ घंटे पहले और चोरी के कुछ घंटे बाद ये कार बैंक के आसपास ही मंडराती नजर आई थी.
पुलिस ने इस कार का रजिस्ट्रेशन नंबर जब चेक किया तो पता चला ये कार विजय कुमार मिरियाला के नाम पर रजिस्टर्ड थी. अब जैसे ही पुलिस ने विजय कुमार की कुंडली खंगाली तो इस कार, विजय कुमार और कैनरा बैंक के बीच का एक रिश्ता सामने आया. पता चला कि विजय कुमार इसी कैनरा बैंक में 8 मई तक बतौर ब्रांच मैनेजर काम कर रहा था. 9 मई को उसका ट्रांसफर कैनरा बैंक की ही एक दूसरी शाखा में हो चुका था. अब पुलिस के सामने सवाल ये था कि जब इस ब्रांच से विजय कुमार का अब कोई लेना देना ही नहीं था तो फिर ऐन चोरी वाली तारीख यानि 25 मई को चोरी से कुछ घंटे पहले और चोरी के कुछ घंटे बाद उसकी कार यहां क्यों भटक रही थी.
लिहाजा, पुलिस ने सीधे विजय कुमार को उठाकर पूछताछ करने का फैसला किया. जरा सी मेहनत लगी और विजय कुमार ने देश में अब तक हुई सोने की इस सबसे बड़ी चोरी में से एक की पूरी कहानी उगलनी शुरू कर दी. कहानी के साथ-साथ उसने कुछ सोने का सुराग भी दिया और अपने दो और साथियों के नाम भी उगल दिए. विजय कुमार की निशानदेही पर पुलिस ने अब तक करीब साढ़े दस किलो सोना बरामद कर चुकी है. जिसकी कीमत लगभग 10.75 करोड़ रुपये है. ये बरामद सोने का ही एक हिस्सा है. चोरों ने चोरी के बाद बहुत सारे सोने को पिघला कर उसे नए नए आकार और डिजाइन में ढाल दिया था. सोने के साथ साथ अब पुलिस के पास विजय कुमार के दो और साथी चोर चंद्रशेखर निरिल्ला और सुनील नरसिम्हालु मोका भी हाथ लग चुके थे.
अब तीनों चोरों ने 53 करोड़ रुपए के सोने की चोरी की पूरी कहानी सुनाई. ये कहानी कुछ यूं है. ये पूरी साजिश किसी और ने नहीं बल्कि खुद कभी इसी बैंक में मैनेजर रहे विजय कुमार मिरियल्ला ने रची थी. विजय कुमार को पता था कि कैनरा बैंक की इस ब्रांच में लोगों का काफी सोना रखा हुआ है. उसे ये भी पता था कि किस लॉकर में सबसे ज्यादा सोना है. इसी के बाद उसने चंद्रशेखर और सुनील को इस साजिश में शामिल किया. इसी साल फरवरी में उसने पहली बार इन दोनों को चोरी का पूरा प्लान बताया. सबसे पहले उसने लॉकर की डुप्लिकेट चाबियां बनवाईं. ये चाबी उसने अपने दोनों साथियों को दी. चंद्रशेखर भी पहले इसी ब्रांच में नौकरी कर चुका था. तीनों ने मिलकर बाकायदा डुप्लिकेट चाबी से लॉकर को खोलकर भी देखा.
बैंक मैनेजर होने की वजह से विजय कुमार को बैंक की सारी सिक्योरिटी, सीसीटीवी कैमरा और लॉकर रूम की पूरी जानकारी थी. पर साजिश में एक पेंच था. विजय कुमार नहीं चाहता था कि उसके बैंक मैनेजर रहते हुए इस बैंक में चोरी हो. इस साल की शुरुआत में ही उसे पता चल चुका था कि इसी साल उसका किसी और ब्रांच में ट्रांसफर होने वाला है. मार्च में ये तय हो गया कि 9 मई को विजय कुमार का दूसरी शाखा में ट्रांसफर होने वाला है. जैसे ही ये बात पुख्ता हो गई तो विजय कुमार ने 23 मई को अपना ही बैंक लूटने का फैसला कर लिया. साजिश ये थी कि 9 मई को वो इस बैंक से चला जाएगा. इसके बाद अगर चोरी होती है तो उसपर कोई शक भी नहीं करेगा.
बैंक में चोरी से पहले तीनों ने मिलकर बैंक चोरी पर बनी अनगिनत फिल्में और वेब सीरीज देखी. इन सीरीज और फिल्मों से उन्होंने बहुत सारे आइडिया लिए. 23 मई को बैंक में चोरी करने का आइडिया भी इन्होंने ऐसी ही फिल्मों और वेब सीरीज से लिया था. असल मे 23 मई को आरसीबी और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच IPL का मैच होना था. इन्हें पता था कि मैच जीतने के बाद आरसीबी के सपोर्टर जश्न में डूबे होंगे और उसी जश्न का फायदा उठाकर ये लोग उसी रात बैंक पर हाथ साफ कर देंगे. लेकिन बदकिस्मती से 23 मई का मैच आरसीबी हार गई. उदास फैन अब जश्न कहां मनाते. लिहाजा, तीनों ने 23 मई की चोरी का प्लान टाल दिया. अब चोरी के लिए नई तारीख तय की गई 25 मई.
फिल्मों और वेब सीरीज से ही इन्हें ये भी पता चला कि बैंक रॉबरी के बाद खासकर गोल्ड की चोरी के मामले में पुलिस चोरों तक उन गाड़ियों के जरिए पहुंच जाती है जिन गाड़ियों में चोरी का सोना ले जाया जाता है. इसीलिए इन्होंने एक नई तरकीब सोची. बैंक से सोना चुरा कर ले जाने के लिए इन्होंने एक ट्रक का इंतजाम किया. फिर उसी ट्रक में इन्होंने अपनी दो मोटरसाइकिल रख दी, ताकि किसी कैमरे में इनकी अपनी मोटरसाइकिल कैद ना हो.
चूंकि विजय कुमार लंबे वक्त तक इस बैंक का मैनेजर रह चुका था, लिहाजा सीसीटीवी कैमरे का तार, बिजली के स्विच और सिक्योरिटी सिस्टम को काटने या उस पर काबू पाने में उसे कोई दिक्कत नहीं आई. लॉकर की डुप्लिकेट चाबी 3 महीने से उनके पास थी. रात के अंधेरे में बैंक के आसपास की बत्ती गुल करने के बाद तीनों बैंक के लॉकर में दाखिल होते हैं और सिर्फ एक ही लॉकर खोलते हैं. असल में ये बैंक का सबसे बड़ा लॉकर था और शुरु से ही इसी लॉकर में सबसे ज्यादा सोना रखा जाता था. जब चोर खुद घर का भेदिया हो तो फिर क्या ही कहना. लिहाजा, एक ही लॉकर से चोरों को इतना माल मिल गया कि बाकी को खोलने की जरुरत ही नहीं पड़ी. इस एक लॉकर से ही उनके हाथ 53 करोड़ का सोना लग चुका था.
बैक चोरी पर बनी वेब सीरीज और फिल्मों को देख कर ही इन्होंने एक और साजिश रची थी. ये साजिश पुलिस को गुमराह करने के लिए थी. चोर अपने साथ एक खास गुड़िया लेकर बैंक के अंदर गए थे. जिसका श्रंगार सिंदूर और हल्दी से किया गया था. इस गुड़िया के साथ साथ उन्होंने लॉकर रूम में फर्श पर भी हल्दी और सिंदूर बिखेर दिया था. असल में ऐसा करने के पीछे इनका मकसद ये दिखाना था कि इस चोरी के पीछे तंत्र-मंत्र करने वाले गिरोहों का हाथ हो सकता है. केरल और तमिलनाडु में कई बैंकों में हुई चोरी के मामले में इसी तरह की तंत्र मंत्र की चीजें सामने आई थी. विजय कुमार को लगा कि इस गुड़िया के यहां रखने से कर्नाटक पुलिस शुरुआत में कुछ दिनों तक उलझी रहेगी और उसकी जांच का रुख तमिलनाडु और केरल के ही बैंक चोरों की तरफ होगा.
अब सवाल ये है कि जब विजय कुमार ने बैंक में चोरी के लिए इतनी परफेक्ट प्लानिंग की तो फिर एक छोटी सी गलती कैसे कर बैठा. अपनी ही कार में बैठकर चोरी वाले दिन घटना से कुछ घंटे पहले और चोरी के कुछ घंटे बाद इस बैंक की तरफ क्यों आया. तो पुलिस के मुताबिक विजय कुमार चोरी से पहले इसलिए आया था ताकि आखिरी वक्त बैंक के आसपास के हालात को देख सके और चोरी के बाद इसलिए गया था ताकि ये देख सके कि पुलिस कर क्या रही है? और बस यहीं वो मार खा गया. फिलहाल, अब पुलिस बाकी के करीब 42 करोड़ सोने की तलाश में जुटी है.