उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी का एक मामला सामने आया है. यहां एक फर्जी म्यूचुअल बेनिफिट कंपनी के निदेशकों ने निवेशकों से कथित तौर पर 93 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर ली. ठगी के बाद कंपनी के लोग ऑफिस समेटकर जिले से फरार हो गए.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, 'वेरी वेल म्यूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड' नामक कंपनी के 15 निदेशकों, जिनमें एक महिला भी शामिल है, के खिलाफ बुधवार को जिले के ज्ञानपुर थाने में बीएनएस की धारा 314(4) (संपत्ति का बेईमानी से गबन) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. यह शिकायत एक कर्मचारी राजेश कुमार मौर्य ने दर्ज कराई है.
एफआईआर के अनुसार, कृपा शंकर, उनकी पत्नी आशा देवी, उनके बेटे रवि आनंद, अक्षय, सूरज और अमन, अन्य निदेशकों सुहैल अहमद, आनंद श्रीवास्तव, दया शंकर, विमलेश मौर्य, रमेश मौर्य, वेद प्रकाश, राकेश वर्मा, सूबेदार पाल और सुरेश यादव ने कंपनी के नाम पर फिक्स डिपॉजिट और अन्य योजनाओं के माध्यम से निवेशकों का पैसा दोगुना करने का वादा करके उन्हें ठगा.
ऐसे ठगी को दिया अंजाम
कंपनी प्रमुख कृपाशंकर की मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी और बेटों ने कथित तौर पर अन्य निदेशकों के साथ मिलकर काम जारी रखा और लगभग 93 करोड़ रुपये की जमा राशि एकत्र की.
पुलिस अधीक्षक अभिमन्यु मांगलिक ने बताया कि 25 जून को जब निवेशक अपनी मैच्योर हो चुकी जमा राशि निकालने कंपनी के ज्ञानपुर ऑफिस पहुंचे, तो ऑफिस में ताला लगा हुआ था और निदेशक फरार थे.
बाद की पूछताछ में पता चला कि कंपनी का कोई आधिकारिक बैंक खाता नहीं था, और निदेशकों ने माइक्रो क्रेडिट फ़ाउंडेशन नाम से एक मुखौटा संस्था बनाई थी, जिसने इंडियन बैंक की ज्ञानपुर शाखा में एक खाता खोला था.
पीड़ित ने कही ये बात
निदेशकों पर निवेशकों के पैसे इस खाते में जमा करने और उस पैसे से अपने नाम पर संपत्तियां खरीदने का आरोप है. पीड़ित विमलेश मौर्य ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि किसी भी निदेशक का पता नहीं चल रहा है और उन्होंने धोखाधड़ी से प्राप्त धन की वसूली के लिए उनकी संपत्तियों की कुर्की की मांग की.
मौर्य ने दावा किया कि आरोपियों का जिले में अच्छा-खासा राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव है. फिलहाल, एसपी मांगलिक ने कहा कि जांच ज्ञानपुर एसएचओ को सौंप दी गई है. उन्होंने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
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