बिहार में 'वोट अधिकार यात्रा' जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का सियासी काफिला भी बढ़ता जा रहा है. यात्रा के दसवें दिन राहुल गांधी ने सुपौल से अपनी यात्रा का आगाज किया, जहां उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी शामिल हुईं. अब अगले दो दिन तक प्रियंका गांधी बीजेपी-जेडीयू के सबसे मजबूत गढ़ माने जाने वाले मिथिलांचल बेल्ट में राहुल और तेजस्वी के साथ कदमताल कर सियासी माहौल बनाने की कवायद करती नजर आएंगी.
राहुल-तेजस्वी की वोट अधिकार यात्रा मंगलवार को सुपौल शहर के हुसैन चौक से शुरू हुई. हुसैन चौक से होते हुए यह महावीर चौक, गांधी मैदान, लोहियानगर चौक, गौरवगढ़ स्थित डिग्री कॉलेज सुपौल से होते हुए मिथिलांचल के मधुबनी में प्रवेश करेगी. राहुल-तेजस्वी के साथ प्रियंका गांधी की सियासी तिकड़ी को मिथिलांचल के इलाके में बीजेपी-जेडीयू के दुर्ग को भेदने की रणनीति माना जा रहा है.
प्रियंका गांधी का बिहार दौरा हरतालिका तीज के दिन शुरू हो रहा है, जब लाखों महिलाएं व्रत रखती हैं. यही वजह है कि प्रियंका महज यात्रा का हिस्सा ही नहीं बन रही हैं, बल्कि महिला वोट बैंक को साधने की रणनीति भी मानी जा रही है.
महागठबंधन का 'मिशन मिथिलांचल'
राहुल-तेजस्वी की वोट अधिकार यात्रा मिथिलांचल की बेल्ट में दाखिल हो चुकी है. प्रदेश के सात जिले मिथिलांचल में आते हैं, जिसमें मुजफ्फरपुर, सुपौल, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी और सहरसा शामिल हैं. बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 60 सीटें मिथिलांचल के इन सात जिलों की हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने मिथिलांचल की 60 में से 40 से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थी. कांग्रेस और आरजेडी को इन इलाकों में गहरा झटका लगा था. यही वजह है कि राहुल-तेजस्वी के साथ प्रियंका गांधी भी बिहार के रणभूमि में उतरी हैं.
मिथिलांचल का इलाका कभी कांग्रेस और आरजेडी का गढ़ हुआ करता था, लेकिन जेडीयू और बीजेपी की सियासी केमिस्ट्री बनने के बाद यह एनडीए के मजबूत दुर्ग में तब्दील हो चुका है. एनडीए के इसी गढ़ को भेदने के सियासी मकसद से महागठबंधन ने वोट अधिकार यात्रा का रूट चुना है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ प्रियंका गांधी मिथिलांचल के इलाके में रोड-शो और रैली करके सियासी माहौल बनाने की कवायद करेंगी.
मिथिलांचल बेल्ट में 'वोट अधिकार यात्रा'
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 'वोट अधिकार यात्रा' निकालकर राहुल-तेजस्वी ने बिहार की सियासी तपिश को बढ़ा दिया है. राहुल-तेजस्वी के साथ प्रियंका गांधी सुपौल में चार किलोमीटर की यात्रा के बाद मधुबनी जिले में प्रवेश करेंगी. मधुबनी के करीब 70 किलोमीटर की यह यात्रा लौकहा विधानसभा के नरहिया को पार करते हुए फुलपरास, झंझारपुर, दरभंगा ग्रामीण और मधुबनी विधानसभा क्षेत्र होते हुए सकरी से दरभंगा में प्रवेश कर जाएगी.
राहुल-तेजस्वी-प्रियंका की यात्रा मधुबनी के पांच विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी. इस रूट पर दरभंगा जिले का मनिगाछी का इलाका पड़ता है, जो दरभंगा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. ऐसे ही सरिसब पाही और सकरी मधुबनी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं. इन क्षेत्रों में यात्रा का प्रमुख कारण अतिपिछड़ा, पिछड़ा के अलावा मुस्लिम का करीब 35 फीसदी वोट है. अभी मधुबनी सीट आरजेडी के पास है, तो झंझारपुर में बीजेपी, फुलपरास में जेडीयू, लौकहा में आरजेडी और दरभंगा ग्रामीण में आरजेडी के पास है.
वोट अधिकार यात्रा मिथिलांचल के सुपौल, मधुबनी और दरभंगा से गुजरेगी. इन तीन जिलों की 25 विधानसभा सीटों में एनडीए ने 2020 में 22 पर जीत हासिल की थी. मधुबनी की 10 सीटों में से आठ एनडीए के कब्जे में हैं. दो पर आरजेडी के पास हैं. मधुबनी की 10 विधानसभा सीटों में से एनडीए 8 और महागठबंधन 2 सीटें जीती थी. ऐसे ही दरभंगा जिले की 10 सीटों में से एनडीए 9 और महागठबंधन महज एक सीट ही जीत सकी थी.
मुजफ्फरपुर जिले की 11 सीटों में से एनडीए 6 और महागठबंधन 5 सीटें जीती थी. इसी तरह, शिवहर की एकमात्र विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल ने जीत हासिल की है. मुजफ्फरपुर और वैशाली में भी एनडीए का दबदबा है. समस्तीपुर की 10 सीटों में एनडीए और महागठबंधन ने 5-5 सीटें जीती थीं. सहरसा की 4 सीटों में से एनडीए 3 और महागठबंधन एक सीट जीती थी. सीतामढ़ी की 8 सीटों में से छह सीटों पर बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को जीत मिली थी, जबकि आरजेडी दो सीटों पर ही जीत सकी थी.
मिथिलांचल में जगह तलाश रही आरजेडी
मिथिला में खुद को मजबूत करने के लिए आरजेडी ने अति पिछड़ा झंझारपुर निवासी मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, ताकि इस वर्ग के वोट बैंक को साधा जा सके. इस पूरे इलाके में करीब 45 फीसदी वोट अतिपिछड़े समुदाय के हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए वोटर अधिकार यात्रा के दौरान अतिपिछड़ा वर्ग की अलग से एक बैठक की तैयारी थी. मिथिला में ब्राह्मण, राजपूत, यादव, अति पिछड़ा वर्ग, और दलित समुदायों की महत्वपूर्ण आबादी है.
ब्राह्मण और राजपूत पारंपरिक रूप से बीजेपी के कोर वोटर माने जाते हैं, जबकि ईबीसी और कुछ हद तक यादव मतदाता जेडीयू और आरजेडी के बीच बंटते हैं. इस पूरे इलाके में 55 पिछड़ी और अति पिछड़ा जातियों के मतदाता हैं, जिन्हें पचपनिया कहा जाता है. राम मंदिर आंदोलन के बाद से ब्राह्मण और मुस्लिम समुदायों का ध्रुवीकरण हुआ, जिसने बीजेपी को इस क्षेत्र में मजबूत किया. मिथिलांचल में मुस्लिम आबादी भी कुछ क्षेत्रों में प्रभावशाली है, जिसे आरजेडी और अन्य विपक्षी दल अपने पक्ष में करने की कोशिश करते हैं.
यादव-मुस्लिम और अतिपिछड़े वर्ग के वोटों को जोड़कर लालू यादव अपनी सियासी जड़ें जमाने में कामयाब रहे, लेकिन नीतीश के सियासी उभार के बाद आरजेडी को झटका लगा है. ब्राह्मण वोट बीजेपी के कोर वोट बैंक माने जाते हैं, लेकिन इनके बाहुल्य के बावजूद यह इलाका कमल निशान वाली पार्टी के लिए तिलिस्म की तरह रहा है. जेडीयू के साथ होने पर एनडीए का प्रदर्शन दमदार रहा है, लेकिन बगैर उसके बीजेपी गठबंधन बेदम दिखा है.
मुस्लिम आबादी से गुजरेगी यात्रा
राहुल-तेजस्वी और प्रियंका की यात्रा झंझारपुर के मोहना से एनएच छोड़कर कुछ देर के लिए निचले रूट पर उतरेगी और कन्हौली पर फिर एनएच पर चढ़ेगी. इस रास्ते पर मुस्लिम आबादी का बड़ा हिस्सा है. मिथिला का यह क्षेत्र जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य संजय झा और उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा का भी गढ़ है. इस क्षेत्र में सेंधमारी के लिए इंडिया ब्लॉक पूरी ताकत झोंक दी है.
मिथिलांचल क्षेत्र में अतिपिछड़ा वर्ग एनडीए को जमकर वोट करता है. पिछड़ा वर्ग में भी एनडीए के वोटर हैं और यादवों में भी एनडीए ने अच्छी सेंध लगा रखी है. ऐसे में पिछड़ा और अतिपिछड़ा के दिमाग में यह डालने की कवायद है कि एनडीए आपके वोट को काटकर अधिकार छीनना चाहता है. मिथिलांचल के इलाके की सीटों का सियासी समीकरण देखें तो बीजेपी और जेडीयू की दोस्ती ने महागठबंधन का माहौल पूरी तरह खराब कर दिया था.
माता सीता के दर्शन से साधेंगी समीकरण
प्रियंका गांधी बुधवार को सीतामढ़ी में माता सीता के दर्शन करने के बाद वोट अधिकार यात्रा के ज़रिए बहुसंख्यक वोटों को साधने की कवायद मानी जा रही है. कांग्रेस-आरजेडी की छवि मुस्लिम परस्त वाले नेता की बन गई है. माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी अपनी यात्रा के दौरान माता सीता का दर्शन कर सियासी संदेश देने की रणनीति बना रही हैं. सीतामढ़ी में वह जानकी मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगी और महिला मतदाताओं से संवाद करेंगी.
कांग्रेस इसे महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की कोशिश बता रही है, लेकिन विपक्षी खेमे में इसको लेकर चर्चा है कि प्रियंका गांधी 'तीज की धार्मिक-सामाजिक आस्था' को भुनाकर महिलाओं को प्रभावित करना चाहती हैं. खासकर इसलिए क्योंकि उत्तर बिहार का यह इलाका एनडीए का गढ़ माना जाता है और यहां की आधी आबादी यानी महिला वोटर चुनावी समीकरण बदल सकती हैं. ऐसे में देखना है कि राहुल-तेजस्वी और प्रियंका की तिकड़ी मिथिलांचल में बीजेपी का दुर्ग भेदने में सफल होती है कि नहीं?
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