बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. चुनावी माहौल में असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी AIMIM चर्चा में है. ओवैसी की पार्टी ने चुनाव से ठीक पहले एक चौंकाने वाला दांव चला है और खुद को INDIA ब्लॉक में शामिल करने की पेशकश कर दी है. AIMIM के इस दांव से विपक्षी दलों भी खलबली है.
दरअसल, महागठबंधन में ऑलरेडी 6 पार्टनर हैं, जो बिहार में लोकसभा चुनाव में एक साथ देखे गए थे. इनमें राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिबरेशन), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय राष्ट्रीय लीग, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का नाम शामिल है. हालांकि, बाद में मुकेश सहनी की पार्टी VIP भी महागठबंधन का हिस्सा बनी और आरजेडी ने अपने कोटे से उसे तीन सीटें दी थीं.
अब राज्य में विधानसभा चुनाव हैं और सीट शेयरिंग पर लंबा मंथन चल रहा है. इंडिया अलांयस के बड़े नेताओं के बीच चार दौर की बैठकें हो गईं. 5 जून के बाद फिर मंथन होने की उम्मीद है. इस बीच, हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी और अब ओवैसी की AIMIM भी इंडिया ब्लॉक का हिस्सा बनना चाहती है और सीट शेयरिंग की डिमांड कर रही है. जबकि AAP ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
INDIA ब्लॉक में सीट बंटवारे को लेकर चुनौती...
सवाल उठ रहा है कि क्या आरजेडी या कांग्रेस हाईकमान BJP की बी टीम कहे जाने वाली पार्टी AIMIM को अपने महागठबंधन का हिस्सा बनाएगी. तब जब, सीट शेयरिंग पर घमासान मचा है. बिहार में 243 सीटों पर चुनाव हैं. कांग्रेस 70, वीआईपी 60, माले 42, सीपीआई 24 सीटों पर दावा ठोक रही है. यानी 196 सीटों की डिमांड आ चुकी है. जबकि खुद आरजेडी 138 सीटों पर चुनाव लड़ने पर मंथन कर रही है. इसी तरह JMM ने 12-13 सीटें मांगी हैं. इस बीच, अगर पशुपति पारस की RLJP अलायंस का हिस्सा बनी तो उसे भी सीट बंटवारे में शामिल करना पड़ सकता है. ऐसे में अलायंस के सहयोगी दलों को सीट एडजस्ट और बंटवारे में खासी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
'RJD चीफ लेंगे अंतिम फैसला...'
हालांकि, बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू कहते हैं कि ओवैसी ने कांग्रेस को कोई ऑफर नहीं दिया है. उनसे पूछिए, उन्होंने क्या सोचा है. वहीं, आरजेडी नेता मृत्यंजय तिवारी ने कहा, ओवैसी का ट्रैक रिकॉर्ड बीजेपी के B टीम का है लेकिन अब जब उन्होंने महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है तो इसका अंतिम निर्णय लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव और महागठबंधन के अन्य नेता लेंगे.
क्या रणनीति का हिस्सा है चिट्ठी
फिलहाल, एक तरफ AIMIM की महागठबंधन में शामिल होने की संभावनाएं बनी हुई है, लेकिन दूसरी तरफ यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या ओवैसी वाकई NDA को कड़ी चुनौती देने के लिए गंभीरता से महागठबंधन का हिस्सा बनना चाहते हैं या यह महज एक दिखावटी कोशिश है ताकि बीजेपी की 'बी टीम' कहे जाने के आरोपों से बचा जा सके.
जानकार कहते हैं कि अगर ओवैसी, INDIA ब्लॉक का हिस्सा नहीं बन पाते हैं तो वे चुनाव प्रचार में विपक्ष को यह कहकर घेरेंगे कि वो एनडीए को हराना ही नहीं चाहता है इसलिए AIMIM को महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनाया. इसके साथ ही वे बीजेपी की बी टीम का टैग भी हटाकर विपक्ष को आइना दिखा सकते हैं. फिलहाल, यह RJD, कांग्रेस समेत इंडिया ब्लॉक में शामिल पार्टियों को तय करना है कि ओवैसी उनके अलायंस का हिस्सा होंगे या नहीं?
ओवैसी की पार्टी अब तक किसी भी राज्य में इंडिया ब्लॉक का हिस्सा नहीं रही है. अगर AIMIM को बिहार में विपक्षी गठबंधन में शामिल किया जाता है तो यह पहली बार होगा जब ओवैसी की पार्टी अलायंस का हिस्सा बनेगी.
AIMIM ने क्या कहा...
AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने 2 जुलाई को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चिट्ठी लिखी है और आग्रह किया कि AIMIM को महागठबंधन में शामिल किया जाए ताकि सेक्युलर वोटों का बिखराव होने से रोका जा सके और NDA को सत्ता से बाहर किया जा सके.
AIMIM बोली- साथ चलिए, NDA को हराइए'
चिट्ठी में AIMIM ने 2020 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों का हवाला दिया और कहा, हमने पहले भी महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई थी, लेकिन प्रयास सफल नहीं हो पाए. अब 2025 विधानसभा चुनाव से पहले AIMIM दो टूक कह रही है कि अगर एकजुट होकर लड़ा जाए तो बिहार में NDA को सत्ता से हटाया जा सकता है.
AIMIM की स्टेट यूनिट ने हाल ही में RJD और कांग्रेस के कुछ विधायकों से संपर्क किया है ताकि दोनों पार्टियों के टॉप लेवल को ओवैसी की महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा के बारे में जानकारी दी जा सके. हालांकि, अभी तक निर्णय नहीं लिया गया है. इमान कहते हैं कि RJD-कांग्रेस विधायकों ने मुझे बताया है कि मेरा प्रस्ताव विचाराधीन है और अभी तक इसे खारिज नहीं किया गया है.
AIMIM नेता आदिल हसन कहते हैं कि हमारी ओर से आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव को पत्र भेजा गया है, जिसमें AIMIM को महागठबंधन में शामिल करने की इच्छा जताई गई है.
लेकिन दरारें भी गहराईं...
जहां AIMIM महागठबंधन का हिस्सा बनने को उत्सुक है, वहीं गठबंधन के भीतर दरारें पहले से ही उभर रही हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) 12–13 सीटों की मांग कर रहा है और इस बात से खफा है कि उसे अब तक किसी भी बैठक में नहीं बुलाया गया. इससे पहले कांग्रेस भी स्पष्ट कर चुकी है कि AIMIM ने उन्हें कोई प्रस्ताव नहीं दिया है.
NDA की 'B टीम' से 'सेक्युलर पार्टनर'?
AIMIM को आरजेडी और कांग्रेस अब तक NDA की 'B टीम' कहकर नकारते आ रहे हैं, लेकिन अब ओवैसी की इस पेशकश ने माहौल बदल दिया है. हालांकि, अख्तरुल ईमान ने साफ कहा है कि अगर AIMIM को महागठबंधन में शामिल नहीं किया गया तो आगामी चुनाव में आरजेडी को होने वाले नुकसान के लिए उनकी पार्टी को दोष नहीं देना चाहिए. तेजस्वी यादव आरोप लगाते रहे हैं कि ओवैसी बीजेपी की 'बी-टीम' हैं.
अख्तरुल ईमान ने कहा, हम पूरी ईमानदारी के साथ महागठबंधन का हिस्सा बनना चाहते हैं, लेकिन मैं यह संदेश भी देना चाहता हूं कि अगर कल को आरजेडी को चुनावी नुकसान होता है तो इसके लिए हमें जिम्मेदार ना ठहराया जाए.
ईमान के इस बयान को रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. दरअसल, AIMIM मुस्लिम वोटर्स को यह बताना चाहती है कि वो गठबंधन में शामिल होना चाहती थी, लेकिन उसे दरकिनार कर दिया गया.
सीमांचल से चुनौती, पूरे बिहार में विस्तार?
इससे पहले बिहार के किशनगंज दौरे पर ओवैसी ने कहा था कि हमारी पार्टी कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और 24 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखेगी. कहा गया कि यह तेजस्वी यादव के लिए संदेश था कि AIMIM अकेले भी नुकसान पहुंचाने की ताकत रखती है.
तेजस्वी यादव को ओवैसी की खुली चुनौती
2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 सीटों पर जीत हासिल की थी. पार्टी को कुल 5,23,279 वोट मिले थे. यानी करीब 1.24% वोट शेयर रहा था. हालांकि, कुछ महीनों बाद पार्टी के चार विधायक टूटकर आरजेडी में शामिल हो गए थे.
चूंकि, बिहार में AIMIM की पकड़ सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में है और यह इलाका ही 2020 में राजद की हार का एक बड़ा कारण बना था. बाद में पांच में से चार AIMIM विधायक आरजेडी में चले गए थे, लेकिन सीमांचल में AIMIM की जमीनी पकड़ बनी रही.
महागठबंधन पर क्या बोले ओवैसी...
इस बीच, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, हमारे प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने महागठबंधन के कुछ नेताओं से बात की है और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि हम नहीं चाहते कि बिहार में BJP या NDA फिर से सत्ता में आए. अब यह उन राजनीतिक दलों पर निर्भर है जो एनडीए को बिहार में सत्ता में लौटने से रोकना चाहते हैं. पांच साल पहले मैंने भी व्यक्तिगत रूप से इसकी कोशिश की थी. हालांकि, कुछ नहीं हुआ था. इस बार भी हमारे प्रदेश अध्यक्ष कोशिश कर रहे हैं. लेकिन यह उन पर निर्भर है. हम सीमांचल और सीमांचल के बाहर भी चुनाव लड़ेंगे. अगर वे तैयार नहीं हैं तो मैं हर जगह चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं. आने वाले समय का इंतजार करें. सीटों की संख्या की घोषणा करना अभी जल्दबाजी होगी.
हिस्सेदारी चाहिए, गुलामी नहीं
ओवैसी ने तेजस्वी यादव को निशाने पर लिया और तीखा बयान दिया है. उन्होंने कहा, हिस्सेदारी और गुलामी में फर्क होता है. हम हिस्सेदारी की बात करते हैं, तेजस्वी गुलामी की बात करते हैं. अब मुसलमान सिर्फ चादर बिछाने के लिए नहीं हैं.
ओवैसी का इशारा साफ है कि वे सिर्फ वोट ट्रांसफर का जरिया नहीं बनना चाहते, बल्कि सत्ता और नीति निर्माण में बराबरी की भागीदारी मांग रहे हैं.
महागठबंधन के सामने क्या दुविधा...
अब INDIA गठबंधन खासकर आरजेडी और कांग्रेस के सामने दुविधा खड़ी हो गई है. AIMIM को साथ लें तो मुस्लिम वोटों की मजबूत पकड़ मिल सकती है, लेकिन सीटों की मारामारी और 'कट्टरपंथी' टैग की आशंका बढ़ जाएगी. अगर साथ नहीं लेते हैं तो सीमांचल में वोटों के विभाजन से इनकार नहीं किया जा सकता है. इससे NDA को अप्रत्यक्ष फायदा मिल सकता है.
फिर सीमांचल में खेल बिगाड़ेगी AIMIM?
बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोट बैंक बेहद निर्णायक माने जाते हैं. यही वजह है कि वक्फ कानून के विरोध में तेजस्वी यादव हाल ही में खुलकर सामने आए हैं. सवाल यही है कि क्या इस समीकरण में ओवैसी को भी जगह मिलेगी? फिलहाल, ओवैसी की पार्टी ने गेंद अब महागठबंधन के पाले में डाल दी है.
2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी. ये सीटें Amour, Bahadurganj, Baisi, Jokihat, Kochadhaman शामिल थीं. AIMIM का 1.30 प्रतिशत वोट शेयर रहा था. यानी 5,23,279 वोट हासिल किए थे. 2024 के आम चुनाव की बात की जाए तो AIMIM ने 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 3,82,660 वोट हासिल किए थे. वोट शेयर 0.9% रहा था.
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