महीनेभर रखा डिजिटल अरेस्ट, रिटायर्ड अफसर से ठगे एक करोड़... दिखाते रहे कार्रवाई का डर

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पुणे से एक सनसनीखेज साइबर फ्रॉड का मामला सामने आया है. यहां 83 साल के रिटायर्ड डिफेंस ऑफिसर डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) स्कैम का शिकार हो गए. ठगों ने खुद को सीबीआई अफसर बताकर उन्हें एक महीने तक डिजिटल सर्विलांस के नाम पर डराए रखा और धीरे-धीरे 1 करोड़ रुपये हड़प लिए.

पुलिस की FIR के मुताबिक, पीड़ित 83 साल के रिटायर्ड डिफेंस ऑफिसर कोंढवा इलाके में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं. 22 जुलाई को उनके पास एक फोन कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को CBI ऑफिसर बताया. उसने पीड़ित से कहा कि तुम्हारा नाम 400 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में संदिग्धों की सूची में शामिल है. कॉलर ने कहा कि सीबीआई की रेड में 247 आधार कार्ड मिले हैं, जिनमें तुम्हारा कार्ड भी था.

इसके बाद ठगों ने पीड़ित को यह कहकर डराया कि तुम्हारा पैसों का लेनदेन संदिग्ध है. अगर सहयोग नहीं करोगे तो अरेस्ट कर लिया जाएगा. कॉल पर मौजूद एक अन्य शख्स को सीनियर अफसर बताते हुए ठगों ने पीड़ित से बैंक अकाउंट और बैलेंस की डिटेल निकलवा ली.

धमकी, डर और करोड़ों की ठगी

फर्जी अधिकारियों ने पीड़ित से कहा कि उन्हें अस्थायी तौर पर पैसा ट्रांसफर करना होगा, ताकि जांच पूरी हो सके. भरोसा दिलाने के लिए ठगों ने नकली दस्तावेज भी भेजे और आश्वासन दिया कि 3 दिन में पैसा लौटा दिया जाएगा.

डर और धमकी के चलते रिटायर्ड अफसर ने 28 जुलाई से 19 अगस्त के बीच अलग-अलग 5 बैंक खातों से कुल 1 करोड़ रुपये ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए. लेकिन जब तय समय पर पैसे वापस नहीं मिले और कॉल रिसीव होना बंद हो गया, तब उन्हें समझ आया कि वे ठगी का शिकार हो गए हैं. इसके बाद उन्होंने तुरंत मामले की शिकायत पुलिस से की.

कई राज्यों में ट्रांसफर हुए पैसे

जांच में सामने आया है कि ठगों ने रकम को गाजियाबाद (UP), हैदराबाद (तेलंगाना), अहमदाबाद (गुजरात), चंडीगढ़ (पंजाब), रायपुर (छत्तीसगढ़), धनबाद (झारखंड) और नगांव (असम) स्थित बैंक खातों में ट्रांसफर कराया है. पुणे साइबर सेल ने इन बैंकों से डिटेल मांगी है और खाताधारकों की पहचान की जा रही है.

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साइबर क्राइम सेल के एक सीनियर अफसर ने बताया कि हाल के दिनों में ठगों ने सीनियर सिटीजन को टारगेट करना शुरू कर दिया है. वे डर और सरकारी एजेंसियों के नाम का इस्तेमाल कर बातों में फंसाते हैं. डिजिटल अरेस्ट स्कैम में पीड़ित को यह महसूस कराया जाता है कि वह लगातार निगरानी में है और किसी भी वक्त गिरफ्तार हो सकता है. डर और धमकी के माहौल में ठग उनसे पैसे निकलवा लेते हैं.

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