हम अक्सर सुनते हैं कि हेल्दी रहने के लिए सही खाना बहुत जरूरी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी-कभार भी अगर आप जंक फूड का सेवन करते हैं तो उससे आपके दिमाग पर काफी बुरा असर पड़ता है. जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना. ऐसा उन लोगों को साथ ज्यादा होता है जो फिटनेस के शौकीन हैं और हफ्ते में एक दिन चीट डे मनाते हैं. ऐसे में आपको जंक फूड का सेवन करने से पहले दो बार सोचना चाहिए. एक कॉमन सा मिल्कशेक भी आपके दिमाग को भारी नुकसान पहुंचा सकता है. हाल ही में एक स्टडी में यह पाया गया है कि एक बार का हाई-फैट खाना, जैसे कि मिल्कशेक, आपके दिमाग तक पहुंचने वाले ब्लड फ्लो को प्रभावित कर सकता है. इससे स्ट्रोक और डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. यह स्टडी The Journal of Nutritional Physiology में पब्लिश हुई है.
क्या पाया स्टडी में
हमारे शरीर को एनर्जी देने के लिए फैट जरूरी है. फैट शरीर के संरचनात्मक भागों के निर्माण में मदद करता है, फैट-सॉल्यूबल विटामिनों को ले जाता है और डेवलपमेंट समेत कई जरूरी बायोलॉजिकल फंक्शनिंग में अहम भूमिका निभाता है. फैट दो प्रकार के होते हैं - सैचुरेटेड फैट और अनसैचुरेटेड फैट. इनके केमिकल कंपोजिशन अलग होते हैं और शरीर पर इनके प्रभाव भी अलग-अलग होते हैं. इस नई स्टडी में पता चला कि हाई-फैट खाना, जैसे मिल्कशेक या तला-भुना खाना, इंस्टेंट शरीर पर बुरा असर डाल सकता है. ये रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने की क्षमता को प्रभावित करते हैं जो दिल और दिमाग दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है.
रिसर्च में 2 ग्रुप्स के पुरुषों पर स्टडी की गई. एक 18-35 वर्ष के बीच और दूसरा 60-80 वर्ष के बीच. उन्हें हैवी फैट वाला खाना दिया गया जिसमें विशेष रूप से मिल्कशेक शामिल था, जिसे ‘ब्रेन बम’ कहा गया क्योंकि इसमें काफी मात्रा में व्हिपिंग क्रीम थी. यह ड्रिंक लगभग 1362 कैलोरी और 130 ग्राम फैट से भरपूर थी, जो फास्टफूड के बराबर थी.
रिसर्च का रिजल्ट क्या मिला?
रिजल्ट बताते हैं कि हाई-फैट खाना दिल से जुड़ी रक्त वाहिकाओं की खुलने की क्षमता को कम कर देता है, जिससे दिमाग तक खून की आपूर्ति प्रभावित होती है. बुजुर्गों में यह असर लगभग 10% ज्यादा था, जिससे साफ होता है कि बुढ़ापे में दिमाग इस तरह के भोजन के प्रभावों के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो जाता है.
रिसर्चर्स ने कहा कि सैचुरेटेड फैट से भरपूर खाने से न केवल दिल की सेहत खतरे में आती है बल्कि दिमाग भी प्रभावित होता है. खासकर बुजुर्गों के लिए यह ज्यादा जरूरी है कि वे ऐसी चीजों से बचें क्योंकि उनका दिमाग पहले से ही स्ट्रोक और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के खतरे में होता है.
हालांकि एक-दो बार का हाई फैट खाना आपको तुरंत भारी नुकसान नहीं पहुंचाता, फिर भी इसका सेवन कम से कम करना ही फायदेमंद होता है. इसलिए अपनी डेली डाइट में बैलेंस रखना और सैचुरेटेड फैट की मात्रा कम करना सेहत के लिए फायदेमंद रहेगा. याद रखें, सही खान-पान से ही हम दिल और दिमाग दोनों को सेहतमंद रख सकते हैं.
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