यूपी का मेरठ इन दिनों अवैध निर्माणों पर बुलडोजर एक्शन के कारण सुर्खियों में है. शास्त्री नगर के सेंट्रल मार्केट कॉम्प्लेक्स को 2014 में हाईकोर्ट ने और दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध घोषित किया था. सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के बाद, याचिकाकर्ता लोकेश खुराना की अवमानना याचिका पर, आवास विकास परिषद ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी.
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मेरठ में कॉम्प्लेक्स पर बुलडोजर एक्शन (Photo- ITG)
उत्तर प्रदेश का मेरठ का इन दिनों सुर्खियों में है. वजह है बुलडोजर एक्शन. यहां शहर की कई इमारतों/दुकानों को अवैध बताकर तोड़ा जा रहा है. सबसे अधिक चर्चा शास्त्री नगर के सेंट्रल मार्केट स्थित कॉम्प्लेक्स की है, जिसे बीते दिनों बुलडोजर से ध्वस्त किया गया. इसके अलावा दर्जनों ऐसे भूखंड और हैं जिनपर तलवार लटक रही है. इसको लेकर स्थानीय व्यापारियों में भारी आक्रोश है. फिलहाल, आइए जानते हैं सेंट्रल मार्केट स्थित कॉम्प्लेक्स की कहानी...
आपको बता दें कि सेंट्रल मार्केट कॉम्प्लेक्स शास्त्री नगर की प्लॉट संख्या 661/6 पर बना है. इसे वर्ष 1990 से 1995 के बीच आवासीय भूमि पर व्यावसायिक रूप में विकसित किया गया था. यहां करीब 22 दुकानदार वर्षों से व्यापार कर रहे थे. 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे अवैध घोषित किया था और ध्वस्तीकरण के आदेश दिए थे.

लेकिन व्यापारियों की याचिका पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. दिसंबर 2024 में उच्चतम न्यायालय ने अंतिम निर्णय सुनाते हुए कॉम्प्लेक्स को अवैध घोषित किया और तीन महीने के भीतर गिराने के निर्देश दिए.
करीब दस महीने तक कार्रवाई टलती रही, जिसके बाद लोकेश खुराना नाम के एक याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दाखिल की. इसी बीच 27 अक्टूबर 2025 को सुनवाई की तारीख तय होने के बाद आवास विकास परिषद ने ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी.

मामले में अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार ने बताया कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में की जा रही है. कॉम्प्लेक्स बिना स्वीकृत नक्शे के बनाया गया था, इसलिए इसे वैध नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा कि इस मामले में 67 अधिकारियों पर लापरवाही की एफआईआर दर्ज की जा चुकी है, कि किस अधिकारी के समय में कौन सा निर्माण हुआ है. शहर में ऐसे 31 और अवैध व्यावसायिक परिसरों की सूची तैयार है जो आवासीय भूमि पर बने हैं. आने वाले दिनों में उन पर भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी.
वहीं, व्यापारियों का कहना है कि उनकी दुकानें वैध दस्तावेजों पर पंजीकृत हैं. उनका दावा है कि बिजली कनेक्शन, रजिस्ट्री और जीएसटी पंजीकरण सभी व्यावसायिक हैं, इसलिए प्रशासन का कदम अन्यायपूर्ण है. उनका कहना है कि अचानक हुई इस कार्रवाई से उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. फिलहाल, जेसीबी, बड़ी ड्रिल मशीनें, बुलडोज़र आदि के जरिए कॉम्प्लेक्स को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है.
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