चुनावी माहौल में पोस्टर पॉलिटिक्स की अलग ही कहानी होती है. बिहार में मोदी-नीतीश के पोस्टर भी कुछ कुछ ऐसे ही हैं. ये पोस्टर खास तौर पर ध्यान भी खींच रहे हैं, क्योंकि दोनों में एक जैसे नहीं हैं. बस एक ही चीज कॉमन है, और वो है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीरें.
बिहार में एनडीए की सरकार है, और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेडीयू के नेता हैं. बीजेपी बिहार में अपना मुख्यमंत्री चाहती जरूर है, लेकिन नीतीश कुमार के मुकाबले अब तक किसी को खड़ा नहीं कर सकी है. नीतीश कुमार को पिछले चुनाव में भी बीजेपी ने घेर लेने की कोशिश की थी. चिराग पासवान के एनडीए छोड़कर मैदान में कूद पड़ने के कारण जेडीयू कमजोर तो हो गई, लेकिन बीजेपी अपना मुख्यमंत्री नहीं बना सकी. तभी से दो-दो डिप्टी सीएम से काम चला रही है.
2022 में जब नीतीश कुमार एनडीए छोड़कर महागठबंधन के नेता बन गये थे, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने एक रैली कर ऐलान किया था कि 2025 में मुख्यमंत्री बीजेपी का ही होगा. लेकिन, 2024 के आम चुनाव से पहले नीतीश कुमार एनडीए में लौट आये, और सारे समीकरण बदल गये. बहुत कुछ तो लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बदल दिये. फिर भी अमित शाह ने नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने पर पेच फंसाये रखा है. कहा है, ये फैसला बीजेपी क संसदीय बोर्ड करता है - लेकिन, हाल ही में बिहार दौरे पर गये रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बोल दिया है कि एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार चुनाव लड़ेगा.
बिहार में लगे पोस्टर इसके आगे की कहानी कह रहे हैं. बीजेपी का पोस्टर देखें तो लगता है जेडीयू को लेकर प्रशांत किशोर ठीक ही कह रहे हैं. लेकिन, जेडीयू का पोस्टर देखने पर प्रशांत किशोर का बयान किसी विरोधी पक्ष के नेता के राजनीतिक बयान से ज्यादा कुछ और नहीं लगता.
हर पोस्टर कुछ कहता है
बीजेपी और जेडीयू दोनों के पोस्टरों पर स्लोगन मिलते जुलते ही हैं, लेकिन मुद्दे अलग अलग हैं. बीजेपी के पोस्टर में विकास पर जोर दिखता है, जबकि जेडीयू में महिला वोटर पर - दोनों में स्लोगन का अंत ‘फिर से एनडीए सरकार’ से ही होता है.
जेडीयू के पोस्टर पर लिखा है, ‘महिलाओं की जय-जयकार, फिर से एनडीए सरकार’ - और बीजेपी का पोस्टर कहता है - ‘सोच दमदार, काम असरदार, फिर से एनडीए सरकार’.
मोदी-नीतीश की तस्वीरें देखकर तो दोनों पोस्टर करीब करीब एक जैसे ही लगते हैं, लेकिन चुनाव निशान देखकर दोनों का फर्क साफ हो जाता है. बीजेपी के पोस्टर में चुनाव निशान कमल देखने को मिल रहा है, तो जेडीयू के पोस्टर में तीर.
सवाल ये है कि जब दोनों ही पोस्टर में मोदी और नीतीश दोनों हैं, तो चुनाव निशान भी दोनों दलों के क्यों नहीं डाले गये हैं - बीजेपी की दावेदारी तो समझ में आ रही है, लेकिन मोदी की तस्वीर लगाने के बाद भी क्या जेडीयू खुद को कुछ अलग पेश करने की कोशिश कर रही है?
क्या ये अलग अलग वोट बैंक को साधने की कवायद है?
जन सुराज पार्टी नेता प्रशांत किशोर अपनी बिहार यात्रा की शुरुआत से है जेडीयू और नीतीश कुमार को लेकर भविष्यवाणी करते रहे हैं. प्रशांत किशोर ने भविष्यवाणी की है कि आने वाले बिहार चुनाव में जेडीयू को 25 से ज्यादा विधानसभा सीटें नहीं मिलने वाली हैं. और, ऐसा हुआ तो वो राजनीति ही छोड़ देंगे. एक भविष्यवाणी और है, नीतीश कुमार चुनाव बाद मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे, और जेडीयू दफ्तर बीजेपी का हो जाएगा.
बीजेपी का पोस्टर तो प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी के मुताबिक ही है, लेकिन जेडीयू का पोस्टर सीधे उसे काउंटर करता है - साफ है, बीजेपी और जेडीयू मिलकर रणनीति तैयार कर रहे हैं. कम से कम इस मामले में तो ऐसा कह ही सकते हैं.
रही बात जेडीयू की तो वो बीजेपी के साथ होते हुए भी अलग मैसेज देने की कोशिश कर रहा है. वक्फ कानून में संशोधन का क्रेडिट ले चुके नीतीश कुमार उसे अपने तरीके से कैंपेन की स्ट्रैटेजी बना रहे हैं, बशर्ते बात मंजिल तक पहुंच भी जाये.
बीजेपी अपने पोस्टर के जरिये डबल-इंजन वाली सरकार को पेश करने की कोशिश कर रही है - कुल मिलाकर कोशिश यही है कि जहां नीतीश के नाम पर वोट मिले वहां जेडीयू का पोस्टर काम करे, और जहां मोदी-मोदी हो वहां बीजेपी का पोस्टर.
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