रवि हो या विकास... या फिर आप, सबसे पहले करें ये 4 काम, मौज में कटेगी जिंदगी

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रवि की उम्र 28 साल है और अभी शादी नहीं हुई है, जबकि विकास शादीशुदा है और उनके दो बच्चे हैं, विकास की उम्र करीब 34 साल है. दोनों जॉब करते हैं लेकिन दोनों ने एक जैसी गलती की है. दोनों ने अब तक इमरजेंसी फंड, टर्म इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस या फिर फ्यूचर वेल्थ के बारे में कोई फैसला नहीं लिया है. अगर आपने अभी तक वित्तीय और भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए ये चार कदम नहीं उठाए हैं, तो सजग हो जाएं.  

दरअसल, वित्तीय और भविष्य की सुरक्षा के लिए सही कदम उठाना एक मजबूत आधार बनाता है, जो हर किसी के लिए जरूरी है. आज के दौर में टर्म इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस और इमरजेंसी फंड हर किसी के लिए जरूरी है. इसलिए नौकरी की शुरुआत करते ही सबसे पहले इमरजेंसी फंड, टर्म इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए. 

रवि और विकास भले ही, अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं, लेकिन उनका वित्तीय संतुलन बिल्कुल सही नहीं है, हमारे देश में अधिकतर लोग अब भी हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस से दूर हैं. जबकि ये वित्तीय तौर पर सबसे पहला कदम होता है, और हर किसी के लिए जरूरी है. आइए जानते हैं, उन 4 कदमों के बारे में जो आपको हर तरह से सुरक्षित करेगा.  

1. आपातकालीन निधि (Emergency Fund)
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में ऐसे खर्चे कभी भी आ सकते हैं, जिसके बारे में आपने कभी नहीं सोचा होगा. जीवन में अनिश्चितताएं जैसे नौकरी छूटना, मेडिकल इमरजेंसी, या वाहन/घर की मरम्मत अप्रत्याशित खर्च ला सकती हैं. इमरजेंसी फंड इन परिस्थितियों में आपकी बचत और निवेश को सुरक्षित रखती है.
भारत में, जहां सामाजिक सुरक्षा योजनाएं सीमित हैं, यह फंड वित्तीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है. 

इमरजेंसी फंड में कम से कम आपके 6 महीनों का पूरा खर्च होना चाहिए, जिसमें हाउस रेंट, बिल, किराना और सभी तरह की EMI शामिल हो. इमरजेंसी फंड के लिए एक सेविंग अकाउंट (Saving Account) होना चाहिए. जिसमें आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा डालते रहें. उदाहरण के लिए अगर किसी का घर खर्च 40 हजार रुपये महीने है, तो फिर उन्हें सबसे पहले इमरजेंसी फंड के तौर पर करीब 2.50 लाख रुपये अलग अकाउंट में रखना चाहिए. जैसे-जैसे सैलरी और खर्च बढ़े, तो इमरजेंसी फंड को भी बढ़ाते रहें. सबसे खास बात इस फंड को इमरजेंसी में ही यूज करें, इसे नियमित खर्चों (जैसे छुट्टियां, गैजेट्स) के लिए न छुएं. 

2. टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) 
इमरजेंसी फंड के बाद हर किसी के लिए टर्म इंश्योरेंस सबसे जरूरी है. यह परिवार की वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, खासकर अगर आप परिवार के मुख्य कमाने वाले हैं. यह कम प्रीमियम में बड़ा कवर देता है. अब सवाल उठता है कि कितने का टर्म प्लान लेना चाहिए. इसके लिए एक आसान फॉर्मूला है, आप अपनी सालाना आय का 10-15 गुना कवर लें. यानी अगर आपका सालाना पैकेज 10 लाख रुपये है तो एक करोड़ रुपये का टर्म प्लान लेना चाहिए. आप जितनी कम उम्र में टर्म इंश्योरेंस ले लेंगे, उतना कम प्रीमियम लगेगा. अगर आपकी आय 5 लाख रुपये सालाना है, तो 50-75 लाख का टर्म इंश्योरेंस लें.

भारत में, जहां जीवन बीमा की पहुंच अभी भी कम है (LIC के अनुसार, केवल 3-4% आबादी के पास पर्याप्त कवर है), यह कदम महत्वपूर्ण है. कम से कम 60 साल की उम्र तक के लिए टर्म इंश्योरेंस प्लान हर किसी को लेना चाहिए. टर्म प्लान में क्रिटिकल इलनेस या एक्सीडेंटल डेथ राइडर को जोड़ सकते हैं. अगर कोई 30 साल का युवक 1 करोड़ का टर्म प्लान लेता है, तो करीब 10000 रुपये प्रीमियम लगेगा. प्रीमियम को सालाना चुकाएं, इससे छूट मिलती है.

3. हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance)
भारत में मेडिकल (Medical) खर्च तेजी से बढ़ रहे हैं, इसमें सालाना करीब 10-15% की बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. अगर आपका सवाल है कि हेल्थ इंश्योरेंस क्यों जरूरी है? इसका सबसे आसान उदाहरण है कि अगर आपके पास कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है, तो फिर एक गंभीर बीमारी आपकी पूरी बचत को खत्म कर सकती है. जबकि मामूली प्रीमियम पर एक हेल्थ इंश्योरेंस अस्पताल सभी तरह के बिल्स, सर्जरी, और अन्य चिकित्सा खर्चों को कवर करता है, जिससे आपकी वित्तीय स्थिरता बनी रहती है.
 
कितने का हेल्थ इंश्योरेंस जरूरी?
व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस कम से कम 5 लाख रुपये का लेना चाहिए, जबकि फैमिली फ्लोटर हेल्थ बीमा 10-20 लाख रुपये का होना चाहिए, जिसमें पति-पत्नी और बच्चे शामिल हो. हेल्थ इंश्योरेंस के बाद 50 लाख रुपये से 1 करोड़ का अतिरिक्त सुपर टॉप-अप करवा सकते हैं, जो कि मामूली प्रीमियम पर उपलब्ध है. 
4 लोगों का परिवार (30-35 साल के माता-पिता, 2 बच्चे) 10 लाख का फैमिली फ्लोटर प्लान 20 से 25 हजार रुपये सालाना प्रीमियम पर उपलब्ध है. 

4. वित्तीय लक्ष्य (Wealth Target) 
जब आप ऊपर के तीनों फैसले ले लें, उसके बाद आपका फोकस वेल्थ क्रिएट करने पर होना चाहिए, क्योंकि अपनी शादी, कार, घर, बच्चों की शिक्षा, रिटायरमेंट जैसे लक्ष्यों के लिए धन जुटाने की जरूरत होगी. भारत में मुद्रास्फीति सालाना करीब 5-7% फीसदी रहती है. अब आपको ऐसी-ऐसी जगहो पैसे लगाने हैं, जहां थोड़ा रिस्क और ज्यादा रिटर्न मिले, साथ ही कुछ फंड Safe Investment की तरफ भी हो, इससे के लिए PPF, NPS में निवेश कर सकते हैं. 

जबकि ज्यादा रिटर्न के लिए सबसे बेहतर विकल्प म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) है, जहां आप वित्तीय सलाहकार की मदद से SIP कर सकते हैं. एक ऐसा पोर्टफोलियो बनाएं जिसमें डायवर्सिफिकेशन हो. इक्विटी, डेट, और गोल्ड में बैलेंस बनाएं. अनियंत्रित कर्ज (जैसे क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन) आपकी वित्तीय स्वतंत्रता को सीमित कर सकता है, इनसे दूसरी बनाकर रखें. 

वेल्थ क्रिएट करने के लिए आप पॉपुलर 50-30-20 नियम को अपना सकते हैं. 
50% आय: जरूरतें (किराया, बिल, EMI).
30% आय: लाइफस्टाइल (मनोरंजन, शॉपिंग).
20% आय: बचत और निवेश.

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