रियल एस्टेट में फंसी है 10.8 लाख करोड़ रुपये की रकम, घर बुक करने से पहले ये सच जान लें

17 hours ago 1

देश भर में लाखों लोग ऐसे हैं जो अपने जीवन भर की कमाई घर बुक करने में लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी तक पजेशन नहीं मिला है. खास तौर दिल्ली और एनसीआर में ऐसे हजारों मामले हैं, जहां लोग अपने घर की ईएमआई भी भर रहे हैं और साथ ही घर का किराया भी दे रहे हैं. IRL Money के को-फाउंडर विजई मंत्री के मुताबिक, भारत के टॉप शहरों में 4.32 लाख से ज्यादा अटके हुए प्रोजेक्ट में घर खरीदारों का करीब ₹10.8 लाख करोड़ फंसा हुआ है.
 
लिंक्डइन पर एक पोस्ट में, विजय मंत्री लिखते हैं- 'भारत में लोग रियल एस्टेट में बहुत ज़्यादा पैसा लगा रहे हैं. यह आदत मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए एक बड़ा वित्तीय संकट बन रही है और इसका असर पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें: 15 होली, 15 दिवाली बीत गई, नहीं मिला घर... Rudra Palace Heights के बायर्स कब तक रहेंगे 'बेघर'?

भारत के 15 सबसे बड़े शहरों में 1,626 हाउसिंग प्रोजेक्ट्स अधूरे पड़े हैं. इन प्रोजेक्ट्स में करीब ₹10.8 लाख करोड़ की रकम फंसी हुई है. अगर इन प्रोजेक्ट्स में लगे पैसों पर 9% सालाना ब्याज जोड़ें, तो हर साल करीब ₹97,000 करोड़ का नुकसान हो रहा है. यह एक बहुत बड़ी रकम है, जो दिखाती है कि रियल एस्टेट में पैसा लगाने वाले लोगों और बैंकों का कितना बड़ा नुकसान हो रहा है.

आम आदमी की परेशानी

घर खरीदारों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तरफ वे अपनी ईएमआई (EMI) भर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें किराए के घर में भी रहना पड़ रहा है. दो जगह पैसे देने पड़ रहे हैं, जबकि उन्हें अपने घर का कब्जा मिला ही नहीं है.

विजई का तर्क है कि इसका असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है.' अटके हुए प्रोजेक्ट का मतलब है निर्माण नौकरियों का नुकसान, निर्माण सामग्री की मांग में कमी, और निवेशकों के विश्वास में गिरावट. "मुख्य कीमतें भले ही स्थिर दिखें, लेकिन छूट और देरी के कारण प्रभावी मूल्य कम हो जाते हैं.'

यह भी पढ़ें: द्वारका के लग्जरी फ्लैट्स की खराब क्वालिटी पर RERA सख्त, DDA को लगाई फटकार

विजई मंत्री की सलाह है कि घर खरीदार प्री-लॉन्च के वादों से बचें, और केवल ऐसे प्रोजेक्ट्स चुनें जो पूरे होने वाले हों और RERA में रजिस्टर्ड हों. साथ ही, वे अपनी नेट वर्थ का एक बड़ा हिस्सा रियल एस्टेट में लगाने की बजाय, निवेश में विविधता लाएं. वो लोगों को सलाह देते हैं कि ज्यादा कर्ज न लें. ईएमआई को सीमित करें. 

विजई का कहना है कि जिस चीज़ से आपको सबसे ज़्यादा उम्मीदें होती हैं, वही सबसे ज्यादा दुख दे सकती है. वे बताते हैं कि रियल एस्टेट का मतलब सिर्फ घर की कीमत नहीं है, बल्कि यह समय पर घर मिलने, बिल्डर पर भरोसे और वादे पूरे होने का भी मामला है.
 

---- समाप्त ----

Read Entire Article