झारखंड के धनबाद में रहने वाले ब्रिज किशोर आठ सालों से घुटनों के दर्द की समस्या से जूझ रहे थे जिसके बाद उन्होंने दिल्ली आने का फैसला लिया और यहां नी रिप्लेसमेंट सर्जरी करवाई. सर्जरी के तुरंत बाद से ही वह अपने आप चलने लगे, जबकि सर्जरी से पहले वह बिना सहारे के चल भी नहीं पाते थे.
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घुटनों में होने वाला काफी दर्दनाक होता है. इसके कारण लोगों को चलने-बैठने में काफी ज्यादा दर्द का सामना करना पड़ता है. यह एक क्रॉनिक बीमारी है जिसका सामना लोगों को काफी लंबे समय तक करना पड़ता है. घुटनों के दर्द को ठीक करने के लिए लोग दवाओं का सेवन भी करते हैं लेकिन जब घुटने पूरी तरह से डैमेज हो जाते हैं तो इन्हें रिप्लेस करने की सर्जरी भी डॉक्टर करते हैं. हाल ही में दिल्ली के डॉक्टर्स ने एक ऐसा कारनामा किया है जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है.
दरअसल मामला यह है कि, झारखंड के धनबाद में रहने वाले 54 वर्षीय ब्रिज किशोर लगभग 8 सालों से घुटनों में दर्द की समस्या से जूझ रहे थे. मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर्स ने उनकी रोबोटिक सीमेंटलेस मेडियल पिवट टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी (knee replacement) की जिसके बाद उन्होंने उसी दिन चलना शुरू कर दिया.
बता दें कि ब्रिज किशोर के घुटने पूरी तरह से डैमेज हो चुके थे. इस दौरान उन्होंने कई लोकल डॉक्टर्स से ट्रीटमेंट करवाया और होम्योपेथिक दवाओं का भी सेवन किया लेकिन उससे उन्हें कोई भी फाय़दा नहीं मिल पाया. जब दर्द से आराम नहीं मिला तो उन्होंने दिल्ली जाने का फैसला लिया.
23 जून 2025 को दिल्ली के साकेत में स्थित, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में उनके घुटनों की सर्जरी की गई. अस्पताल की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, उन्हें दोनों घुटनों में गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस के साथ-साथ वेरस (बो-लेग्ड) और फ्लेक्सियन (मुड़े हुए घुटने) कॉन्ट्रैक्चर जैसी गंभीर समस्या भी थी. साथ ही उनके लिए बिना सहारे के चलना काफी ज्यादा मुश्किल था.
मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के चेयरमैन डॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी ने इस सर्जरी को लीड किया. डॉ. सुजॉय ने एडवांस रोबोटिक टेक्नोलॉजी के साथ ही सीमेंटलेस मेडियल पिवट क्रूसिएट-रिटेनिंग (CR) इम्प्लांट का इस्तेमाल किया.
डॉक्टर भट्टाचार्जी ने कहा कि यह रोबोटिक सर्जरी में एक नया कदम है, जिससे मरीज जल्दी ठीक हो जाता है और उसे अपना ज्वॉइंट नेचुरल फील होता है. मरीज की रिकवरी के बारे में बात करते हुए डॉक्टर भट्टाचार्जी ने कहा, सर्जरी से पहले वो बिल्कुल भी नहीं चल पाते थे. लेकिन सर्जरी के बाद वह खुद से चलने लगे.
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