कुछ दिन पहले नोएडा के एक वृद्धाश्रम की ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जिसे देखकर किसी का भी दिल दहल जाए. इंसानियत को शर्मसार करने वाली इन तस्वीरों में बुजुर्गों की ऐसी हालत नजर आई जैसे वो इंसान नहीं जानवर हों. पुलिस ने तहखाने जैसी जगह से बुजुर्गों को रेस्क्यू किया. उम्र के इस पड़ाव पर ये लोग इस उम्मीद में यहां गए होंगे कि जिंदगी के बचे हुए साल आराम से काटेंगे, लेकिन उनके लिए ये जिंदगी जहन्नुम बन गई. ये बुजुर्ग बीमार हैं, लाचार है, कोई देख नहीं सकता है, तो किसी की जुबान साथ नहीं देती वो अपनी कहानी किसी को बता भी नहीं सकते. बीमारी की वजह से किसी यादाश्त चली गई तो किसी के अपने यहां छोड़ गए.
ओल्ड एज होम में कैसे हो रहा था अत्याचार?
तालों में बंद ये बुजुर्ग नर्क जैसी जिंदगी जी रहे थे. इन लोगों को जिन कमरों में बंद रखा गया था, उसमें न खिड़िकियां थीं न दरवाजे, कई लोगों के शरीर पर ढंग के कपड़े तक नहीं थे. नोएडा के सेक्टर 55 में स्थित आनंद निकेतन वृद्ध आश्रम पर आरोप लग रहे हैं कि उनको विदेशों से मोटी फंडिंग भी मिल रही थी, लेकिन फिर भी इन लोगों को साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार क्यों किया जा रहा था. आखिर कैसे इतने सालों से इस तरह का धंधा चल रहा था और किसी की नजर भी नहीं पड़ी. ये घटना देश के ओल्ड एज होम की काली सच्चाई को उजागर करती है.
बिजनेस मॉडल बनता ओल्ड एज होम
मुंबई के सिल्वर इनिंग एनजीओ के फाउंडर शैलेश मिश्रा कहते हैं- भारत में ओल्ड एज को शुरू करने के लिए कोई खास सिस्टम नहीं है. यहां जिसको मन करता है वो बिना किसी रजिस्ट्रेशन के ओल्ड एज होम शुरू कर देता है. ऐसे सेंटर के लिए कितना स्टाफ चाहिए, क्या गाइडलाइन हो ये सब कोई ध्यान नहीं देता है. लोग अपने बिजनेस के लिए ऐसे सेंटर खोल देते हैं और कमाई का जरिया बना लेते हैं. यहां किसी की चेकिंग नहीं होती है, नोएडा के केस में किस्मत अच्छी थी, लोगों को पता चल गया, देश में ऐसे कई ऐसे सेंटर होंगे, जहां बुजुर्ग इससे भी खराब हालत में हो सकते हैं. आजकल लोग दो कमरे में 4 बेड रखकर ओल्ड एज होम शुरू कर देते हैं.
नोएडा में बुजुर्गों के लिए हेल्थ सेंटर चलाने वाले डॉक्टर विपिन कहते हैं. 'जब मैंने अपना सेंटर शुरू किया था, तब कई सरकारी एजेंसी से बात की थी, लेकिन मुझे कोई मदद नहीं मिली, नियमों के मुताबिक सभी एनजीओ का रजिस्टर्ड होना जरूरी है, लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं हैं. कई एनजीओ वाले रजिस्ट्रेशन कराकर ओल्ड एज होम शुरू कर देते हैं, लेकिन उनको चेक करने वाला कोई नहीं होता. गुरुग्राम में ज्यादातर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है.'
डॉक्टर विपिन आगे कहते हैं- 'मेंटल हेल्थ वाले सेंटर के लिए सीडीएमो ऑफिस से अप्रूवल लेना होता है. वहीं हर ओल्ड एज होम के अंदर एक डॉक्टर के होने का नियम है, लेकिन बहुत कम ही सेंटर हैं, जहां मेडिकल सुविधा होगी.' डॉक्टर विपिन बुजुर्गों के लिए हेल्थ सेंटर चलाते हैं. जहां मेडिकली अनफिट बुजुर्ग रहते हैं, जिनकी हालत खराब है और उनको 24 घंटे मेडिकल सुविधा की जरूरत होती है. उनके सेंटर में इस तरह के लोग हैं, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. एक मरीज का महीने का खर्च 30 हजार रुपये तक आता है, जिसमें मेडिकल सुविधा, केयर टेयर, खाने और रहने की सुविधा होती है.
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भारत सरकार बुजर्गों के लिए क्या कर रही है?
भारत में बुजुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ रही है, देश की आबादी का करीब 10 फीसदी हिस्सा बुजुर्गों का है और 2050 तक इनकी संख्या 17 फीसदी तक होने की संभावना है. भारत सरकार की तरफ से हर जिले में एक फ्री ओल्ड एज होम बनाने का प्रावधान है, जिसमें करीब 150 लोगों के रहने की सुविधा रहती है. वहीं सरकार की तरफ से इंदिरा गांधी पेंशन योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे के 60 साल की उम्र से ज्यादा के बुजुर्गों को 200 रुपये और 79 साल की उम्र से ज्यादा के बुजुर्गों को 500 रुपये मासिक पेंशन देने का प्रावधान है. हालांकि भारत में बुजुर्गों की जो हालत है उसके हिसाब से ये पैसे नहीं के बराबर है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के बुजर्गों में करीब 75 फीसदी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, तो वहीं 20 फीसदी मेंटल हेल्थ की प्रॉब्लम झेल रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में बेघर बुजुर्गों के लिए क्या सुविधा?
उत्तर प्रदेश समाज कल्याण की वेबसाइट के मुताबिक राज्य के 75 जिलों में वृद्धाश्रम संचालित किए जा रहे हैं. जिसमें 150 लोगों के रहने की सुविधा है. इन लोगों के लिए निशुल्क खाना, कपड़े, रहने और पर्सनल केयर की व्यवस्था की जाती है. ऐसे वृद्ध जो रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन पर कई बार लावारिस पड़े रहते हैं, जिनके पास खाने और रहने की सुविधा नहीं होती उन्हें जिलाधिकारी के इजाजत से जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा वृद्धाश्रम मे रखे जाने की अनुमति दी जाती है.
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ओल्ड एज होम खोलने के क्या नियम?
भारत में ओल्ड एज होम खोलने के लिए अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अलग-अलग गाइडलाइन बनाई गई हैं.
- लोकेशन ऐसे एरिया में होना चाहिए, जहां कनेक्टिविटी अच्छी हो
- वृद्धाश्रम का रजिस्ट्रेशन और मान्यता की जानकारी अनिवार्य है
- ओल्ड एज होम में सुविधा फ्री दी जा रही है या फीस लेकर इसकी जानकारी
- हेल्थ और मेडिकल सर्विस का होना अनिवार्य
- लोगों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान
- जिस जमीन का प्रयोग कर रहे हैं, उसका स्वामित्व स्पष्ट होना चाहिए.
- सीढ़ियां समान उंचाई, चौड़ाई और लंबाई की हो
- .कमरों में वेंटिलेशन की सुविधा हो, अच्छी रोशनी आती हो.
- मौसम की स्थिति से निपटने की सुविधाएं (एसी, कूलर, हीटर आदि)
- कमरों का साफ-सफाई की सुविधा
- केयर टेयर का प्रशिक्षित होना अनिवार्य
- सभी कर्मचारियों के पास जरूरी योग्यता
- नियुक्ति से पहले मेडिकल चेक-अप होना जरूरी
- किचन में स्वच्छता और सुरक्षा के उच्च मानकों को बनाए रखना
भारत में कितने तरह के ओल्ड एज होम?
सरकार की तरफ से फ्री वृद्धाश्रम की सुविधा में जिसमें बुजुर्ग बिना किसी शुल्क के रह सकते हैं. अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग नियम होते हैं. दूसरे ऐसे ओल्ड एज होम होते हैं जिसे एनजीओ चलाते हैं. यहां के लिए 3 हजार से लेकर 10 हजार तक की फीस देनी होती है. बड़े शहरों में ओल्ड एज होम बड़ा बिजनेस मॉडल भी बन गया है. जितनी महंगी फीस उतनी बेहतर सुविधा, 10 हजार से लेकर एक लाख रुपये महीने तक पर ऐसे ओल्ड एज होम बुजुर्गों के लिए बनाए गए हैं. जिसमें ऐसे लोग रहते हैं जो आर्थिक रुप से बेहतर हैं और उनके घर में देखभाल करने वाला कोई नहीं है उनके लिए ये बेहतर विकल्प है. इन ओल्ड एज होम में 24 घंटे डॉक्टर और नर्स की सुविधा के साथ लोगों को कई तरह की एक्टिविटी भी कराई जाती है.
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