बड़े पर्दे पर एक बार रामकथा को लाने की तैयारियां तेज हो गई हैं. बॉलीवुड एक्टर रणबीर कपूर, साउथ की दीवा साई पल्लवी और एक्टर यश को साथ लेकर निर्देशक नीतेश तिवारी रामायणम् बना रहे हैं. फिल्म की शूटिंग जारी है और हाल ही में इसका टीजर भी रिलीज किया गया है. फिल्म में मुख्य किरदारों की स्टारकास्ट सामने आई है. इसमें रणबीर कपूर श्रीराम, साई पल्लवी सीता, यश- रावण, सनी द्योल-हनुमान, रवि दुबे-लक्ष्मण और खुद अरुण गोविल- महाराज दशरथ का किरदार निभाने जा रहे हैं. फिल्म की बड़ी स्टार कास्ट के बीच निगाह जाकर थम जाती है बॉलीवुड एक्टर विवेक ओबेरॉय की ओर.
विवेक ओबेरॉय को मिला अहम किरदार
फिल्म में विवेक ओबेरॉय एक छोटा लेकिन अहम किरदार निभाने वाले हैं. उन्हें नितेश तिवारी के इस ग्रैंड प्रोजेक्ट में विद्युज्जिह्व (या विद्युतजिव्ह) का किरदार मिला है. सवाल उठता है कि कौन था विद्युज्जिह्व और रामायण में ये पात्र कैसे इतना खास बन जाता है? असल विद्युज्जिह्व का किरदार रामकथा में बहुत छोटा ही है, लेकिन यह किरदार अपनी एक दमदार भूमिका के लिए जाना जाता है. हालांकि विद्युज्जिह्व का जिक्र रामायण की मुख्य कहानी में सीधे तौर पर सामने नहीं आता है. यह किरदार तब सामने आता है, जब यह कहा जाता है कि रामायण में हुई हर घटना के पीछे एक वजह थी. इसी क्रम में शूर्पणखा के कारनामों के पीछे की वजह विद्युज्जिह्व को ही बताया जाता है.
शूर्पणखा का पति था विद्युज्जिह्व
पौराणिक कथाओं के आधार पर सामने आता है कि रावण की बहन शूर्पणखा का विवाह कालकेय वंश के दैत्य विद्युज्जिह्व से हुआ था. कालकेय का वंश पाताललोक पर राज करता था. एक बार रावण विश्वविजय के लिए निकला तो उसने दक्षिण के सारे राज्यों को जीत लिया. धरती और स्वर्ग पर अधिकार के बाद रावण पाताल की ओर बढ़ा. यहां उसका सामना विद्युज्जिह्व से हुआ था, क्योंकि विद्युज्जिह्व ने रावण के विजय अभियान में साथ नहीं दिया था और संधि के बजाय युद्ध को चुना था. इस घमासान युद्ध में विद्युज्जिह्व मारा गया और शूर्पणखा विधवा हो गई थी.
जब शूर्पणखा को इस बात का पता चला तब उसे अपने भाई रावण पर बहुत क्रोध आया. इस घटना के बाद से ही शूर्पणखा अपने भाई रावण को अपने दुर्भाग्य का कारण मानने लगी थी. कहते हैं कि उसने रावण को श्राप दिया था कि जिस गुमान में तुमने मेरे सुहाग को मिटाया है, मैं तुम्हें मिटा दूंगी. कुछ किवदंतियां ऐसी भी हैं, रावण ने कालकेय वंश के दैत्य विद्युज्जिह्व से अपनी बहन का विवाह करके उससे मैत्री व्यूह विवाह के तहत संधि कर ली थी और मित्र बना लिया था.
वह पाताल पर आक्रमण भी नहीं करना चाहता था, लेकिन फिर उसे पता चला कि विद्युज्जिह्व अन्य राक्षसों और दैत्यों के साथ मिलकर रावण पर ही हमले की योजना बना रहा है. इस षड्यंत्र के सामने आने के बाद रावण ने पाताल पर हमला बोल दिया और दोनों के बीच सीधा द्वंद्व हुआ. इस लड़ाई में रावण ने शिवजी से मिली चंद्रहास खड्ग से विद्युज्जिह्व का वध कर दिया था.
शूर्पणखा ले रही थी अपने पति की हत्या का बदला
इस तरह शूर्पणखा ने जिस वजह से रावण को सीता हरण के लिए उकसाया, वह वजह उसका विधवा हो जाना ही था. इससे गुस्साई शूर्पणखा जान-बूझकर पंचवटी में राम-लक्ष्मण के पास जाती है और उनसे अनैतिक मांग करती है. यहीं पर लक्ष्मण द्वारा नाक काटे जाने का प्रसंग होता है. शूर्पणखा कटी नाक लेकर पहले अपने मौसेरे भाइयों खर-दूषण के पास पहुंचती है, उन दोनों का वध होने के बाद लंका जाती है रावण को सीता हरण के लिए उकसाती है. इस तरह शूर्पणखा द्वारा ही रावण के विनाश के लिए राम-रावण युद्ध की पटकथा लिखी जाती है.
इस प्रसंग का मंचन कुछ रामलीला समितियों के द्वारा भी किया जाता है. हालांकि विद्युज्जिह्व के प्रसंग का मंचन बहुत प्रसिद्ध नहीं रहा है, क्योंकि एक तो रामायण, आदर्श स्थिति के सर्वोच्च प्रतिमान की कहानी है, जहां हर रिश्ते की एक मर्यादा को निभाने वाले हीरो हैं. विद्युज्जिह्व के प्रसंग में कई बार रिश्तों का खून बहता है. पहला तो एक भाई के जरिए अपनी बहन का सुहाग उजड़ना, दूसरा खुद बहन का न सिर्फ भाई बल्कि पूरे वंश का सर्वनाश कर देने का घातक षड्यंत्र रचना. इन प्रसंगों से रामकथा के आदर्श का पूरा ढांचा कमजोर पड़ सकता है.
क्या है विद्युज्जिह्व की कहानी
फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा इसी तरह एक बहुचर्चित नाटक 'हमारे राम' का हिस्सा हैं और रावण का किरदार निभाते हैं. नाटक 'हमारे राम' भी शूर्पणखा के प्रसंग को मंच के जरिए सामने रखता है. जहां ये बताया जाता है कि रावण ने विद्युज्जिह्व का वध कर दिया है और इससे क्रोधित शूर्पणखा देवी निकुंभला को जगाती है. देवी आती हैं और उससे शांत रहने को कहती हैं और फिर वह बताती हैं कि अब रावण के अहंकार का अंत निकट है. जल्दी ही अयोध्या के दो कुमार रावण का अंत करेंगे और तुम इसका निमित्त (जरिया) बनोगी. इस तरह नाटक में भी यह स्पष्ट होता है कि राम-रावण के युद्ध की पटकथा असल में शूर्पणखा के बदले की चाहत ने ही लिखी थी.
अगर यह प्रश्न उठता है कि क्या शूर्पणखा ने पति की हत्या का बदला लेने के लिए ही यह किया तो इसका जवाब रामायण से भी इतर कई रचनाओं में हां के तौर पर मिलता है. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत किताब 'राम राज्य' में आशुतोष राणा इस प्रसंग की व्याख्या भी करते हैं. वह लिखते हैं कि रावण की बहन का असली नाम सुपर्णा था, लेकिन वह शूर्पणखा कैसे बन गई इसकी अलग कहानी है.
किताब में दर्ज है कि 'राक्षस राज कालका का पुत्र विद्युज्जिह्व रावण के विश्वविजयी अभियान में संबंधी होने के नाते उसके साथ ही शामिल था. वह रावण की सेना में प्रधान सेनापति था और अपने शौर्य से कई युद्ध भी जीते, लेकिन उसके मन में कुछ और भी था. विद्युज्जिह्व एक पत्र के जरिए इसका जिक्र सुपर्णा (शूर्पणखा) से करता है, जिसमें वह लंकाधिपति बनने की अपनी चाहत के बारे में बताता है. यह जानकर सुपर्णा (शूर्पणखा) के मन में भी लंका की साम्राज्ञी बनने की चाहत जन्म ले लेती है.
रावण ने क्यों की थी विद्युज्जिह्व की हत्या
किसी तरह रावण को यह बात पता चल जाती है और वह एक दिन अपनी बहन के सामने ही विद्युज्जिह्व को मार देता है. इसी दिन से सुपर्णा शूर्पणखा बन जाती है. रावण उसे अपने आधिपत्य वाले दंडकवन में भेज देता है और खर-दूषण समेत 14 हजार राक्षसों की सेना उसकी सहायता के लिए दी जाती है.
वाल्मीकि रामायण में विद्युज्जिह्व का जिक्र
वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में सर्ग 12 में विद्युज्जिह्व का जिक्र मिलता है. जहां उसे शूर्पणखा का पति बताया गया है. महर्षि वाल्मीकि इस सर्ग में ऋषि अग्सत्य के जरिए रावण के परिवार के विषय में बताते हुए विद्युज्जिह्व का जिक्र करते हैं.
राक्षसेन्द्रोऽभिषिक्तस्तु भ्रातृभिः सहितस्तदा।
ततः प्रदानं राक्षस्या भगिन्याः समचिन्तयत् ॥
(अगस्त्यजी कहते हैं— श्रीराम!) अपना अभिषेक हो जाने पर जब राक्षसराज रावण भाइयोंसहित लङ्कापुरी में रहने लगा, तब उसे अपनी
बहिन राक्षसी शूर्पणखा के ब्याह की चिन्ता हुई ॥ १ ॥
स्वसारं कालकेयाय दानवेन्द्राय राक्षसीम् ।
ददौ शूर्पणखां नाम विद्युज्जिह्वाय राक्षसः ॥ २ ॥
उस राक्षस ने दानवराज विद्युज्जिह्व को, जो कालका का पुत्र था, अपनी बहिन शूर्पणखा ब्याह दी ॥२॥
इसी के बाद आगे की कथा में बताया जाता है कि विद्युज्जिह्व का उसकी महत्वकांक्षा के कारण रावण द्वारा ही वध कर दिया जाता है. रावण के इस कृत्य पर शूर्पणखा तब तो कुछ नहीं बोली थी, लेकिन उसने मन ही मन तय कर लिया था कि कालकेय वंश की यह वधू रावण का काल जरूर बनेगी.
वयं रक्षामः उपन्यास में विद्युज्जिह्व का जिक्र
राक्षेंद्र रावण को केंद्र बनाकर आचार्य चतुरसेन ने वयं रक्षामः नाम से एक प्रसिद्ध उपन्यास लिखा था. यह उपन्यास रावण को नायक की तरह खड़ा करता है और बताता है कि ब्रह्मा द्वारा बनाई गई रक्ष जाति के भी अपने नियम-कायदे और नैतिक मूल्य थे. रावण ने उन नैतिक मूल्यों को समृद्ध किया. इसी दौरान अति महत्वाकांक्षी कालकेय वंशी विद्युज्जिह्व शूर्पणखा के संपर्क में आया. इस उपन्यास में विद्युज्जिह्व को कुलघाती और मातृहंता बताया गया है. वह रावण के महान सेनापति सुकेतु का वध कर देता है जो विद्युज्जिह्व के ही पिता था. फिर अपनी मां की भी हत्या करता है. रावण इन वजहों से उससे संबंध तोड़ लेता है, लेकिन शूर्पणखा पति का ही साथ देती है. उपन्यास की कहानी में आगे जाकर परिस्थितिवश रावण और विद्युज्जिह्व के बीच युद्ध होता है और विद्युज्जिह्व मारा जाता है.
कुल मिलाकर बात यह है कि रामायण की रामकथा में विद्युज्जिह्व का किरदार भले ही छोटा है, लेकिन वह वीर है, महत्वकांक्षी और रावण को चुनौती देने वाले एक महारथी के तौर पर सामने आता है. वह नहीं होता तो रामकथा अपने नैरेटिव को गढ़ने में भी थोड़ी कठिनता महसूस करती. शूर्पणखा के पति के तौर पर विवेक ओबेरॉय एक जरूरी किरदार निभाने जा रहे हैं, लेकिन फिल्म मेकर ने उनके किरदार को कितनी गहराई दी है, यह तो रिलीज के बाद ही सामने आएगा.
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