शेफाली जरीवाला की मौत से एंटी-एजिंग के क्रेज पर उठे सवाल, खतरनाक बन रहा जवान रहने का जुनून

4 days ago 1

27 जून की रात को 'कांटा लगा गर्ल' के नाम से मशहूर शेफाली जरीवाला अपने मुंबई वाले घर में अचानक बेहोश हो गईं. कुछ ही घंटों बाद अस्पताल में उनकी मौत की खबर आई. उनकी उम्र थी सिर्फ 42 साल. शुरुआती रिपोर्ट्स में कहा गया कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई लेकिन जांच से जुड़े कुछ लोग बताते हैं कि असल वजह कुछ और थी. 

खबर है कि उन्होंने व्रत के दौरान खुद को एंटी-एजिंग इंजेक्शन दिए जो शायद उनकी मौत का कारण बने. फाइनल ऑटोप्सी रिपोर्ट अभी नहीं आई, लेकिन उनकी अचानक मौत ने भारत के तेजी से बढ़ते और लगभग अनियंत्रित एंटी-एजिंग इंडस्ट्री पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ये ऐसा बाजार है जो जवानी का वादा तो करता है लेकिन साथ ही साथ कई र‍िस्क भी इससे जुड़ हैं. 

हद दर्जे का जुनून 

अब जवानी सिर्फ उम्र का एक पड़ाव नहीं बल्कि ये एक जुनून जैसी बन गई है. अब ये वो चीज है जिसे पैसे से खरीदा जा सकता है. 2024 में ग्लोबल एंटी-एजिंग मार्केट की वैल्यू करीब 50 बिलियन डॉलर थी और 2032 तक इसके 80 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. ये हर साल 6% की रफ्तार से बढ़ रहा है. इसमें सबसे बड़ा रोल है इंजेक्शन्स का, खासकर बॉटोक्स का, जिसका बाजार 8.7% की दर से बढ़ रहा है. 

2024 में दुनियाभर में 79 लाख से ज्यादा बॉटोक्स प्रोसीजर्स हुए जो इसे सबसे पॉपुलर नॉन-सर्जिकल कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट बनाता है. इसके अलावा हायलुरोनिक एसिड फिलर्स और लेजर हेयर रिमूवल जैसे ट्रीटमेंट्स भी खूब हो रहे हैं. प्लाज्मा-रिच फेशियल्स, पेप्टाइड थेरेपी और अल्ट्रासाउंड से स्किन टाइटनिंग जैसे कई ऑप्शन्स अब मौजूद हैं जो उम्र को 'रोकने' का दावा करते हैं. 

भारत में कॉस्मेटिक रेस की तेज रफ्तार

भारत अब इस ग्लोबल ब्यूटी इकॉनमी में किसी से पीछे नहीं है. ISAPS ग्लोबल सर्वे के मुताबिक भारत कॉस्मेटिक और एस्थेटिक प्रोसीजर्स के मामले में टॉप 10 देशों में शामिल है. सिर्फ अमेरिका, ब्राजील और जापान जैसे देश ही भारत से आगे हैं. 

इंडिया टुडे से बात करते हुए AIIMS दिल्ली में डर्मेटोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. सोमेश गुप्ता ने बताया कि भारत में एंटी-एजिंग इंडस्ट्री लगभग अनियंत्रित है. जहां नियम हैं भी, वहां उनका पालन नहीं होता.सिर्फ आसानी से कमाई के लिए कई लोग बिना मेडिकल ट्रेनिंग के ये प्रोसीजर्स कर रहे हैं. ब्यूटीशियन्स लेजर का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे स्किन जलने जैसे गंभीर नुकसान हो सकते हैं. 

डॉ. गुप्ता ने आगे बताया कि लोग बालों का झड़ना, पिगमेंटेशन और उम्र के शुरुआती निशानों के लिए देशभर से इलाज के लिए आ रहे हैं. ये डर्मेटोलॉजी का सबसे तेजी से बढ़ता सेक्टर है. उन्होंने ग्लूटाथियोन (जो शेफाली ने कथित तौर पर इस्तेमाल किया) के दुरुपयोग पर चेतावनी दी. बता दें कि ये एक ऐसा केमिकल है जो स्किन लाइटनिंग या बिना डॉक्टर की सलाह के इस्तेमाल के लिए अप्रूव्ड नहीं है.

गलत इस्तेमाल से हो सकते हैं गंभीर साइड इफेक्ट्स

इसके गलत इस्तेमाल से गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. डॉ गुप्ता कहते हैं कि हेयर ट्रांसप्लांट जैसे प्रोसीजर्स के दौरान भी कई बार मौतें हुई हैं. पिछले एक साल में भारत में कॉस्मेटिक प्रोसीजर्स में 25% की जबरदस्त उछाल आई है. साल 2023 में 10.2 लाख प्रोसीजर्स हुए थे जो 2024 में बढ़कर 12.9 लाख हो गए. ये दुनियाभर में होने वाले कुल प्रोसीजर्स का 3.4% है. भारत अब राइनोप्लास्टी (नाक की सर्जरी) और स्कार रिवीजन सर्जरी में दुनिया में दूसरे नंबर पर है, जो खासकर Gen-Z और मिलेनियल्स में पॉपुलर हैं. इसके अलावा केमिकल पील्स, लिपोसक्शन, और स्किन टाइटनिंग जैसे प्रोसीजर्स में भी भारत टॉप 5 में है. 

साल 2024 में भारत में 2.08 लाख से ज्यादा हेयर रिमूवल प्रोसीजर्स हुए. ये आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा है. इसके बाद हायलुरोनिक एसिड फिलर्स (97,160), केमिकल पील्स (85,120), और बॉटोक्स इंजेक्शन्स (76,720) का नंबर आता है. सर्जिकल प्रोसीजर्स में स्कार रिवीजन (1.06 लाख), लिपोसक्शन (97,160) और राइनोप्लास्टी (67,760) सबसे ज्यादा हुए. 

AIIMS की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नेहा तनेजा ने कहा कि एस्थेटिक्स और एंटी-एजिंग में कम ही ज्यादा है. ट्रीटमेंट्स को कभी ओवर-डू नहीं करना चाहिए. ये हमेशा एक क्वालिफाइड डर्मेटोलॉजिस्ट या प्लास्टिक सर्जन से सलाह लेकर ही तय करना चाहिए. उन्होंने बताया कि आजकल सबसे कॉमन प्रोसीजर्स में फिलर्स, स्किन बूस्टर्स और माइक्रोनीडलिंग शामिल हैं. 

डॉ तनेजा कहती हैं कि लोग 22-25 की उम्र से ही ये ट्रीटमेंट्स शुरू कर देते हैं. मगर समझने वाली बात ये है कि इंजेक्शन्स और IV-बेस्ड ट्रीटमेंट्स अगर ज्यादा मात्रा में या बिना निगरानी के लिए जाएं तो ये ब्लड केमिस्ट्री को बिगाड़ सकते हैं. लंबे समय तक इस्तेमाल करने से ये लिवर और किडनी जैसे अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. 

ग्लोबल मरीज, लोकल सर्जन्स

भारत अब सिर्फ अपने लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि मेडिकल टूरिज्म के लिए भी एक बड़ा हब बन रहा है. ISAPS के मुताबिक भारत में होने वाली कॉस्मेटिक सर्जरी में 8% मरीज विदेश से आते हैं. इसके सबसे ज्यादा मरीज अमेरिका, यूके और ऑस्ट्रेलिया से हैं. इसका कारण है भारत में बढ़ती हुई प्लास्टिक सर्जन्स की संख्या और कम लागत. भारत में करीब 2,800 प्लास्टिक सर्जन्स हैं जो दुनियाभर के कुल सर्जन्स का 4.8% है. ये संख्या साउथ कोरिया जैसी ब्यूटी मार्केट की दिग्गज के बराबर है. 

सोचिए- जवानी की क्या कीमत अदा करनी पड़ रही 

भारत में एंटी-एजिंग इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है लेकिन अगर सावधानी न बरती जाए तो ये एक खतरनाक रेस बन सकती है. सवाल ये नहीं कि हम ज्यादा देर तक जवान दिख सकते हैं या नहीं. सवाल ये है कि इसकी कीमत क्या होगी? डॉ. तनेजा चेतावनी देते हुए कहती हैं कि इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है लेकिन इसके साथ ही रातोंरात गोरा होने जैसे शॉर्टकट्स की डिमांड भी बढ़ रही है. असल खतरा यहीं है. वो आगे कहती हैं कि लगातार और सही तरीके से किए गए ट्रीटमेंट्स ही लंबे समय तक अच्छे नतीजे दे सकते हैं.

---- समाप्त ----

Read Entire Article