सरपंच हत्याकांड पर अदालत ने कहा- संगठित आपराधिक गिरोह का हिस्सा लगता है वाल्मीक कराड

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महाराष्ट्र के बीड की एक विशेष अदालत ने माना है कि सरपंच संतोष देशमुख की हत्या का मुख्य आरोपी वाल्मीक कराड गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल एक संगठित अपराध गिरोह का सदस्य प्रतीत होता है.

मकोका न्यायाधीश वी. एच. पटवाडकर ने पिछले हफ़्ते इस मामले में कराड की बरी करने की अर्ज़ी खारिज करते हुए कहा कि उसने और सह-आरोपियों ने 'अपने गिरोह/सिंडिकेट में दहशत पैदा करने' के लिए पीड़ित पर हमले का वीडियो बनाया था.

रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री पर विचार करते हुए, अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया, वाल्मीक कराड एक संगठित अपराध गिरोह का सदस्य प्रतीत होता है और 'लगातार गैरकानूनी गतिविधियों' में शामिल है.

अदालत ने कहा कि 'आरोपियों ने कथित तौर पर एक वीडियो बनाया और अपने गिरोह/सिंडिकेट में दहशत पैदा करने के लिए देशमुख की बेरहमी से पिटाई करते हुए दूसरों को वीडियो कॉल भी किए.'

बीड ज़िले के मस्साजोग गांव के सरपंच देशमुख का पिछले साल 9 दिसंबर को कथित तौर पर एक ऊर्जा कंपनी को निशाना बनाकर की जा रही जबरन वसूली को रोकने की कोशिश करने पर अपहरण कर लिया गया. इसके बाद उन्हें यातनाएं देकर मार डाला गया.

इस मामले में कराड सहित आठ लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है और उन पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है.

आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने हत्या के मामले और दो संबंधित अपराधों में अदालत में 1,200 से ज़्यादा पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया है. कराड ने अपनी आरोपमुक्ति याचिका में दावा किया कि उन्हें राजनीतिक उद्देश्यों के चलते इस मामले में झूठा फंसाया गया है.

मकोका के आरोपों पर, आरोपी ने तर्क दिया कि ऐसा कोई आपराधिक गिरोह मौजूद नहीं था और वह उसका सदस्य नहीं था. अभियोजन पक्ष ने उसकी याचिका का विरोध करते हुए कथित साज़िश और उसके क्रियान्वयन का विस्तृत विवरण दिया.

इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि कराड ने सह-आरोपियों के साथ मिलकर अवाडा एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड से 2 करोड़ रुपये की फिरौती मांगने की साजिश रची थी, ताकि वे कैज तालुका में अपना कारोबार चला सकें.

कथित तौर पर उन्होंने फिरौती न देने पर कंपनी का काम ठप करने की धमकी दी थी. अभियोजन पक्ष ने आगे दावा किया कि जब देशमुख ने हस्तक्षेप किया, तो कराड और सह-आरोपियों ने कथित तौर पर साजिश रची, उनका अपहरण किया और उन पर जानलेवा हमला किया, जिससे उनकी मौत हो गई.

पुलिस ने बताया कि इसके बाद उन्होंने देशमुख के शव को दैथाना फाटा पर फेंक दिया और फरार हो गए थे. अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि कराड पर पहले भी 20 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से सात अपराध पिछले 10 वर्षों में दर्ज किए गए हैं.

अदालत ने कहा कि गवाहों के बयान, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, वैज्ञानिक और फोरेंसिक साक्ष्यों के साथ, प्रथम दृष्टया अपराध में कराड की संलिप्तता को दर्शाते हैं.

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