भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों पर चर्चा तेजी से बढ़ रही है. और ऐसा होना लाजिमी भी है. खासतौर पर तब जब युवाओं में इस तरह का पैटर्न देखा जा रहा हो. लेकिन, दरखाने में सरकार विरोधी लोग इस तरह की बातें दुष्प्रचारित करते रहे हैं कि कोविशील्ड का टीका लगवाने वाले लोग हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं. केआरके जैसे बड़बोले लोग अकसर अकाल मौतों पर इस तरह की पोस्ट करके डराते रहे हैं. मगर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी इस तरह की बात करेंगे, यह किसी को उम्मीद नहीं थी. सिद्धारमैया ने हासन में हुई 23 मौतों की जांच के आदेश दिए, जिसमें कोविड वैक्सीन की संभावित भूमिका की जांच का जिक्र किया. कर्नाटक के हासन जिले में जून 2025 तक 40 दिनों में 23 लोगों की हार्ट अटैक से मौत की खबर ने स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा की है. इनमें से अधिकांश मृतक 20-25 वर्ष की आयु के युवा हैं.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने X पर एक पोस्ट में लिखा, हासन जिले में हाल ही में 20 से ज्यादा लोगों की हार्ट अटैक से मौत हुई है. यह गंभीर मामला है. क्या यह अचानक हो रही मौतें कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट तो नहीं? कई इंटरनेशनल रिसर्च में हाल में यह संकेत मिला है कि वैक्सीन हार्ट अटैक का कारण बन सकती है. क्या वैक्सीन को जल्दबाजी में मंजूरी देना इन मौतों की वजह हो सकती है?
इस बयान के बाद, सिद्धारमैया ने रविंद्रनाथ की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का आदेश दिया, जो इन मौतों के कारणों की वैज्ञानिक जांच करेगी और 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. हालांकि, सिद्धारमैया का वैक्सिन पर सवाल उठाना केवल और केवल पोलिटिकल माइलेज लेने का उपाय
1-क्या सिद्धारमैया की ये हरकत केआरके जैसी नहीं है?
केआरके जिन्हें कमाल आर खान के नाम से जाना जाता है, सोशल मीडिया पर अपने विवादास्पद और सनसनीखेज बयानों के लिए मशहूर हैं. आजकल उन्होंने भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक राग भी अलापनी शुरू कर दी है. कहने को तो वो बॉलीवुड के कलाकार रहे हैं और फिलहाल अभी फिल्मों और सीरीज की समीक्षा करते हैं. पर आजकल उनके ट्वीट का मकसद केवल और केवल भारत का मजाक उड़ाना रह गया है. उन्होंने 29 जून को एक क्रिकेटर की खेल मैदान में ही हुई मौत के कारण को कोविड वैक्सीन से जोड़कर देखा था. उन्होंने लिखा था कि यह मौत सिर्फ और सिर्फ वैक्सिन का कमाल है. अगर आपने भी अदार पूनावाला की वैक्सिन लगवाई है तो बस आप तैयार रहिए.इस ट्वीट के साथ उन्होंने फिरोजपुर पंजाब का वह विडियो भी अटैच किया था जिसमें उस क्रिकेटर की हार्ट अटैक से मौत हो जाती है.
केआरके जैसे लोग अक्सर बिना वैज्ञानिक आधार के ऐसे दावे करते हैं, जिससे जनता में भ्रम फैलता है और उनका सोशल मीडिया रीच बढ़ता है. ऐसे दावों का कोई वैज्ञानिक समर्थन नहीं है, और ये अक्सर सोशल मीडिया पर अफवाहों को बढ़ावा देते हैं. पर सिद्धारमैया जैसे संवैधानिक पोस्ट पर बैठे व्यक्ति के लिए इस तरह की गैर जिम्मादाराना बातें शोभा नहीं देती.
सोशल मीडिया पर केआरके जैसे लोगों के दावे इस भय को और बढ़ाते हैं. उनकी टिप्पणियां अक्सर बिना सबूत के होती हैं और केवल ध्यान आकर्षित करने के लिए की जाती हैं. सिद्धारमैया कर्नाटक के सीएम ही नहीं एक जिम्मेदार नेता के रूप में जाने जाते हैं. इसलिए उन्हें इस तरह के दावों से बचना चाहिए था, क्योंकि उनके शब्दों का प्रभाव जनता पर गहरा पड़ता है. हासन में हुई अकाल मौतों का मामला गंभीर है, और इसकी वैज्ञानिक जांच आवश्यक है. सिद्धारमैया ने जांच के आदेश देकर सही कदम उठाया है, लेकिन वैक्सीन को सीधे दोष देना जल्दबाजी थी.
2- वैज्ञानिक तथ्य और ICMR की स्टडी
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोविड वैक्सिन और अचानक मौतों के बीच संबंध की जांच के लिए एक व्यापक अध्ययन किया, जिसके परिणाम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने दिसंबर 2024 में संसद में प्रस्तुत किए थे. इस अध्ययन में 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों से डेटा लिया गया, जिसमें 18-45 वर्ष की आयु के 729 लोगों की अचानक मौतों और 2,916 हार्ट अटैक से बचे लोगों के मामलों का विश्लेषण किया गया.
इस विश्लेषण में जो बात सामने आई उसमें सबसे खास बातें इस प्रकार थीं. जैसे कोविड-19 के दौरान लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना,परिवार में अचानक मौत का इतिहास, मृत्यु से 48 घंटे पहले अत्यधिक शराब का सेवन, नशीली दवाओं का उपयोग,मृत्यु से पहले अत्यधिक शारीरिक गतिविधियां जैसे जिम में भारी व्यायाम आदि. ICMR की इस स्टडी ने स्पष्ट रूप से कोविड वैक्सीन को अचानक मौतों से जोड़ने की अफवाहों को खारिज किया और यह साबित किया कि वैक्सीन न केवल सुरक्षित है, बल्कि यह जोखिम को कम करती है.
वैक्सीन के दुष्प्रभावों की निगरानी के लिए देश में 'एडवर्स इवेंट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन' (AEFI) प्रणाली लागू है, जो किसी भी संभावित साइड इफेक्ट की ट्रैकिंग करती है. सुप्रीम कोर्ट ने भी अक्टूबर 2024 में एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (जैसे ब्लड क्लॉटिंग) के दावे सनसनी फैलाने के लिए हैं.
3- वैक्सीन और हार्ट अटैक का संबंध, कई अंतरराष्ट्रीय रिसर्च हैरान करने वाली हैं
कई इंटरनेशनल रिसर्च में संकेत मिला है कि वैक्सीन हार्ट अटैक का कारण बन सकती है.इसे समझने के लिए हमें हाल की वैज्ञानिक स्टडीज का विश्लेषण करना चाहिए.हालांकि इसमें ज्यादातर रिसर्च भारत के बाहर विकसित गईं वैक्सिन की हैं.भारत की को वैक्सिन पर रिसर्च कम ही हुई है.
जैसे फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सिन पर रिसर्च ये बताती है कि इसे लेने के बाद मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों की सूजन) और पेरिकार्डिटिस (हृदय की बाहरी परत की सूजन) के दुर्लभ मामले सामने आए हैं. ये मामले मुख्य रूप से युवा पुरुषों (12-29 वर्ष) में दूसरी खुराक के 7 दिनों के भीतर देखे गए हैं. सीडीसी के अनुसार, 100,000 लोगों में 2-8 मामले मायोकार्डिटिस के दर्ज किए गए हैं, जो कोविड-19 संक्रमण के बाद मायोकार्डिटिस (50-180 प्रति 100,000) की तुलना में बहुत कम है.
येल यूनिवर्सिटी ने 2023 की एक स्टडी में पाया गया कि वैक्सीन के बाद मायोकार्डिटिस एक अति-प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (साइटोकाइन और सेलुलर प्रतिक्रिया) के कारण होती है, न कि वैक्सीन द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडीज के कारण. ये मामले ज्यादातर हल्के होते हैं और मेडिसिन व आराम से ठीक हो जाते हैं.
2022 में नेचर मेडिसिन की एक स्टडी में अनुमान लगा कि कोविड-19 संक्रमण के बाद मायोकार्डिटिस की दर 40 प्रति 10 लाख है, जबकि मॉडर्ना वैक्सीन की दूसरी खुराक के बाद यह 10 प्रति 10 लाख है।
मायोकार्डिटिस और पेरिकार्डिटिस वैक्सीन के दुर्लभ दुष्प्रभाव हैं, लेकिन ये हार्ट अटैक (मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन) से अलग हैं.
कोविशील्ड (एस्ट्राजेनेका) वैक्सीन के साथ थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) के दुर्लभ मामले सामने आए हैं, जो खून के थक्कों और कम प्लेटलेट्स से जुड़ा है. यूके कोर्ट में एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया था कि TTS एक दुर्लभ दुष्प्रभाव है, जिसका अनुमान 1-2 प्रति 100,000 खुराक है. हालांकि, TTS से हार्ट अटैक का सीधा संबंध सिद्ध नहीं हुआ है.
46 मिलियन लोगों पर 2024 में हुई कैम्ब्रिज स्टडी इंग्लैंड में की गई एक स्टडी में पाया गया कि कोविड-19 वैक्सीनेशन के बाद हार्ट अटैक और स्ट्रोक की घटनाएं 10-27% कम हुईं हैं.
2021 में इज़राइल में हुई स्टडी बताती है कि 2019-2021 के दौरान कार्डियक अरेस्ट और एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के कॉल्स में 25% की वृद्धि देखी गई, जो वैक्सीन की खुराक से संबधित थी. हालांकि इस स्टडी में कोविड-19 संक्रमण और अन्य कारकों को अलग अलग नहीं रखा गया था इसलिए इस निष्कर्ष को सही नहीं माना गया.
4-सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया से आम लोगों में फैलेगा भ्रम
सिद्धारमैया का बयान और केआरके जैसे लोगों की टिप्पणियां जनता में भय और अविश्वास पैदा कर सकती हैं. भारत में कोविड वैक्सीनेशन अभियान ने दुनिया भर में लाखों लोगों की जान बचाई है. वैक्सीन पर अनावश्यक संदेह स्वास्थ्य नीतियों और जनता के विश्वास को कमजोर करती है. सिद्धारमैया की इस तरह की बातें उनके लिए खुद मुश्किल बन सकती हैं. जनता के बीच दूसरी बीमारियों को लिए भी वैक्सिनेशन कराना सरकार के लिए मुश्किल हो सकता है. भविष्य में अन्य बीमारियों के लिए वैक्सिनेशन के जनता में संदेह पैदा होगा.
विशेष रूप से, कोविड के नए वेरिएंट्स (LF.7, XFG, JN.1, NB.1.8.1) के कारण 2025 में मामले फिर से बढ़ रहे हैं, और जनवरी 2025 तक 55 मौतें दर्ज की गई हैं. ऐसे में वैक्सीनेशन और अन्य निवारक उपायों पर भरोसा बनाए रखना महत्वपूर्ण है. सोशल मीडिया पर केआरके जैसे लोग तो चाहते हैं कि भारत के लोग कीड़े मकोड़े की तरह दम तोड़ दें. अब सिद्धारमैया का बयान केआरके जैसों के लिए सपोर्ट सिस्टम का काम करेंगे. क्योंकि केआरके जैसे हवाबाजों की टिप्पणियां अक्सर बिना सबूत के होती हैं पर एक मुख्यमंत्री की बात से उनकी बात को वजन मिल जाता है.