सूडान के दारफुर इलाके में 31 अगस्त 2025 को आए भयानक भूस्खलन ने एक पूरा गांव तबाह कर दिया. तारसीन गांव (Tarseen) को मिट्टी का ढेर बना दिया, जिसमें 1000 से ज्यादा लोग मारे गए. सिर्फ एक ही व्यक्ति बचा. यह आपदा जेबेल मर्रा (Jebel Marra) पहाड़ी क्षेत्र में हुई, जहां पहले से ही गृहयुद्ध के कारण लाखों लोग शरणार्थी बने हुए हैं.
भूस्खलन कैसे और क्यों आया?
यह भूस्खलन 31 अगस्त 2025 की शाम को आया. दारफुर क्षेत्र के जेबेल मर्रा पहाड़ों में एक हफ्ते से लगातार भारी बारिश हो रही थी, जिससे मिट्टी ढीली हो गई. तारसीन गांव, जो नींबू-नारंगी उत्पादन के लिए मशहूर था, पूरी तरह धराशायी हो गया.
यह भी पढ़ें: ऊपर पहाड़ों से टूटकर गिर रहे थे पत्थर... अफगानिस्तान में भूकंप से इतनी मची बर्बादी
सूडान लिबरेशन मूवमेंट/आर्मी (SLM/A) ने बयान जारी कर कहा कि पूरे गांव के निवासी मारे गए, करीब 1000 से ज्यादा लोग. सिर्फ एक व्यक्ति बचा है. संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने कहा कि मौतों की संख्या कम से कम 370 हो सकती है, लेकिन सटीक आंकड़ा लगाना मुश्किल है क्योंकि पहाड़ी और दुर्गम है.
यह भूस्खलन बारिश के कारण ट्रिगर हुआ. गांव के सभी घर मलबे में दब गए. SLM/A के अब्देलवाहिद मोहम्मद नूर ने बयान दिया कि गांव पूरी तरह जमीन से बराबर हो गया. यह क्षेत्र बारिश के मौसम में भूस्खलन के लिए संवेदनशील है.
तबाही का मंजर, सिर्फ एक बचा
यह आपदा इतनी भयानक थी कि पूरा गांव मिट्टी, पेड़ों और मलबे के नीचे दब गया. पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी मारे गए. सिर्फ एक ही व्यक्ति जिंदा बचा है. गांव के सभी निवासी मिट्टी में दबे हैं. शव निकालना मुश्किल है.
तस्वीरों में दिखा कि पहाड़ की दो घाटियां नीचे मिलीं, जहां गांव था, सब कुछ समतल हो गया. दारफुर के आर्मी समर्थित गवर्नर मिनी मिनावी ने इसे 'मानवीय त्रासदी'बताया. कहा कि यह दुख इतना बड़ा है कि अकेले सहना मुश्किल है.
SLM/A ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से शव निकालने में मदद मांगी. लेकिन इलाका पहाड़ी होने से पहुंचना कठिन है – कोई हेलीकॉप्टर नहीं, सिर्फ उबड़-खाबड़ सड़कें. यूएन के एंटोइन जेरार्ड ने कहा कि मदद पहुंचाना चुनौतीपूर्ण है.
यह भी पढ़ें: बारिश की गलती या शहर की... हर बार क्यों 'स्वीमिंग पूल' बन जाता है गुरुग्राम?
गृहयुद्ध ने आपदा को और भयानक बनाया
यह भूस्खलन अकेला नहीं, बल्कि सूडान के दो साल पुराने गृहयुद्ध का हिस्सा है. अप्रैल 2023 से सूडानी आर्मी और रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (RSF) के बीच लड़ाई चल रही है, जिसमें 1.5 लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. उत्तर दारफुर की राजधानी अल-फाशिर पर RSF का घेरा है, जहां अकाल पड़ा है.
लाखों लोग जेबेल मर्रा में शरण लेने आए, लेकिन वहां भोजन, दवा और आश्रय की कमी है. SLM/A इस लड़ाई में तटस्थ रही है. जेबेल मर्रा का एक हिस्सा नियंत्रित करती है. लेकिन युद्ध ने देश की आधी आबादी को भूखमरी के कगार पर ला दिया. करोड़ों लोग बेघर हो गए.
ताविला इलाके में हैजा का प्रकोप है. बारिश ने हालात बिगाड़ दिए. दारफुर में नरसंहार के आरोप भी लगे हैं. युद्धग्रस्त लोग पहाड़ों में शरण लेते हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं के लिए जोखिम भरा है.
यह भी पढ़ें: बाढ़, बारिश और नदियों में उफान, शहर से गांव तक जलमग्न... पंजाब में इस बार इतनी क्यों मच रही है तबाही?
बचाव और सहायता
SLM/A ने यूएन और अन्य संगठनों से तुरंत मदद मांगी. आर्मी सरकार ने शोक व्यक्त किया और सहायता का वादा किया. लेकिन RSF नियंत्रित सरकार ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की. शवों को निकालना और दफनाना मुश्किल है. यूएन ने कहा कि 30 मिलियन लोगों को सहायता चाहिए, लेकिन युद्ध की वजह से पहुंचने में दिक्कत हो रही है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि बारिश का मौसम जारी है, इसलिए और आपदाओं का खतरा है. दारफुर के गवर्नर ने अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की. यह भूस्खलन सूडान के गृहयुद्ध और प्राकृतिक आपदा का दर्दनाक मेल है.
---- समाप्त ----