इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की स्पेस से नई तस्वीर सामने आई है. स्पेस स्टेशन से ली गई इस सेल्फी में वह अपने साथी एस्ट्रोनॉट और मिशन स्पेशलिस्ट टिबोर कपु के साथ ISS के कपोला मॉड्यूल के अंदर मुस्कुराते हुए दिखाई दे रहे हैं. शुभांशु की स्पेस मिशन का यह तीसरा दिन है और सभी चार यात्रियों को एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन के तहत 14 दिन के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजा गया है.
स्पेस से शुभांशु की सेल्फी
स्पेस स्टेशन पर ली गई इस सेल्फी में शुभांशु के साथ नजर आए रहे हंगरी के एस्ट्रोनॉट टिबोर कपु को HUNOR कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष में भेजा गया है. वह सोवियत संघ के विघटन के बाद हंगरी के पहले अंतरिक्ष यात्री हैं जो स्पेस स्टेशन पर गए हैं. वह मिशन स्पेशलिस्ट की भूमिका में वहां मौजूद हैं, जिनका काम साइंटफिक रिसर्च और टेक्निकल चीजों में टीम की मदद करना है. टिबोर का स्पेस में जाना हंगरी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.
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एक्सिओम-4 मिशन के तहत स्पेस स्टेशन पहुंचे इन चार अंतरिक्ष यात्रियों ने अब तक क्या-क्या किया? इस बारे में एक्सिओम स्पेस कंपनी ने विस्तार से बताया है. कंपनी ने कहा कि एक्स-4 के क्रू मेंबर कमांडर पैगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु शुक्ला, मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोश उज़नान्स्की-विश्निव्स्की और टिबोर कपु ने स्पेस स्टेशन पर एक एक्शन से भरपूर तीसरे दिन का समापन किया, जिसमें कई तरह की रिसर्च स्टडीज और ग्लोबल आउटरीच में उनकी भागीदारी अहम रही.
कैंसर को लेकर रिसर्च
स्पेस स्टेशन पर पेगी व्हिटसन ने लो अर्थ ऑर्बिट यानी LEO में कैंसर की जांच पर काम करना जारी रखा और इमेजिंग नमूने लिए, जिससे माइक्रोग्रैविटी के तहत कैंसर के बर्ताव के बारे में नई जानकारी मिल सकती है. सैनफोर्ड स्टेम सेल इंस्टीट्यूट की मदद से की गई यह रिसर्च धरती पर कैंसर के इलाज की राह आसान कर सकती है, खास तौर पर एग्रेसिव और मेटास्टेटिक कैंसर के लिए यह जांच काफी अहम है.
इस दौरान उन्होंने क्रिएटिविटी पर भी फोकस किया सऊदी अंतरिक्ष एजेंसी की माइक्रोग्रैविटी चैलेंज के लिए स्टूडेंड हार्डवेयर, साइंस एक्सपेरिमेंट और आर्टवर्क की तस्वीरें खींचीं. अरब क्षेत्र के यंग माइंड्स से 80 हजार से ज्यादा प्रस्तुतियों के साथ, इस प्रतियोगिता ने कला, कृषि और इंजीनियरिंग में इनोवेशन को बढ़ावा दिया है और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए जुनून को जगाने के मकसद के साथ इसे शुरू किया गया है.
शुभांशु ने किए एक्सपेरिमेंट
इस मिशन पर गए भारत के शुभांशु शुक्ला ने स्पेस माइक्रोएल्गी एक्सपेरिमेंट पर फोकस किया. सैंपल बैग तैनात किए और एल्गी स्ट्रेन की तस्वीरें लीं. ये छोटे जीव स्पेस रिसर्च के भविष्य में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, जो लंबी अवधि के मिशनों के लिए एक टिकाऊ, पोषक तत्वों से भरपूर फूड सोर्स बन सकते हैं.
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मिशन के क्रू मेंबर्स ने न्यूरो मोशन वीआर प्रोजेक्ट के लिए भी डेटा जमा किया, जहां अंतरिक्ष यात्री वीआर हेडसेट पहनते हैं और अटेंशन बेस्ड टास्क करते हैं, जबकि उनके दिमाग की गतिविधि पर फंक्शनल नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी (fNIRS) का इस्तेमाल करके नज़र रखी जाती है. यह रिसर्च इस बात की पड़ताल करता है कि माइक्रोग्रैविटी मोटर फंक्शन को कैसे प्रभावित करती है, जो भविष्य के गहरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए बेशकीमती जानकारी दे सकती है.
स्पेस में हेल्थ केयर पर भी फोकस
टेलीमेट्रिक हेल्थ AI स्टडी के लिए भी डेटा जमा किया गया, जो बायोमेट्रिक डेटा को मिशन एनालिटिक्स के साथ इंट्रीगेट करता है ताकि यह बेहतर ढंग से समझा जा सके कि स्पेस फ्लाइट इंसान के दिल और बैलेंस सिस्टम को कैसे प्रभावित करती है. डेटा विज्ञान तकनीकों को लागू करके, यह प्रोजेक्ट ऑर्बिट और पृथ्वी दोनों पर बेहतर, रियल टाइम की हेल्थ मॉनिटरिंग की ओर ले जा सकती है.
स्लावोश ने माइक्रोफ्लुइडिक डिज़ाइन एक्सपेरिमेंट में योगदान दिया, जिसमें माइक्रोग्रैविटी में फ्लूड डायनामिक की स्टडी करने के लिए कीन्स रिसर्च माइक्रोस्कोप टेस्टबेड (केर्मिट) इमेजिंग का इस्तेमाल किया गया. इस स्टडी का मकसद माइक्रोफ्लुइडिक डिवाइस विकसित करना है जो दवा की स्थिरता और गुणवत्ता को टेस्ट कर सकें, जो कि अंतरिक्ष में हेल्थकेयर की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
ग्लोबल आउटरीच में भागीदारी
ग्लोबल आउटरीच के तहत टिबोर को हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन से बातचीत का खास मौका मिला. पैगी व्हिटसन और स्लावोश ने अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस रेडिएशन से बचाने के लिए चल रहे प्रयासों के बारे में एक्सिओम स्पेस की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. लूसी लो के साथ बातचीत की. कंपनी ने बताया कि अभी और भी बहुत कुछ होने वाला है, टिबोर स्पेस स्टेशन पर अपने अनुभवों को साझा करने के लिए हंगरी के पत्रकारों से लाइव बात करेंगे.
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इसके अलावा पैगी और टिबोर मिलकर पहले मिशन अपडेट को रिकॉर्ड करेंगे कि स्पेस स्टेशन पर क्रू मेंबर्स ने किस तरह जीवन को अपनाया है और अभी क्या कोशिशें चल रहे हैं. इस दौरान शुक्रवार को शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खास बातचीत की थी और बातचीत में पीएम मोदी ने शुभांशु से उनके अनुभवों के बारे में पूछा और स्पेस को लेकर देश की महत्वाकांक्षाओं के बारे में उन्हें जानकारी दी.