उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक भाजपा कार्यकर्ता की पुलिस लाठीचार्ज के दौरान मौत हो गई. यह घटना 9 सितंबर की रात नोनहरा थाने में हुई थी।. घायल भाजपा कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय उर्फ जोखू की 11 सितंबर की सुबह चोट के कारण मौत हो गई. जब भाजपा के जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश राय मृतक के घर सांत्वना देने पहुंचे, तो गांव के लोग उन पर भड़क गए. ग्रामीणों ने जिलाध्यक्ष को उनकी पहले की गई टिप्पणी पर खरी-खोटी सुनाई, जिसमें उन्होंने कहा था कि धरना भाजपा का नहीं था.
जिलाध्यक्ष की सफाई, ग्रामीणों का गुस्सा
जब जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश राय मृतक के घर पहुंचे, तो उन्होंने मीडिया से कहा कि सियाराम उपाध्याय कर्मठ कार्यकर्ता थे, लेकिन थाने पर धरना भाजपा का नहीं था. उन्होंने 10 सितंबर को भी फोन पर यही बयान दिया था. इस बात से नाराज ग्रामीणों ने उन्हें भला-बुरा कहा. ग्रामीणों का कहना था कि सियाराम भाजपा के लिए हमेशा सक्रिय रहते थे. वायरल हुए वीडियो में ग्रामीणों को जिलाध्यक्ष से तीखी बहस करते देखा जा सकता है.
मृतक के पिता गिरजा उपाध्याय ने रोते हुए न्याय की मांग की. उन्होंने कहा कि उनके बेटे की मौत पुलिस की पिटाई से हुई है. धरने में शामिल रहे पूर्व छात्र नेता राजेश राय 'बागी' ने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि "योगी जी, मोदी जी सबका साथ सबका विश्वास की बात करते हैं, लेकिन अधिकारी माहौल खराब कर रहे हैं." उन्होंने अधिकारियों पर भाजपा कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने का आरोप भी लगाया.
मृतक के पिता ने ये बताया
मृतक के पिता गिरिजा उपाध्याय ने कहा कि वह 16 साल से भाजपा से जुड़ा हुआ था. घटना का जिक्र करते हुए गिरिजा ने कहा- 'जब वह घर लौटा, तो इतनी बुरी तरह पिटाई हुई थी कि वह बोल भी नहीं पा रहा था. बॉडी पर पीछे साइड जगह-जगह चोट के निशान थे.
एसपी ने लिया एक्शन
वहीं, एसपी इरज राजा ने बताया कि यह घटना दो गुटों के बीच हुई थी. उनमें बिजली का खंभा लगाने को लेकर विवाद था. फिलहाल, मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं. निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए, नोनहरा थाने के एसएचओ समेत 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित और 6 को पुलिस लाइन भेजा गया है.
राजनीति में बढ़ता आक्रोश
इस घटना ने स्थानीय भाजपा में अंदरूनी कलह को उजागर कर दिया है. एक तरफ कार्यकर्ता पुलिस की कार्रवाई से पीड़ित हैं, वहीं दूसरी तरफ जिलाध्यक्ष का बयान उन्हें और भी निराश कर रहा है. वायरल वीडियो इस बात का सबूत है कि मामले में अब जनता की नाराजगी सोशल मीडिया के जरिए सीधे सामने आ रही है.
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