14 सितंबर को दुबई में भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर देश में क्रिकेट फैंस के बीच जबरदस्त रोष है. 4 महीने पहले अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोग शहीद हुए जिसमें महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया गया. इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया इसमें भी पाकिस्तान की गोलीबारी में देश ने अपने करीब 20 लोगों की जवान गंवाई. जाहिर है कि अभी शहीदों के परिजनों के आंखों से आंसू सूखे भी नहीं कि दुश्मन के साथ मैच खेलेने पर लोगों का नाराज होना स्वभाविक है. सोशल मीडिया पर सरकार और बीसीसीआई को याद दिलाया जा रहा है कि जब प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि पाकिस्तान के साथ टेरर और टॉक साथ नहीं हो सकते, टेरर और ट्रेड साथ नहीं हो सकते, खून और पानी साथ नहीं बह सकते, तो खून और क्रिकेट कैसे साथ हो सकता है?
पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलने को लेकर बीसीसीआई के खिलाफ कानपुर, मुरादाबाद जैसे शहरों में प्रदर्शन हुए हैं. पाकिस्तान के झंडे जलाए गए हैं. सोशल मीडिया पर #BoycottPakCricket और #PehalgamAttack जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं. भारतीय क्रिकेट फैंस मैच को शहीदों का अपमान बता रहे हैं, पर भारत सरकार के सर पर जूं तक नहीं रेंग रही है. विपक्षी नेता जैसे संजय राउत ने इसे देशद्रोह कहा और सिंदूर रक्षा अभियान का ऐलान किया है. कुछ लोग इस मैच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे पर वहां भी उनकी मुराद नहीं पूरी हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक मैच है.
देश की जनता के गुस्से का सहीं आकलन नहीं हुआ?
भारत-पाक जंग के बीच सीजफायर लागू होने से जनता वैसे ही नाराज थी. अब भारत और पाक क्रिकेट मैच खेल की घोषणा के बाद से ही सोशल मीडिया पर फैंस ने मैच को शहीदों का अपमान बताना शुरू कर दिया था. लोगों की उम्मीद थी कि हो सकता है आगे चलकर किसी बहाने भारत इस मैच से अलग हो जाए. पर ऐसा नहीं हुआ.
सबसे बड़ी बात यह है कि जिन लोगों पर पाकिस्तान के साथ सहृदयता रखने का आरोप लगता था वही लोग आज एनडीए और बीजेपी पर पाकिस्तान के साथ सॉफ्ट होने का आरोप लगा रहे हैं.पाकिस्तान के साथ अमन की आशा की बात करने वाले आज पाकिस्तान से क्रिकेट किसी भी कीमत पर न कराने की बात कर रहे हैं. और ऐसा हो भी क्यों न? सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा कि आखिर खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते कहने वाले आज खून और खेल को एक साथ मिलाने को तैयार हैं.
यह गुस्सा न केवल फैंस में, बल्कि पूर्व खिलाड़ियों (हरभजन सिंह) और राजनीतिक दलों में भी है. फिलहाल पहली बार लेफ्ट और राइट एक साथ नजर आ रहा है. मुरादाबाद में पूर्व सपा सांसद एसटी हसन ने कहा, पाकिस्तान से मैच खेलना शहीदों का अपमान है. दूसरी ओर पूर्व सांसद (बीजेपी) कोच गौतम गंभीर ने भी कुछ दिनों पहले कहा था कि जब तक आतंकवाद न रुके तब तक पाकिस्तान से मैच बंद हो. समाजवादी पार्टी के अबू आजमी ने कहा, पाक से आतंकी आते हैं, मैच कैसे?, प्रियंका चतुर्वेदी ने भी प्रसारण पर आपत्ति जताई है.
फिलहाल पहले जैसी भारत-पाक मैचों के टिकट के लिए मारा मारी भी नहीं थी. बिक्री बहुत धीमी रही है. बहुत मुश्किल से स्टेडियम फुल हाउस हो सका है. ये जनता की नाराजगी ही दर्शाती है.मैच देखने के लिए जो उत्साह कई हफ्ते पहले से दिखने लगता था वो भी इस बार नहीं दिख रहा है. शहर के रेस्त्रां बड़ी स्क्रीन के साथ कई हफ्ते पहले से सीट रिजर्व करवाने का ऐड देते थे.इस बार यह भी नहीं दिख रहा है.
फिलहाल सरकार और बीसीसीआई ने अभी तक जो भी मजबूरियां गिनाईं हैं उनमें दम नहीं लगता है. आइये देखते हैं कैसे-
1- सरकारी नीति और बहुपक्षीय टूर्नामेंट्स में भागीदारी की बाध्यता के तर्क हल्के हैं
bilateral मैचों में पाकिस्तान के साथ कोई संबंध नहीं, लेकिन multilateral टूर्नामेंट्स में भागीदारी अनिवार्य है. युवा एवं खेल मंत्रालय ने अगस्त 2025 में अपनी नीति संशोधित की, जिसमें कहा गया कि भारत दुश्मन देशों के साथ द्विपक्षीय प्रतियोगिताओं में भाग नहीं लेगा. लेकिन एशिया कप, चैंपियंस ट्रॉफी, या वर्ल्ड कप जैसे ICC/ACC आयोजनों में पाकिस्तान से मैच खेलना होगा. BCCI सचिव देवजीत सैकिया ने 6 सितंबर 2025 को कहा कि सरकार ने बहुपक्षीय आयोजनों में किसी भी देश के खिलाफ खेलने पर प्रतिबंध नहीं लगाया है.
सवाल उठता है कि जब देश और नागरिकों पर आंच आती है तो सरकार के सोचने का रवैया हमेशा से दूसरा होता है. क्या सिंधु नदी जल समझौते को स्थगित किया जा सकता था? सरकार ने इच्छा शक्ति दिखाई तो ये भी संभव हो गया. इसके पहले तक तो यही समझा जाता था कि अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है. पर सरकार ने कर सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया. पीएम नरेंद्र मोदी ने बार बार कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते हैं.
2-क्या बहिष्कार से ICC या ACC जैसे वैश्विक निकायों से सैंक्शन का खतरा है? परमाणु विस्फोट के समय भी सैंक्शन लगे थे, क्या हुआ?
सैकिया ने उदाहरण दिया कि यदि भारत एशिया कप में पाकिस्तान से मैच न खेले, तो एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लग सकता है, जो नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों की करियर बर्बाद कर देगा.
एशिया कप 2025 दुबई-अबू धाबी में हो रहा है. भारत का न खेलना टूर्नामेंट को रद्द करा सकता है या BCCI को जुर्माना लग सकता है. सरकार की मजबूरी यह है कि वह भारतीय खेलों को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग नहीं होना चाहती, खासकर जब भारत 2026 T20 वर्ल्ड कप का सह-मेजबान है. सवाल यह है कि जब पोखरण में परमाणु बम के लिए विस्फोट करवाया गया तो क्या विदेशी सैंक्शन लगने के खतरे नहीं थे? तो क्या सरकार झुक गई?
3-भारत क्रिकेट का वैश्विक हब बनना चाहता है, ओलंपिक की दावेदारी पर भी खतरे की बात अतिशयोक्ति
भारत क्रिकेट का वैश्विक हब बनना चाहता है, और मैच बहिष्कार से इस तरह की तैयारी पर ग्रहण लग सकता है. कुछ लोगों का मानना है कि भारत 2036 के ओलिंपिक के लिए दावा करने वाली है. पाकिस्तान के साथ मैच न खेलने से उसके दावे पर असर पड़ सकता है. ऐसा कहने वाले लोग खेल इतिहास नहीं जानते हैं शायद. शीत युद्ध के दौर में रूस में ओलिंपिक होता था अमेरिका बहिष्कार करता था और अमेरिका में ओलिंपिक होता था रूस बहिष्कार करता था. साधारण सी बात है कि यह सब बहाने कमजोर देशों के लिए होते हैं. भारत अगर दुनिया की तीसरी आर्थिक शक्ति बनने जा रही है और देश इस तरह डर डर कर फैसले लेगा तो विश्व महाशक्ति का सपना आज से 4 दशक बाद भी पूरा नहीं होने वाला है.
4-आर्थिक मजबूरी की बात नहीं पचती, मैचों से अरबों की कमाई
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच विश्व क्रिकेट का सबसे बड़ा व्यावसायिक आकर्षण है. 2025 चैंपियंस ट्रॉफी में भारत-पाकिस्तान मैच ने 26 अरब मिनट व्यूअरशिप उत्पन्न की, जो 2023 ODI वर्ल्ड कप से अधिक था. BCCI की वार्षिक आय 7,000 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें भारत-पाकिस्तान मैचों का बड़ा योगदान है.
एशिया कप आयोजक ACC को वित्तीय नुकसान होगा, जो भारत को अनफ्रेंडली बना सकता है. सरकार जानती है कि क्रिकेट भारत की सॉफ्ट पावर है, जो 1.4 अरब लोगों को जोड़ता है.
ये सब बातें सही हो सकती हैं पर जब भारत 5 ट्रिलियन इकॉनमी की बात कर रहा है वहां 7000 करोड़ क्या मायने रखते हैं. पाकिस्तान को बिना अलग थलग करके भारत हजारों करोड़ रुपये अपने अन्य मदों में बचा सकता है. फिलहाल पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने के जितनी मजबूरियां हैं ये सब बहाने हैं.
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