मिजोरम के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक लम्हा (Historic Day For Mizoram) है, क्योंकि इसकी राजधानी आइजोल अब देश के विशाल रेल नेटवर्क से जुड़ने जा रहा है. खास बात ये है कि आजादी के 77 साल बीत जाने के बाद बाद पहली बार राज्य की राजधानी आइजोल को रेल कनेक्टिविटी (Aizawl Train Connectivity) की सौगात मिल रही है. इसके लिए बैराबी सैरांग रेलवे लाइन का काम पूरा हो चुका है, जो सबसे दुर्गम इलाकों से होकर गुजरती है. अब जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा इसका उद्घाटन किया जाएगा.
दिल्ली से आइजोल तक चलेगी ट्रेन
अभी तक मिजोरम के लोगों के लिए रेल संपर्क बैराबी रेलवे स्टेशन तक ही था, जो असम-मिजोरम सीमा पर स्थित है, लेकिन अब बैराबी-सैरांग रेल लाइन के जरिए इसका आइजोल तक विस्तार कर दिया गया है. इंडिया टुडे की ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक, यहां के दुर्गम इलाकों में रेलवे लाइन बिछाना इंजीनियरिंग चमत्कार से कम नहीं है. इस बैराबी-सैरांग रेल लाइन की आधारशिला साल नवंबर 2014 में पीएम मोदी ने रखी थी और अब जल्द प्रधानमंत्री इस तैयार Bairabi Sairang Rail Line का उद्घाटन करेंगे और इसके बाद देश की राजधानी दिल्ली से आइजोल तक का सफर ट्रेन से पूरा किया जा सकेगा.
51 किलोमीटर का सफर में 50 सुरंगें-150 पुल
जैसा कि बताया कि ये रेल लाइन बेहद ही दुर्गम इलाकों में बिछाई गई है. 51.38 किलोमीटर की बैराबी-सैरांग ट्रैक पर ट्रैन 50 सुरंगों को पार करती हुई और 150 से ज्यादा पुलों के जरिए गुजरेगी. चीफ इंजीनियर विनोद कुमारने कहा कि जहां तक लॉजिस्टिक की बात है, यह पूरी परियोजना बहुत ही चुनौतीपूर्ण और कठिन थी, इसमें समुद्र तल से 81 मीटर ऊपर ब्रिज बनाए गए हैं.
कुमार ने बताया कि जब मैं इस रेल परियोजना का हिस्सा बना, तो जलवायु परिवर्तन के कारण ये शुरुआती चरण में थी. हालात ऐसे थे कि साल के 12 महीनों में से 8 महीने तो बारिश ही होती रहती, इसलिए हमें 4-5 महीने काम करने का मौका मिलता था और वो भी उस दौरान जब कड़ाके की सर्दी पड़ती है, वहीं ऐसे में अगर बारिश होती थी, तो काम हफ्ते-दो हफ्ते के लिए टल जाता था.
बेहद मुश्किलों से भरा रहा प्रोजेक्ट
चीफ इंजीनियर के मुताबिक, इस रेलवे लाइन पर बनाए गए पुलों के चारों ओर घना जंगल है. इसके अलावा ये सबसे नजदीकी राजमार्ग से भी बहुत दूर है, जहां से यहां तक पहुंचना बेहद कठिन था. क्योंकि खड़ी और संकरी सड़कें भूस्खलन के कारण अक्सर क्षतिग्रस्त हो जाया करती थीं, जिसके चलते यहां तक निर्माण सामग्री और मशीनरी लाना बहुत मुश्किल था.
विनोद कुमार ने बताया कि करीब दो साल तक हम भूस्खलन से प्रभावित सड़कों के कारण अटके रहे और तीसरे साल हमने अपनी स्ट्रेटजी में बदलाव किया और अब आखिरकार ये निर्माण कार्य पूरा कर लिया है. उन्होंने ये भी कहा कि परियोजना निर्माण के दौरान हमें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन राज्य सरकारों और अन्य एजेंसियों की मदद से हमने काम में तेजी लाई.
गुवाहाटी से आइजोल सिर्फ 450 रुपये में
नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे CPRO के के शर्मा ने इस रेल लाइन का काम पूरा होने पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि यह परियोजना अब पूरी हो गई है और उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही इस लाइन का उद्घाटन करेंगे. इसके चालू होने के बाद, रेल सेवाएं मिजोरम में विकास के एक नए युग की शुरुआत करेंगी और इसकी इकोनॉमी को बल मिलेगा.
कनेक्टिविटी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि आपको सड़क मार्ग से गुवाहाटी से आइजोल जाने में 18 घंटे लगते हैं, लेकिन यह रेल कनेक्टिविटी यात्रा के समय को घटाकर 12 घंटे से भी कम कर देगी. इस लाइन को बिछाने में सुरक्षा का दृष्टि से भूकंपरोधी तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है. ट्रेन स्टार्ट होने पर लोन Guwahati To Aizawl सिर्फ 450 रुपये में यात्रा कर सकेंगे.
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