Amarnath Yatra 2025: बाबा बर्फानी के दर्शन करने हर रोज भारी संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं. अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हुई थी. कहते हैं कि ये वही स्थान है, जहां भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुनाया था. माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुनाने से पहले भगवान शिव ने बहुत सी प्रतीकात्मक और शक्तिशाली वस्तुएं अलग-अलग जगहो पर त्याग दी थी. आइए जानते हैं कि भगवान शिव ने किन-किन चीजों का त्याग किया था.
शिवपुराण के अनुसार, जब भगवान शिव माता पार्वती को अमरकथा सुनाने के लिए अमरनाथ गुफा की ओर चल रहे थे, तब उन्होंने कईं मार्गों पर प्रतीकात्मक और शक्तिशाली वस्तुओं को त्यागा था. जिसका विशेष उद्देश्य अमरत्व का रहस्य केवल माता पार्वती को सुनाना था. जिससे कि किसी अन्य प्राणी तक ये रहस्य न पहुंच सके.
नंदी- अमरनाथ जाते समय भगवान शिव ने सबसे पहले अपने वाहन नंदी जी का त्याग किया था. जब भगवान शिव और माता पार्वती अमरनाथ गुफा की ओर प्रस्थान करते हैं, तो उन्होंने पहलगाम में नंदी जी का त्याग कर दिया था.
चंद्रमा- कुछ दूर चलने के बाद भगवान शिव ने चंद्रमा का त्याग किया. भगवान शिव के मस्तक पर सुशोभित चंद्रमा को जहां छोड़ा गया, वह जगह चंदनवाड़ी के नाम से जानी जाती है. चंद्रमा को मन और भावना का प्रतीक माना जाता है. जिसका त्याग अमर ज्ञान के लिए मानसिक शांति आवश्यक होने को दर्शाता है.
वासुकी नाग- चंद्रमा के त्याग के बाद भगवान शिव ने गले में लिपटे नागराज वासुकी का त्याग किया. इस जगह को शेषनाग के नाम से जाना जाता है. नागराज का त्याग कर भगवान शिव ने कुंडलिनी शक्ति को शांत कर दिया, जिससे अमर ज्ञान की निर्बाध धारा प्रवाहित हो सके.
गंगा- अंत में शिवजी ने अपनी जटाओं से गंगाजी को मुक्त किया था. शिवजी ने जहां गंगाजी को मुक्त किया, उस जगह को पंचतरणी नाम से जाना जाता है. पंचतरणी का अर्थ पांच नदियां है. पंच नदियां पंच तत्वों का प्रतीक है (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश). जिनका त्याग संसार के सभी तत्वों से विरक्ति का संकेत है.
भगवान गणेश- कईं कथाओं में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि महादेव ने भगवान गणेश को महागुण पर्वत पर छोड़ दिया था और उनको ये जिम्मेदारी दी गई थी कि कथा के बीच में कोई भी गुफा में प्रवेश न कर सके. आज भी जब आप अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं, तब इन धामिर्क स्थानों के दर्शन होते हैं.
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