PAK की सियासत के दो नए 'शहजादे'... इमरान को आजाद कराने विदेश से आएंगे सुलेमान और कासिम!

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पाकिस्तान की राजनीति में दो नए 'राजकुमारों' की एंट्री हो सकती है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बेटे सुलेमान और कासिम अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं. अडियाला जेल में बंद इमरान की रिहाई के लिए दोनों बेटे 5 अगस्त को पीटीआई के आंदोलन में शामिल हो सकते हैं. इस देश में पूर्व प्रधानमंत्रियों के बेटियों और बेटे का सियासत में आना नई बात नहीं है. बिलावल भुट्टो की मां बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री थी. पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज के पिता नवाज शरीफ भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. 

अब इस कतार में दो और राजकुमार शामिल होने जा रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री और करप्शन केस में जेल में बंद इमरान खान के बेटे सुलेमान और कासिम जनता के सामने आ रहे हैं. इनकी लॉन्चिंग की वजह बनी है इमरान खान की गिरफ्तारी. इमरान खान 5 अगस्त 2023 से जेल में बंद हैं. उन्हें पहले तोशाखाना मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद साइफर और अल-कादिर ट्रस्ट जैसे अन्य मामलों में भी गिरफ्तारी हुई. 

इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने इमरान खान को जेल से बाहर लाने की कई कानूनी कोशिशें की लेकिन वो कामयाब नहीं रहीं. अब ब्रिटेन में रहने वाली इमरान खान की पूर्व पत्नी और उनके बेटे इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं. 

पिता की रिहाई के लिए सामने आए ब्रिटिश बेटे

इसी सिलसिले में पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ ने 5 अगस्त को पाकिस्तान में मेगा रैली का आयोजन किया है. पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ ने संकेत दिया है कि 5 अगस्त की इस रैली को सुलेमान खान और कासिम खान लीड कर सकते हैं. 

सुलेमान और कासिम दोनों ही अपनी मां जेमिमा गोल्डस्मिथ के साथ ब्रिटेन में ही रहते हैं. सुलेमान और कासिम दोनों ही इमरान ख़ान के प्रधानमंत्री रहने के दौरान राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं थे. 

लेकिन इमरान की रिहाई लगातार टलने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर इमरान ख़ान के साथ हो रहे रवैये पर रोष जाहिर किया है. 

कासिम खान ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "हमारे पिता पाकिस्तान में रहे - हमसे दूर - हमारी जिंदगी का ज़्यादातर हिस्सा ऐसे ही गुजरा. इसलिए नहीं कि उन्हें मजबूरी में ऐसा करना पड़ा, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने एक भ्रष्ट शासन के खिलाफ खड़े होने का फ़ैसला किया. हालांकि वे एक पिता के रूप में हर दिन वहां नहीं थे, लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें एक नेता के रूप में देखा. उन्होंने अपने देश को सब कुछ दिया: अस्पताल, विश्वविद्यालय और न्याय के लिए एक आंदोलन.

उन्हें अपने बाकी दिन आराम से बिताने का मौका दिया गया. इंग्लैंड में हमारे साथ सैर पर जाने या क्रिकेट खेलने का. इसके बजाय उन्होंने एक अंधेरी जेल की कोठरी में बंद रहना चुना. उनका बलिदान पाकिस्तान के लिए है. उनकी ताकत वहां के लोगों से आती है. 

यह राजनीति नहीं, निजी प्रतिशोध है

इमरान की पूर्व पत्नी जेमिमा गोल्डस्मिथ भी इस मुद्दे को अब उठा रही हैं. उन्होंने एक्स पर लिखा, "मेरे बच्चों को अपने पिता से फोन पर बात करने की इजाजत नहीं है. इमरान खान लगभग दो साल से जेल में एकांत कारावास में हैं. पाकिस्तान सरकार ने अब कहा है कि अगर वे उनसे मिलने की कोशिश करेंगे, तो उन्हें भी गिरफ़्तार कर लिया जाएगा और सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा. किसी लोकतंत्र या किसी गतिशील राज्य में ऐसा नहीं होता. यह राजनीति नहीं है. यह एक निजी प्रतिशोध है."

बता दें कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के राजनीतिक मामलों के सलाहकार राना सनाउल्ला ख़ान ने यह संकेत दिया कि अगर इमरान ख़ान के बेटों ने पाकिस्तान में किसी तरह के आंदोलन में हिस्सा लिया तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.

सुलेमान और कासिम की राजनीतिक पारी पर इमरान खान की बहन अलीमा खान ने भी बयान दिया है. अलीमा ख़ान ने कहा है कि क़ासिम और सुलेमान पाकिस्तान आने का इरादा रखते हैं क्योंकि कई महीनों से उनका अपने पिता से संपर्क नहीं करवाया गया है. अलीमा खान ने यह भी कहा कि दोनों भाई अमेरिका जाएंगे और वहां जाकर बताएंगे कि पाकिस्तान में मानवाधिकारों की क्या स्थिति है?

इमरान की बहन ने यह भी कहा है कि इस बयान को गंभीरता से देखना चाहिए और किसी लोकतांत्रिक समाज में राजनेताओं के परिवारवालों को राजनीतिक वजहों से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए. पीटीआई ने अपने बयान में कहा है कि कासिम और सुलेमान की सुरक्षा को राजनीति का मुद्दा बनाकर उनकी जिंदगी को खतरे में नहीं डालना चाहिए.

सुलेमान और कासिम की परवरिश

90 के दशक में जब इमरान खान और ब्रिटिश अरबपति की बेटी जेमिमा गोल्डस्मिथ की शादी की खबरें आईं तो ये कई दिनों तक सुर्खियों में रही. यह पूरब के एक गरीब से देश से उभरे स्टार क्रिकेटर के एक अंग्रेजीदां युवती से रोमांस की प्रेम कहानी थी. 

इस शादी से इमरान को दो बच्चे हुए. सुलेमान खान का जन्म 18 नवंबर, 1996 को लंदन में हुआ था. वे सार्वजनिक रूप से कम ही दिखाई देते हैं, लेकिन इमरान के तफरीह के दिनों में वे उनके साथ दिख जाते थे. सुलेमान क्रिकेट इवेंट और कभी-कभी सार्वजनिक कार्यक्रमों या पारिवारिक समारोहों में अपने पिता के साथ दिखते रहते थे. सुलैमान ने अभिनय और मीडिया में रुचि दिखाई है.

उनके छोटे भाई कासिम खान का जन्म 10 अप्रैल 1999 को हुआ था और हाल के वर्षों में उन्होंने सार्वजनिक रूप से ज़्यादा उपस्थिति दर्ज कराई है. उन्होंने ब्रिस्टल विश्वविद्यालय से इस्लामी इतिहास का अध्ययन किया है और मिफू मार्केटिंग नाम का एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च किया है. 

कासिम राजनीतिक रूप से भी काफी सक्रिय रहे हैं, उन्होंने अपने पिता की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का समर्थन किया है और लोगों से पाकिस्तान में 2024 के आम चुनावों में वोट देने का आग्रह किया था.

इमरान-जेमिमा की शादी जितनी नाटकीय और परीकथा जैसी रही, उतना ही दुखद इसका अंत रहा. इमरान खान और जेमिमा गोल्डस्मिथ की शादी 1995 में हुई थी. 10 साल के बाद ये शादी सांस्कृतिक दबाव और राजनीतिक मतभेद की भेंट चढ़ गई. 2004 में जेमिमा ने इमरान से रिश्ते खत्म करने की घोषणा की थी. 

इमरान खान ने भी स्वीकार किया था कि सियासत के चलते उनकी शादी पर असर पड़ा था. 

आगे की राह क्या है?

पाकिस्तान का आईन कहता है कि मुल्क में संसद का सदस्य बनने के लिए पाकिस्तानी नागरिकता अनिवार्य है. सुलेमान और कासिम दोनों ही ब्रिटिश नागरिक हैं, इसलिए यहां उनकी असली परीक्षा है. क्या वे पाकिस्तान की राजनीति में एंट्री लेने के लिए ब्रिटिश नागरिकता छोड़ने को तैयार होंगे. ब्रिटेन का ऐशो-आराम और वहां की सुरक्षा पाकिस्तान की स्थिति को देखते हुए एक प्रीमियम है. राजनीतिक हिंसा के लिए कुख्यात पाकिस्तान में क्या सुलेमान और कासिम अपनी जिंदगी के आगे का वक्त गुजारना चाहेंगे. 

अगर वे पाकिस्तान में चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उन्हें ब्रिटिश पासपोर्ट छोड़ना होगा.  राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों बेटों के लिए पाकिस्तान की राजनीति में सीधे तौर पर अपना असर दिखाना आसान नहीं होगा, क्योंकि पीटीआई कार्यकर्ताओं का इमरान खान से भावनात्मक जुड़ाव अधिक गहरा है.

 इमरान ने अपने उम्र का एक हिस्सा पाकिस्तान की राजनीति को समर्पित किया है और वे नए राजनीतिक दल को अपने विचारों के खाद पानी से सींचकर पाकिस्तान की शीर्ष सत्ता तक लेकर गए हैं. लेकिन कासिम और सुलेमान के लिए पाकिस्तान की सियासी जमीन उबड़-खाबड़, चुनौतियों से भरी और अनिश्चितताओं से परिपूर्ण है. लिहाजा इस एंट्री को फिलहाल प्रतीकात्मक और परिवार के राजनीतिक संघर्ष का नया मुकाम माना जा रहा है. 

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