अमेरिका की खराब हालत आंकड़ों में साफ नजर आने लगी है. यहां महंगाई से लेकर बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है, अमेरिका पर कर्ज भी लगातार बढ़ रहा है. डॉलर इंडेक्स रिस्क का संकेत दे रहा है, तो एक्सपर्ट्स मंदी का अंदेशा लगा रहे हैं. ये सभी चीजें सिर्फ टैरिफ की वजह से हो रही हैं, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आए दिन किसी ना किसी सेक्टर या देश पर टैरिफ बम फोड़ते रहते हैं.
अगस्त में अमेरिका में महंगाई दर में तेजी आई है, जिससे फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर कटौती को लेकर चिंता बढ़ गई है. गुरुवार को जारी श्रम विभाग ने आंकड़ों के अनुसार, कंज्यूमर प्राइस पिछले साल की तुलना में 2.9 प्रतिशत बढ़ा है. यह जुलाई के 2.7 प्रतिशत से ज्यादा है और जनवरी के बाद से सबसे तेज सालाना ग्रोथ है.
फूड और एनर्जी को छोड़कर, मुख्य महंगाई दर 3.1 फीसदी पर स्थिर रही. दोनों ही आंकड़े फेड के 2 फीसदी के टारगेट से ऊपर हैं, जो दो साल की सख्ती के बाद भी कम नहीं हुए हैं. अमेरिका में महंगाई को लेकर ये सबसे बड़ा डर है.
कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
अमेरिका में किराने के सामान हर महीने 0.6 प्रतिशत बढ़ा, कॉफी 21 फीसदी और बीफ स्टेक पिछले साल की तुलना में 17 फीसदी बढ़ा है. जुलाई से पेट्रोल की कीमतों में 1.9 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है, जबकि हवाई किराया, कपड़े, फर्नीचर और होटल की कीमतें भी बढ़ गई हैं.
नौकरी में गिरावट
श्रम विभाग की एक अन्य रिपोर्ट ने बड़ी टेंशन पैदा की है. बेरोजगारी सहायता के लिए साप्ताहिक आवेदन 27,000 बढ़कर 2,63,000 हो गए, जो 2021 के बाद से सबसे ज्यादा और लगभग चार वर्षों में सबसे तेज उछाल है. यह संख्या छंटनी का एक संकेत है और पहले के रोजगार के आंकड़ों में कमी के बाद आई है. मई और जून के शुरुआती अनुमानों में कुल मिलाकर 2,58,000 पदों की कटौती की गई थी, जो यह बताती है कि नियुक्तियां अनुमान से कम रही हैं.
स्टैनफोर्ड इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी रिसर्च के डैनियल हॉर्नंग ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा है कि महंगाई और बेरोजगारी का ये आंकड़ा- अमेरिका को काफी कमजोर करने वाला है.
फिर होने लगी मंदी की चर्चा
अमेरिका में आए इन दोनों रिपोर्ट ने एक बार फिर मंदी की चर्चा छेंड़ दी है. इकोनॉमिस्ट कह रहे हैं कि इकोनॉमी की धीमी ग्रोथ, जॉब में बड़ी कटौती और महंगाई जैसे आंकड़ों का मिश्रण 1970 के दशक के बाद से नहीं देखा गया था. उनका कहना है कि आमतौर पर धीमी विकास दर से महंगाई भी कम होती है, लेकिन टैरिफ की वजह से ऐसा नहीं हो रहा है.
वेल्स फार्गो की सीनियर इकोनॉमिस्ट सारा हाउस ने डब्ल्यूएसजे को बताया कि टैरिफ का बोझ एक साथ कंज्यूमर्स पर नहीं डाला जा रहा है, लेकिन अगर आप सभी का कैलकुलेशन देखें, तो आप अभी भी वस्तुओं की कीमतों में उछाल देख रहे हैं.
ट्रंप टैरिफ से बढ़ी टेंशन
इकोनॉमिस्ट का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी ट्रंप की टैरिफ की वजह से हुआ है. व्यवसाय धीरे-धीरे इस लागत का बोझ लोगों पर डाल रहे हैं. वॉलमार्ट ने तो साफ कहा है कि जैसे-जैसे स्टॉक बढ़ेगा, कीमतों में और भी ज्यादा उछाल देखने को मिलेगा. जबकि छोटे व्यवसाय लागत वहन करने के लिए स्ट्रगल कर रहे हैं. अमेरिका में खाने-पीने की चीजों की कीमतों में 10 फीसदी की ग्रोथ, मसालों ओर चॉकलेट जैसे उत्पाद की कीमतों में 3 अंकों की ग्रोथ हुई है.
फेडरल रिजर्व कट करेगा रेट?
फेडरल रिजर्व नीतिगत जाल में फंसा हुआ है. अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने स्वीकार किया है कि जोखिम बढ़ रहे हैं. एक्सपर्ट्स अनुमान लगा रहे हैं कि फेडरल रिजर्व एक बार फिर रेट में कटौती कर सकता है और महंगाई को स्थिर करने की कोशिश कर सकता है.
---- समाप्त ----