आवारा कुत्तों पर रिपोर्ट दाखिल न करने पर राज्यों को SC ने लगाई फटकार, एफिडेविट दाखिल करने का आदेश

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आवारा कुत्तों की समस्या पर कार्रवाई न करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कड़ी फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चीफ सेक्रेटरी को एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों पर कंप्लायंस एफिडेविट दाखिल न करने के लिए तलब किया.

'In Re: City Hounded By Strays, Kids Pay The Price' नाम के एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच ने नियमों का पालन न करने पर कड़ी नाराज़गी जताई और कहा कि आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाएं 'देश को विदेशी देशों के सामने बुरी रोशनी में दिखा रही हैं.'

जस्टिस नाथ ने कहा, "लगातार घटनाएं हो रही हैं और देश की इमेज विदेशी देशों की नज़र में खराब हो रही है. हम भी न्यूज़ रिपोर्ट पढ़ रहे हैं."

'बात नहीं मानी, तो सख्त कार्रवाई...'

बेंच ने कहा कि सिर्फ़ पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने ही अपने एफिडेविट फाइल किए हैं, और वे भी रिकॉर्ड में नहीं हैं. डिफ़ॉल्ट करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चीफ सेक्रेटरी को अगले सोमवार सुबह 10:30 बजे कोर्ट में पर्सनली पेश होने का निर्देश देते हुए, कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर बात नहीं मानी गई तो जुर्माना और सख्त कार्रवाई की जाएगी.

जस्टिस नाथ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे से कहा, "NCT ने अपना एफिडेविट क्यों फाइल नहीं किया? चीफ सेक्रेटरी को इसका जवाब देना होगा, नहीं तो जुर्माना लगाया जा सकता है और सख्त कदम उठाए जाएंगे. सभी राज्यों और UTs को नोटिस जारी किए गए थे, क्या आपके अधिकारी अखबार या सोशल मीडिया नहीं पढ़ते? सबने इसके बारे में रिपोर्ट किया है. जब उन्हें पता चल गया है, तो उन्हें आगे आना चाहिए. सभी चीफ सेक्रेटरी 3 नवंबर को मौजूद रहें, नहीं तो हम कोर्ट ऑडिटोरियम में लगाएंगे." 

22 अगस्त को अदालत ने सभी राज्यों और UTs को ABC नियमों के तहत कंप्लायंस एफिडेविट जमा करने का निर्देश दिया था. हालांकि, सोमवार को कोर्ट ने पाया कि न केवल ज़्यादातर लोग नियमों का पालन करने में फेल रहे, बल्कि उनकी तरफ से कोर्ट में कोई मौजूद भी नहीं था.

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यह मामला 28 जुलाई को जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच द्वारा 'In a City Hounded by Strays, Kids Pay Price' टाइटल वाली टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के बाद शुरू किए गए स्वतः संज्ञान एक्शन से जुड़ा है.

11 अगस्त को, पारदीवाला के नेतृत्व वाली बेंच ने दिल्ली के अधिकारियों को आवारा कुत्तों को शेल्टर में ले जाने और उन्हें छोड़ने पर रोक लगाने का निर्देश दिया था, और इसी तरह के निर्देश नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद को भी दिए थे. इसने आगे चेतावनी दी थी कि जो लोग अधिकारियों को आवारा कुत्तों को पकड़ने से रोकेंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

हालांकि, यह चिंता जताए जाने के बाद कि ये निर्देश पहले के कोर्ट के आदेशों से टकराते हैं, मामला जस्टिस विक्रम नाथ के नेतृत्व वाली तीन-जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया.

कोर्ट ने दिया था फैसला...

22 अगस्त को, नाथ बेंच ने 11 अगस्त के आदेश पर रोक लगा दी, और इलाज किए गए और वैक्सीनेटेड कुत्तों को छोड़ने पर बैन को 'बहुत सख्त' बताया. कोर्ट ने साफ किया कि ABC रूल्स के रूल 11(9) के मुताबिक, कुत्तों को स्टेरिलाइज़ेशन, डीवर्मिंग और वैक्सीनेशन के बाद उसी इलाके में वापस छोड़ देना चाहिए, सिवाय उन कुत्तों के जो रेबीज़ से इन्फेक्टेड हैं, इन्फेक्शन का शक है, या जो अग्रेसिव बिहेवियर दिखा रहे हैं.

कोर्ट ने आवारा कुत्तों को पब्लिक में खाना खिलाने पर भी रोक लगा दी, खास फीडिंग ज़ोन बनाने का आदेश दिया, और केस के दायरे को पूरे भारत में बढ़ा दिया.

इसने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और लोकल बॉडीज़ को ABC नियमों को एक जैसा लागू करने का निर्देश दिया और हाई कोर्ट्स में पेंडिंग इसी तरह की याचिकाओं को ट्रांसफर करके एक नेशनल पॉलिसी बनाने का संकेत दिया.

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सोमवार की सुनवाई के दौरान, जब सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने बेंच को बताया कि जम्मू और कश्मीर और दिल्ली-एनसीआर के लिए गाइडलाइंस मौजूद हैं, तो जस्टिस नाथ ने ज़ोर देकर कहा कि अधिकारियों को आकर उन्हें पेश करना होगा.

बेंच ने साफ किया कि जब तक सभी चीफ सेक्रेटरी 3 नवंबर को पेश नहीं होते, तब तक कोर्ट जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए 'एक ऑडिटोरियम में कार्यवाही करेगा.'
 

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