कांवड़ यात्रा के दौरान राजनीति अलग ही उफान पर होती है. चुनाव जैसा माहौल तो नहीं होता, लेकिन बहुत कम भी नहीं होता. उत्तर प्रदेश में तो बीजेपी के लिए बड़ा मौका होता ही है, दिल्ली में सत्ता मिल जाने के बाद कांवड़ यात्रा का मौका और भी अहम हो गया है.
जैसे यूपी में बीजेपी और समाजवादी पार्टी कांवड़ यात्रा के दौरान आमने सामने देखे जाते रहे हैं, दिल्ली भी करीब करीब वैसा ही माहौल बन गया है. दिल्ली बीजेपी पर आम आदमी पार्टी धावा बोल चुकी है. आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर कांवड़ यात्रा को लेकर गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया है.
बुलडोजर तो नहीं, लेकिन कांवड़ यात्रा के मामले दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के प्रेरणास्रोत बने हैं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. कांवड़ यात्रा के रूट पर दिल्ली में मीट की दुकाने बंद कराने को लेकर बातें तो बहुत हो रही है, लेकिन अब तक कोई सर्कुलर जारी नहीं हुआ है.
23 जुलाई तक चलने वाली यात्रा के दौरान कांवड़ियों की सुविधा के लिए सरकार की तरफ से कई तरह के इंतजाम किये गये हैं. ऐसे इंतजाम पहले भी होते रहे हैं, लेकिन बीजेपी सरकार उसमें इजाफा कर रही है - और भव्य स्वागत की तैयारी चल रही है.
AAP बनाम बीजेपी सरकार के इंतजाम
कांवड़ियों के लिए कैंप पहले भी लगाये जाते रहे हैं, इस बार उनकी संख्या बढ़ाई गई है. पिछले साल 185 कैंप लगाये गये थे, जबकि इस बार ये संख्या बढ़कर 250 से भी ज्यादा बताई जा रही है. कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के ठहरने के इंतजाम और बाकी सुविधाओं के लिए दिल्ली सरकार ने रजिस्टर्ड समूहों 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का वादा किया है. सुविधाओं में 1200 यूनिट तक फ्री बिजली भी शुमार है.
कांवड़ सेवा समिति के साथ समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया, सरकार पूरी तरह तैयार है... जैसे ही अंतिम सूची मिलेगी, पहली किस्त एक बटन क्लिक करते ही वितरित कर दी जाएगी.
कांवड़ियों के सम्मान में भव्य स्वागत द्वार बनवाये जा रहे हैं, और उनके स्वागत में पहुंचते ही उनपर फूल बरसाये जाने के भी इंतजाम किये जा रहे हैं. यूपी सरकार भी ये काम कर चुकी है. कांवड़ यात्रा के दौरान यूपी में हेलिकॉप्टर से फूलों की पंखुड़ियां बरसाई गई थीं. दिल्ली में लगाये जाने वाले कांवड़ियों के कैंप में पीने के पानी के साथ साथ मेडिकल सुविधाओं के भी इंतजाम किये जा रहे हैं, और कांवड़ियों सुरक्षित पैदल चलने के लिए, बताते हैं, बैरिकेड्स लगाने की भी तैयारी पूरी हो चुकी है.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता कांवड़ यात्रा के इंतजामों के बहाने भी आम आदमी पार्टी पर हमला बोला है. रेखा गुप्ता का दावा है, पिछली सरकार ने कांवड़ियों को सुविधाएं देने के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार किया… करोड़ों रुपये खर्च किए और टेंडर गिनती के कुछ लोगों को दिए गये... जमीनी स्तर पर किसी को कोई सुविधा नहीं मिली.
जवाबी हमले में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर पवित्र परंपरा को लेकर गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया है. AAP के दिल्ली संयोजक सौरभ भारद्वाज का कहना है, पिछले 10-11 साल से आम आदमी पार्टी की सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान सभी जरूरी सुविधाएं दी हैं, और कांवड़ियों का हर तरह से सपोर्ट किया है... चाहे राजनीतिक विचारधारा किसी की कुछ भी रही हो... 10 साल से वही लोग शिविर चला रहे थे, बीजेपी अब इस मुद्दे पर गंदी राजनीति कर रही है.
मीट की दुकानों पर राजनीति
हाल फिलहाल सुनने में आ रहा था कि दिल्ली में भी यूपी की तर्ज पर कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाली मीट की दुकानें बंद रखने का फैसला लिया जा रहा है, लेकिन आधिकारिक तौर पर अभी ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है. इस मामले में दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद का कहना था, कोई आदेश नहीं है, लेकिन जनभावना का सम्मान होना चाहिए.
दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा ने तो यहां तक ऐलान कर डाला है कि कांवड़ यात्रा के मार्ग से 500 मीटर के दायरे में आने वाली सभी मीट की दुकानें, चाहे वे वैध हों या अवैध... बंद कर दी जाएंगी. कपिल मिश्रा ने एमसीडी के साथ मिलकर ये कदम उठाने की बात की थी, लेकिन दिल्ली नगर निगम ने ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया है कि ऐसी पाबंदी लागू करने के लिए कोई कानूनी प्रावधान है ही नहीं.
यूपी में पिछले साल इस मुद्दे पर काफी बवाल हुआ था, और इस बार भी करीब करीब वैसे ही हालात बन गये हैं. पिछले साल जब स्थानीय प्रशासन ने कुछ जगहों पर दुकानदारों के नामों की तख्ती लगाने के निर्देश जारी कर दिया था. विपक्ष ने इसे धार्मिक पहचान उजागर करने का मामला बताया और काफी विवाद हुआ. ये मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली बार आदेश तो लागू नहीं होने दिया था, लेकिन अदालती आदेश में कहा गया था कि दुकानदारों को सिर्फ ये बताना होगा कि वे खाने की कौन चीजें बेच रहे हैं. कोर्ट ने कहा था, 'हम आदेश पर रोक लगा रहे हैं... दुकानदार सिर्फ ये बताएं कि वे क्या बेच रहे हैं... मालिकों और कर्मचारियों के नाम बताने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.'
यूपी में नया बवाल सरकार के QR कोड लगाने के आदेश पर शुरू हुआ है. आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें दलील दी गई है कि QR कोड को स्कैन करके दुकान मालिकों के नाम पता चल सकते हैं.
जाहिर है, कुछ भी बदला नहीं है. सब कुछ पहले जैसा ही है. बस मामला डिजिटल कर दिया गया है. कागज नहीं दिखाना है, अब QR कोड स्कैन कराना है.
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