चुनाव आयोग ने बिहार में फाइनल वोटर लिस्ट से पहले 1 अगस्त को ड्राफ्ट जारी किया. ड्राफ्ट जारी करने के एक दिन बाद ही इसपर सियासी संग्राम शुरू हो गया. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शनिवार को चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाते हुए दावा किया कि उनका नाम इलेक्शन कमीशन की ओर से जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नहीं है. इसके बाद चुनाव आयोग की तरफ से सफाई आई कि तेजस्वी का नाम है.
इसके बाद फिर से तेजस्वी ने आरोप लगाया कि उनका खुद का EPIC नंबर (मतदाता पहचान पत्र संख्या) बदल दिया गया है. अबकी बार पटना के DM की ओर से सफाई आई जिसमें कहा गया कि विपक्ष के नेता का नाम है. तेजस्वी का आरोप गलत है. हालांकि, वोटर लिस्ट से जुड़ा मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में भी है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा. उससे पहले बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है. विपक्ष लगातार चुनाव आयोग पर सवाल खड़े कर रहा है और इसे गोदी आयोग कह रहा है. कल चुनाव आयोग की ओर से जारी ड्राफ्ट के बाद तेजस्वी के आरोप तक आइए इस पूरे मामले को सिलसिलेवार समझते हैं.
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चुनाव आयोग का ड्राफ्ट और तेजस्वी का आरोप
चुनाव आयोग ने शुक्रवार यानी 1 अगस्त को वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट जारी किया. इसमें तेजस्वी ने आरोप लगाया कि मेरा नाम नहीं है. तेजस्वी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, 'मैंने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान गणना फॉर्म भरा था. लेकिन ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में मेरा नाम नहीं है. मैं विधानसभा चुनाव कैसे लड़ूंगा?' तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्होंने इलेक्शन कमीशन के पोर्टल पर अपना ECIP (Electors Photo Identity Card) No. RAB2916120 डालकर सर्च किया तो No Records Found लिखकर आया. हालांकि चुनाव आयोग ने तुरंत तेजस्वी के फोटो वाली लिस्ट जारी कर दी और तेजस्वी का नाम काटने वाले आरोप को खारिज कर दिया.
चुनाव आयोग ने सफाई में क्या कहा?
चुनाव आयोग ने राजद नेता तेजस्वी यादव के आरोपों का खंडन करते हुए फैक्ट चेक जारी किया है और साफ किया है कि उनका नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में पूरी तरह शामिल है. आयोग ने सबूत के तौर पर वह वोटर लिस्ट भी सार्वजनिक की है, जिसमें तेजस्वी यादव की फोटो, नाम, उम्र, पिता का नाम और मकान संख्या स्पष्ट रूप से दर्ज है. चुनाव आयोग ने कहा, हम मतदाता सूची की प्रति साझा कर रहे हैं. उनसे अनुरोध है कि वे ध्यान से सूची देखें- उनका नाम उसमें दर्ज है.
'मेरा EPIC बदल गया है, न जाने कितने लोगों का बदला होगा'
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने फिर आरोप लगाया कि उनका EPIC नंबर (मतदाता पहचान पत्र संख्या) बदल दिया गया है. उन्होंने इसे एक "साज़िश" करार दिया है और आशंका जताई है कि इससे कई लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटे जा सकते हैं.
तेजस्वी ने कहा, 'अगर मेरा EPIC नंबर बदला जा सकता है, तो फिर कितने लोगों के EPIC नंबर बदले दिए गए होंगे?' EPIC नंबर एक यूनिक कोड होता है जो हर वोटर्स को दिया जाता है. इसके जरिए वोटर की पहचान सुनिश्चित होती है. वहीं, ECI के पूर्व संयुक्त निदेशक मो अमीन ने आजतक से कहा, किसी का EPIC नंबर नहीं बदल सकता है.
राजद नेता तेजस्वी यादव के वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने के आरोप पर पटना के जिलाधिकारी (DM) डॉ. त्यागराजन एसएम ने स्पष्ट जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची में मौजूद है और उनके दावे तथ्यात्मक रूप से गलत हैं.
DM त्यागराजन ने क्या कहा?
डॉ. त्यागराजन ने बयान में कहा, 'विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची में निश्चित रूप से मौजूद है. उनका नाम हटाए जाने का दावा पूरी तरह से गलत है. वह अब भी उसी बूथ पर पंजीकृत हैं, जहां वह पहले वोट डालते थे और यह जानकारी सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है, जिसे कोई भी देख सकता है.' उन्होंने आगे कहा कि पटना जिले के सभी मतदाताओं से अपील है कि वे संयम रखें और खुद अपने नाम या EPIC नंबर के माध्यम से ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में अपनी जानकारी की पुष्टि करें.
कोई भ्रम नहीं है
DM ने साफ तौर पर कहा, 'इसमें किसी भी तरह का भ्रम नहीं है. जो भी व्यक्ति चाहे, वह सार्वजनिक पोर्टल पर जाकर अपना नाम देख सकता है. चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और सभी मतदाताओं को इस पर भरोसा रखना चाहिए.'
फिलहाल चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच इस मसले पर राजनीतिक घमासान जारी है. विपक्ष ने ये भी आरोप लगाया है कि वोटर लिस्ट से जिनका नाम मृत बताकर कटा गया है वह अभी जिंदा हैं.
चुनाव आयोग का आया जवाब
चुनाव आयोग ने इस पूरे मसले पर जवाब दिया है. चुनाव आयोग ने कहा...
1) शुद्ध निर्वाचक नामावलियां किसी भी लोकतंत्र की नींव होती हैं.
2) एसआईआर (SIR) के अनुसार, दावे और आपत्तियों की अवधि पूरी एक माह की है — 1 अगस्त से 1 सितंबर तक.
3) यदि किसी पात्र व्यक्ति का नाम सूची से छूट गया है या किसी अपात्र व्यक्ति का नाम शामिल हो गया है, तो उन्हें अपनी पार्टी के 47,506 बीएलए (BLA) को दावे और आपत्तियां दर्ज कराने के लिए कहना चाहिए.
4) पिछले 24 घंटों में किसी भी राजनीतिक दल, जिसमें आरजेडी भी शामिल है, के किसी बीएलए ने बीएलओ (BLO) के समक्ष एक भी मामला नहीं रखा है.
5) उनके सभी बीएलए 1 अगस्त को उन्हें उपलब्ध कराई गई बूथवार प्रारूपिक सूचियों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने के लिए सहमत हो चुके हैं.
6) चुनाव आयोग यह समझने में असमर्थ है कि वह लगातार यह निराधार आरोप क्यों लगा रहे हैं कि उनका नाम सूची में नहीं है, आदि.
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