बांदा में यमुना और केन नदी के उफान से कई गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है. पैलानी और बबेरू तहसील के गांव डूब चुके हैं, लोग सड़कों पर रहने को मजबूर हैं. स्कूल-शौचालय डूबे, कच्चे मकान गिरने की कगार पर हैं. DM जे. रिभा ने राहत वितरण शुरू किया है, लेकिन कई गांव अब भी प्रशासनिक मदद से वंचित हैं.
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संपर्क मार्गों पर नावें लगाए गए हैं.(Photo: Akhilesh Kumar/ITG)
उत्तर प्रदेश के बांदा में यमुना और केन नदी के बढ़ते जलस्तर ने तबाही मचा दी है. यमुना नदी खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर बह रही है, जबकि केन नदी का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है. पैलानी और बबेरू तहसील के कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है, जिससे सैकड़ों घरों में पानी भर गया है. लोग अपने मवेशियों और गृहस्थी का सामान लेकर सड़कों पर डेरा डालकर किसी तरह अपनी जान बचा रहे हैं.
दरअसल, पैलानी तहसील के नरी गांव, शंकर पुरवा, पंडा देव, तारा डेरा और बच्चा डेरा जैसे इलाके बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. नरी गांव में स्कूल और सुलभ शौचालय पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं. गांव का संपर्क मार्ग 40 फीट तक जलमग्न है. दलित बस्ती के करीब 100 घर पानी में डूबे हैं, जिनमें से कई कच्चे मकान गिरने की कगार पर हैं. लोग सिर पर सामान लेकर जान जोखिम में डालकर निकलते देखे गए.
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आजतक की टीम जब मौके पर पहुंची तो पाया कि प्रशासनिक दावों के बावजूद पीड़ितों को अब तक कोई मदद नहीं मिली. लोग प्रशासन से राहत और पुनर्वास की गुहार लगा रहे हैं. हालात को देखते हुए डीएम जे. रिभा ने शंकर पुरवा पहुंचकर राजस्व टीम के साथ बाढ़ पीड़ितों को राहत किट वितरित की और शिफ्टिंग की तैयारियों का जायजा लिया.
डीएम ने बताया कि पैलानी तहसील के 13 गांव बाढ़ की चपेट में हैं. संपर्क मार्गों पर नावें और स्टीमर लगाए गए हैं. पुलिस तैनात है और लगातार अनाउंसमेंट के ज़रिए लोगों से नदी-पुल पर न जाने की अपील की जा रही है. बांदा-कानपुर स्टेट हाईवे को जलभराव के कारण बंद कर दिया गया है. पुलों पर पानी टच कर गया है और तेज बहाव के कारण सड़कें नदियों में तब्दील हो चुकी हैं. वहीं, प्रशासन ने चेतावनी दी है कि कोई भी व्यक्ति नदी के किनारे या पुल पर न जाए, अन्यथा जान का खतरा हो सकता है.
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