गाजीपुर में भाजपाइयों पर लाठीचार्ज और कार्यकर्ता की मौत के पीछे की कहानी

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उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक भाजपा कार्यकर्ता की पुलिस लाठीचार्ज के दौरान मौत हो गई. कार्यकर्ता का नाम सियाराम उपाध्याय था, जो दिव्यांग थे. यह घटना 9 सितंबर को नोनहरा थाने के सामने हुई. सियाराम और अन्य भाजपा कार्यकर्ता पुलिस की कथित बर्बरता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. आरोप है कि देर रात लाइट जाते ही पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया. इसमें सियाराम बुरी तरह घायल हो गए. 11 सितंबर की सुबह उनकी मौत हो गई. फिलहाल, अब एसपी ने इस मामले में कार्रवाई की है और पूरे थाने पर गाज गिरी है. 

पुलिस पर लगा बर्बरता का आरोप

नोनहरा थाने के सामने जनसमस्याओं की सुनवाई न होने के आरोप में भाजपा नेता राजेश राय 'बागी' और विपुल मिश्रा के साथ दर्जनों कार्यकर्ता धरना प्रदर्शन कर रहे थे. आरोप है कि देर रात पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया. इस लाठीचार्ज में स्वामी सहजानंद पीजी कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राजेश राय 'बागी' के साथ दिव्यांग कार्यकर्ता सियाराम बागी को भी गंभीर चोटें आईं. 

मृतक के घर नेताओं का तांता

सियाराम की मौत की खबर फैलते ही उनके पैतृक गांव चक रूकुंदीपुर में लोगों का मजमा लग गया. भाजपा के कई बड़े नेता, जिनमें जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश राय, भानुप्रताप सिंह, पारसनाथ राय, अखिलेश सिंह शामिल थे, मृतक के घर पहुंचे और परिवार को सांत्वना दी.  पूर्व सांसद राधामोहन सिंह और समाजवादी पार्टी के नेता राजकुमार पांडे ने भी परिजनों से मिलकर उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया. 

जांच और मुआवजे का आश्वासन

एसपी डॉ. इरज राजा ने इस मामले में कुल 12 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की है, जिनमें एसओ समेत 6 निलंबित हैं. उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल से वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ कराया जाएगा. डीएम ने मजिस्ट्रियल जांच के लिए भी टीम गठित की है. एसपी ने पीड़ित परिवार को सरकार से अनुमन्य मुआवजा दिलाने का भी आश्वासन दिया है. 

बताया जा रहा कि मृतक सियाराम अविवाहित थे. उनके शरीर पर लाठी पड़ने के कई निशान थे. परिजनों ने पुलिस पर बेरहमी से पीटने का आरोप लगाया है. साथ ही आरोपी पुलिसवालों पर सख्त से सख्त एक्शन लेने की मांग की है. पूरा मामला सियासी रंग ले चुका है. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी इसपर रिएक्ट किया है. 

मामला जानिए 

दरअसल, बीते दिनों गठिया गांव में ओंकार राय और अरविंद राय के बीच एक मामूली तकरार ने बड़ा रूप ले लिया. ओंकार अपने ट्यूबवेल के लिए पोल ले जाना चाहते थे, जिसका अरविंद ने विरोध किया. जल्द ही, यह मुद्दा राजनीतिक रंग ले गया, जब बीजेपी नेता राजेश राय 'बागी' अपने समर्थकों के साथ अरविंद के पक्ष में थाने पहुंच गए. 

पुलिस ने कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया. भीड़ में शामिल एक दिव्यांग कार्यकर्ता, सियाराम उपाध्याय, गंभीर रूप से घायल हो गए. दो दिन बाद उनकी मौत हो गई. सियाराम की मौत ने एक बुजुर्ग माता-पिता और एक भाई को बेसहारा छोड़ दिया. वह अविवाहित थे और अपनी शादी और भविष्य के सपने संजोए थे. 

सपा मुखिया ने कही ये बात

उन्होंने एक्स पर लिखा- 'अब तक यूपी भाजपा सरकार की पुलिस ‘हिरासत में मौत’ का जो रिकॉर्ड-पर-रिकॉर्ड बना रही थी, अब उसका शिकार सत्ताधारी दल के अपने लोग भी होने शुरू हो गए हैं. अब जब अपने लोग मारे गये तो भाजपाइयों को इतने सालों से मारे जा रहे लोगों का दर्द समझ आया है. हर मृतक किसी भी दल से पहले देश का नागरिक है और एक मानव भी, ऐसी हर मौत के लिए पुलिस की घोर निंदा करनी चाहिए और उससे भी ज्यादा उन लोगों की जिन्होंने ऐसे कुकृत्यों को बढ़ावा दिया है... सवाल ये भी है कि पुलिस को भाजपा और उनके संगी-साथियों व अन्य आनुषंगिक संगठनों पर प्रहार करने के पीछे कौन है. आपसी और अंदरूनी लड़ाई का ख़ामियाज़ा कोई भी क्यों भुगते.'

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