भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का तीसरा बैच भेज दिया, जो 2022 के 375 मिलियन डॉलर के सौदे को पूरा करता है. पहले दो बैच 2024 और 2025 की शुरुआत में पहुंच चुके हैं. यह मिसाइल दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस की नौसेना को मजबूत बनाएगी. फिलीपींस भारत से ब्रह्मोस खरीदने वाला पहला देश है.
फिलीपींस को ब्रह्मोस: दक्षिण चीन सागर की सुरक्षा
फिलीपींस ने 2022 में भारत से 375 मिलियन डॉलर (लगभग 3,000 करोड़ रुपये) का सौदा किया, जिसमें तीन ब्रह्मोस बैटरी शामिल हैं. प्रत्येक बैटरी में 290 किलोमीटर रेंज और मैक 2.8 की रफ्तार वाली मिसाइलें हैं. पहला बैच अप्रैल 2024 में और दूसरा अप्रैल 2025 में पहुंचा. ब्रह्मोस फिलीपींस की नौसेना को तटीय रक्षा में ताकत देगा, खासकर दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों के खिलाफ.
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ब्रह्मोस एयरोस्पेस के CEO और MD जयतीर्थ जोशी ने कहा कि मिसाइलें तैयार हैं, हम समय पर डिलीवर करेंगे. यह सौदा भारत-फिलीपींस संबंधों को मजबूत करता है. फिलीपींस ने ब्रह्मोस को अपनी होराइजन 3 मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम में शामिल किया है. और बैटरी खरीदने की रुचि दिखाई है.
वियतनाम के साथ नया सौदा करीब
वियतनाम भारत के साथ 700 मिलियन डॉलर (लगभग 5,990 करोड़ रुपये) का ब्रह्मोस सौदा अंतिम चरण में है. यह दक्षिण चीन सागर में वियतनाम की नौसेना और हवाई रक्षा को मजबूत करेगा. वियतनाम दूसरा एशियाई देश होगा जो ब्रह्मोस खरीदेगा. वार्ता अप्रैल 2025 में तेज हुई. जल्द फाइनल हो सकती है.
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अन्य देशों की रुचि: इंडोनेशिया और मलेशिया आगे
ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) में ब्रह्मोस की सफलता ने कई देशों का ध्यान खींचा. इंडोनेशिया 450 मिलियन डॉलर (लगभग 3,800 करोड़ रुपये) का सौदा साइन करने को तैयार है, जो फिलीपींस और वियतनाम के बाद तीसरा ग्राहक बनेगा.
मलेशिया रॉयल मलेशियन एयर फोर्स ने एयर-लॉन्च वेरिएंट में रुचि दिखाई, जो Su-30MKM जेट्स के साथ इंटीग्रेट होगा. अन्य देशों में आर्मेनिया, थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, मिस्र, सऊदी अरब, यूएई, कतर, ओमान, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना और वेनेजुएला ने रुचि दिखाई है. आर्मेनिया ने पहले ही ब्रह्मोस खरीदा है. UAE, सऊदी और मिस्र के साथ वार्ता चल रही है.
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ब्रह्मोस की ताकत: क्यों है पॉपुलर?
ब्रह्मोस भारत-रूस का संयुक्त मिसाइल सिस्टम है, जो लैंड, सी और एयर से लॉन्च हो सकता है. इसकी रेंज 290 किमी, रफ्तार मैक 2.8 (3 गुना ध्वनि से तेज) और सटीकता बेजोड़ है. यह एंटी-शिप और लैंड अटैक दोनों के लिए है. ऑपरेशन सिंदूर में इसकी सफलता ने निर्यात को बढ़ावा दिया. भारत का रक्षा निर्यात 2024-25 में 21,083 करोड़ रुपये पहुंचा, जिसमें ब्रह्मोस का बड़ा योगदान है.
भारत की रक्षा निर्यात में उछाल
ऑपरेशन सिंदूर ने ब्रह्मोस को गेम-चेंजर बनाया. दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन के दावों के खिलाफ देश ब्रह्मोस खरीद रहे हैं. भारत का लक्ष्य 2025-26 में निर्यात 50,000 करोड़ करना है. यह आत्मनिर्भर भारत को मजबूत करेगा.
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