चिली के ग्लेशियर्स पर खतरा मंडरा रहा है. एक नए शोध के अनुसार, बढ़ती गर्मी और देश की भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण इन ग्लेशियर्स में हिमस्खलन और भूस्खलन का जोखिम बढ़ गया है.यह अध्ययन जर्नल ऑफ साउथ अमेरिकन अर्थ साइंसेज में मई 2025 के अंत में प्रकाशित हुआ है. (फोटोः Reuters)
इस शोध में ग्लेशियर्स के अचानक टूटने, भूस्खलन, हिमस्खलन, मिट्टी और मलबे के बहाव और ग्लेशियर्स के असामान्य रूप से तेजी से आगे बढ़ने जैसे खतरों का विश्लेषण किया गया है. यूनिवर्सिटी ऑफ चिली के भूवैज्ञानिक फेलिपे उगाल्डे ने बताया कि लगभग 10 ग्लेशियर्स ऐसे हैं जो इन खतरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं. इनमें से कुछ ग्लेशियर्स पर हिमस्खलन का खतरा है. कुछ पर खड़ी चट्टानों के कारण जोखिम है. कुछ ग्लेशियर्स हिमनदीय झीलों के कम होने से प्रभावित हो सकते हैं. (फोटोः Reuters)
इसके अलावा चिली प्रशांत महासागर के "रिंग ऑफ फायर" पर स्थित है, जो ज्वालामुखी और भूकंप का एक सक्रिय क्षेत्र है. इस कारण कुछ ग्लेशियर्स ज्वालामुखी विस्फोटों से भी खतरे में हैं. तीन ग्लेशियर्स जो सैन जोस ज्वालामुखी के सबसे करीब हैं, लाहार (ज्वालामुखीय मलबे के बहाव) के लिए अत्यधिक संवेदनशील हैं. (फोटोः Reuters)
लाहार एक खतरनाक मिश्रण होता है, जिसमें पानी, ज्वालामुखीय राख और चट्टानों का मलबा शामिल होता है. यह मलबा तेजी से बह सकता है और आसपास के क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा सकता है. शोध में यह भी पाया गया कि वैश्विक स्तर पर ग्लेशियर्स तेजी से पिघल रहे हैं. बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर्स अपनी मात्रा खो रहे हैं, जिससे उनकी स्थिरता कम हो रही है. (फोटोः Reuters)
उगाल्डे ने समझाया कि जब तापमान बढ़ता है, तो बारिश या बर्फ के तेजी से पिघलने के कारण पानी ग्लेशियर के आधार में रिस जाता है.यह पानी एक तरह से चिकनाई (लुब्रिकेंट) का काम करता है, जिसके कारण ग्लेशियर का बर्फ तेजी से टूटकर गिर सकता है. इस प्रक्रिया को 'कैल्विंग' कहते हैं. (फोटोः Reuters)
यह सब ग्लेशियर्स में होने वाले असंतुलन का नतीजा है, जो औसत हवा के तापमान में वृद्धि के कारण हो रहा है, यहां तक कि ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में भी. चिली एक ऐसा देश है जहां ग्लेशियर्स प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं. (फोटोः Reuters)
ये ग्लेशियर्स न केवल पानी का एक प्रमुख स्रोत हैं, बल्कि पर्यटन और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी महत्वपूर्ण हैं. हालांकि, गर्म जलवायु और ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण इन ग्लेशियर्स पर खतरा बढ़ रहा है. (फोटोः Reuters)
अगर ग्लेशियर्स में हिमस्खलन या भूस्खलन होता है, तो यह न केवल स्थानीय समुदायों के लिए खतरा पैदा कर सकता है, बल्कि बुनियादी ढांचे और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है. (फोटोः Reuters)
यह अध्ययन चिली सरकार और वैज्ञानिकों के लिए एक चेतावनी है. ग्लेशियर्स की निगरानी बढ़ाने और जोखिम वाले क्षेत्रों में सुरक्षा उपाय करने की जरूरत है. जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर कदम उठाने की आवश्यकता है. ग्लेशियर्स के पिघलने को कम करने के लिए कार्बन उत्सर्जन में कटौती और पर्यावरण संरक्षण के प्रयास महत्वपूर्ण हैं. (फोटोः Reuters)